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भोले बाबा का राइट हैंड, आश्रम का फंड मैनेजर... हाथरस हादसे के मुख्य आरोपी देवप्रकाश मधुकर की कहानी

उत्तर प्रदेश के हाथरस में 2 जुलाई को हुई भगदड़ के मुख्य आरोपी देवप्रकाश मधुकर को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. पुलिस ने उसे शुक्रवार को दिल्ली के नजफगढ़ से गिरफ्तार किया था. शनिवार दोपहर हाथरस के बागला संयुक्त जिला अस्पताल में उसकी मेडिकल जांच कराई गई.

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मुख्य आरोपी देवप्रकाश मधुकर को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.
मुख्य आरोपी देवप्रकाश मधुकर को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.

उत्तर प्रदेश के हाथरस में 2 जुलाई को हुई भगदड़ के मुख्य आरोपी देवप्रकाश मधुकर को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. यूपी पुलिस ने उसे शुक्रवार को दिल्ली के नजफगढ़ से गिरफ्तार किया था. शनिवार दोपहर बागला संयुक्त जिला अस्पताल में उसकी मेडिकल जांच कराई गई. पुलिस का कहना है कि आरोपी ने गिरफ्तारी से पहले कुछ राजनीतिक दलों से संपर्क किया था. हालांकि, किसी दल का नाम नहीं बताया गया. 

पुलिस अधीक्षक निपुण अग्रवाल ने बताया कि देवप्रकाश मधुकर स्वयंभू संत सूरजपाल सिंह जाटव उर्फ ​​नारायण साकर हरि उर्फ ​​भोले बाबा के कार्यक्रमों के लिए धन जुटाने का काम करता था. वो चंदा इकट्ठा करता था. उन्होंने बताया, "उसके वित्तीय लेन-देन, धन के लेन-देन की जांच की जा रही है और कॉल डिटेल रिकॉर्ड की भी जांच की जा रही है." आरोपी के वकील एपी सिंह ने दावा किया कि उसने दिल्ली पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया था.

वकील एसपी सिंह ने शुक्रवार रात एक वीडियो में दावा किया, "हाथरस मामले में एफआईआर में मुख्य आयोजक कहे जाने वाले देवप्रकाश मधुकर ने सरेंडर कर दिया है. हमने यूपी पुलिस, एसआईटी और एसटीएफ को दिल्ली बुलाया, क्योंकि यहां उनका इलाज चल रहा था. हमने वादा किया था कि हम अग्रिम जमानत के लिए आवेदन नहीं करेंगे, क्योंकि हमने कुछ गलत नहीं किया है. हमारा अपराध क्या है? वो एक इंजीनियर और हृदय रोगी हैं.'' 

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उन्होंने कहा कि पुलिस अब उनका बयान दर्ज कर सकती है. उनसे पूछताछ कर सकती है, लेकिन उन्हें उनकी स्वास्थ्य स्थिति को ध्यान में रखना चाहिए. यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके साथ कुछ भी गलत न हो. यूपी पुलिस ने देवप्रकाश मधुकर की गिरफ्तारी के लिए सूचना देने वाले को 1 लाख रुपए का इनाम देने की घोषणा की थी. 3 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट के वकील ने दावा किया था कि वो सूरजपाल उर्फ ​​नारायण साकर हरि उर्फ ​​भोले बाबा का भी प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनके सत्संग में भगदड़ मची थी. इस त्रासदी के पीछे कुछ असामाजिक तत्वों का हाथ हैं, जिनकी जानकारी वो अब साझा करेंगे.

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मुख्य आरोपी देवप्रकाश मधुकर को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, देवप्रकाश मधुकर भोले बाबा का मुख्य सेवादार है. उसी की देखरेख में बाबा के सत्संग आयोजित कराए जाते थे. वो कार्यक्रमों के लिए पैसे एकत्र करने का काम करता था. बाबा के कई सियासी दलों के साथ गहरे संबंध हैं. उनके द्वारा चंदे के रूप में मोटी रकम दिए जाने की बात भी सामने आ रही है. पुलिस इस एंगल से भी मामले की जांच कर रही है. देवप्रकाश मधुकर का बैकग्राउंड चेक किया जा रहा है. उसके संपत्तियों की भी जांच की जा रही है.

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देवप्रकाश मधुकर हाथरस जिले के मजरा सलेमपुर गांव का रहने वाला है. साल 2008 में उसने एटा जिले में मनरेगा में तकनीकी सहायक के रूप में नौकरी शुरू की थी. उसे 11000 रुपए मानदेय के रूप में हर महीने मिलता है. इतनी रकम में लोग बहुत मुश्किल से अपने परिवार का भरण पोषण कर पाते हैं, लेकिन मधुकर की शानो-शौकत देखकर कोई नहीं कह सकता कि वो चंद हजार रुपए सैलरी पाता है. गांव से लेकर शहर तक उसके कई आलीशान मकान हैं.

हाथरस कांड में भोले बाबा के सत्संग की आयोजन समिति की सदस्य दो महिला स्वयंसेवकों समेत छह लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. इस मामले में 2 जुलाई को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 105 (गैर इरादतन हत्या), 110 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास), 126 (2) (गलत तरीके से रोकना), 223 (लोक सेवक द्वारा दिए गए आदेश की अवज्ञा) और 238 (साक्ष्यों को मिटाना) के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी. हादसे की न्यायिक जांच की जा रही है.

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बताते चलें कि हाथरस जिले के सिकन्दराराऊ क्षेत्र में आयोजित सत्संग के दौरान 2 जुलाई को हुई भगदड़ में 123 लोगों की मौत हो गई. यह सत्संग नारायण साकार विश्व हरि उर्फ भोले बाबा के लिए आयोजित किया गया था. भोले बाबा एक जमाने में यूपी पुलिस के सिपाही थे. लेकिन यौन शोषण के एक मामले में फंसने के बाद उन्हें जेल जाना पड़ा था. जेल से रिहा होने के बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी और बाबा बनकर लोगों को प्रवचन देने लगे.

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उनके सत्संग को 'मानव मंगल मिलन सद्भावना समागम' कहा जाता है. इसमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली सहित देशभर से लाखों अनुयायी शामिल होते हैं. वो पहले भी विवादों में आ चुके हैं. उनके कार्यक्रम के आयोजकों के खिलाफ कोरोना काल में अनुमति से ज्यादा भीड़ जुटाने के मामले में केस दर्ज किया गया था. साल 2022 में यूपी के फर्रुखाबाद में सत्संग का आयोजन किया गया था. इसमें जिला प्रशासन ने 50 लोगों के शामिल होने की अनुमति दी थी, लेकिन 50 हजार लोग शामिल हुए थे. यूपी के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह के मुताबिक, उनके खिलाफ यौन शोषण सहित आधा दर्जन केस दर्ज हैं.

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