
Hathras Stampede Case Updates: मुर्दों में जान फूंकने का दावा करने वाला भोले बाबा ठीक उस वक्त अपनी जान बचाकर भाग रहा था, जब सबसे ज्यादा मुर्दों को उसका इंतजार था. हाथरस हादसे के बाद सामने आई सीसीटीवी कैमरे की एक तस्वीर ने भोले बाबा के झूठ की सारी पोल खोलकर रख दी है. लेकिन कमाल ये है कि इसके बावजूद यूपी पुलिस की नजर में 121 लोगों की मौत का जिम्मेदार भोले बाबा अभी भी गुनाहगार नहीं है. ना एफआईआर में भोले बाबा का नाम है और ना ही यूपी पुलिस की जुबान पर. यहां तक कि अपराधियों पर कहर बरपाने का दावा करने वाली यूपी सरकार का बुल्डोजर भी खामोश है.
इंसानों के बनाए भगवान ने ये क्या किया?
उसका दावा था कि वो मुर्दों में जान फूंक देगा. इस दावे को एक बार सच करने की कोशिश भी की थी. लेकिन अब जब सचमुच उसे अपने दावे को सच कर दिखाने का मौका आया, तो जानते हैं हवलदार से बाबा बने इंसानों के बनाए भगवान भोले बाबा ने क्या किया? जिंदगी की आस लिए जिंदगी से परेशान जो मासूम भक्त उसके पास आए थे, वो उन्हें ही सड़कों, खेतों, पगडंडियों पर गिरते-पड़ते-मरते देख वो भाग खड़ा हुआ.
बाबा या पीएम का काफिला?
हाथरस में नेशनल हाईवे नंबर 51 के करीब ही वो जगह थी जहां सत्संग हो रहा था. उधर, जैसे ही भगदड़ मचती है, इधर नेशनल हाईवे नंबर 51 अचानक गाड़ियों का काफिला ऐसे भागता है, जैसे फॉर्मूला वन की रेस हो. वहां से सामने आई सीसीटीवी की तस्वीरों को देखने पर पता चलता है कि सड़क के दूसरी तरफ जाती हुई गाड़ियों की रफ्तार बहुत तेज थी. दांये से बांये जाती हुई गाड़ियों की रफ्तार भी देखने वाली है. सबसे पहले एक साथ कई मोटरसाइकिल बेहद तेज रफ्तार से भागती हुई कैमरे में कैद होती हैं. इन मोटरसाइकिल पर सवार सभी लोगों ने काले कपड़े पहन रखे हैं. ये कोई और नहीं भोले बाबा के मासूम कमांडो हैं. ब्लैक कमांडो. इनका काम ही है बाबा के रूट को ऐसे खाली करना और कराना मानों बाबा का नहीं पीएम का काफिला गुजरने वाला हो.
भक्तों को मरता हुआ छोड़कर भागा बाबा
बाइक पर सवार अब ब्लैक कमांडो के पीछे-पीछे अब गाड़ियों का काफिला दिखता है. काफिले में 15 से ज्यादा गाड़ियां हैं. और इन्हीं में से ये जो सफेद गाड़ी है, इसी में भोले बाबा बैठे हुए हैं. इस गाड़ी में बैठते ही भोले बाबा को उनके मुख्य सेवादार ने फोन कर बता दिया था कि भगदड़ कितने लोगों को मार चुकी है. पर क्या मजाल जो बाबा की गाड़ी पर ब्रेक लगे! भोले बाबा सचमुच भोले बन कर पीछे अपने भक्तों को मरता हुआ छोड़ कर निकल गए. सोचिए, बाबा अगर रुक जाते लौट आते और अपने दावे के हिसाब से मुर्दों में जान डाल देते, तो फिर बाबा का कद और बाबा की जायदाद कितनी और बढ़ जाती.

एक घंटे 35 मिनट तक मैनपुरी आश्रम में था बाबा
जब अपने भक्तों को मरता हुआ छोड़ बाबा गाड़ी में बैठ कर भाग रहे थे, तब उन्हें पीछे मरते हुए लोगों का लाइव अपडेट उनका मुख्य सेवादार प्रकाश मधुकर फोन पर दे रहा था. बाबा और प्रकाश मधुकर के मोबाइल को कॉल डिटेल रिकॉर्ड के मुताबिक दो बजकर 48 मिनट पर मधुकर ने भोले बाबा को पहला फोन किया था. बातचीत कुल 2 मिनट 17 सेकंड हुई थी. तब बाबा मैनपुरी की तरफ बढ़ रहे थे. बाबा के मोबाइल की कॉल डिटेल और लोकेशन के मुताबिक भोले बाबा दोपहर तीन बजे से चार बज कर 35 मिनट तक यानी अगले एक घंटे 35 मिनट तक मैनपुरी के अपने आश्रम में थे.
स्विच्ड ऑफ हुआ बाबा का नंबर
इस दौरान तीन अलग-अलग नंबरों पर उनकी बात हुई. ये तीनों ही नंबर मुख्य सेवादारों और उनमें से एक की पत्नी का था. आखिरी बातचीत 4 बजकर 35 मिनट पर खत्म हुई थी. और इसी के साथ बाबा का मोबाइल भी स्विच्ड ऑफ हो गया. दो जुलाई शाम चार बजकर 35 मिनट के बाद से अब तक भोले बाबा का मोबाइल बंद है.
यूपी पुलिस को बाबा की ज़रूरत नहीं
आज तक को मिली जानकारी के मुताबिक भोले बाबा 2 जुलाई की शाम तक मैनपुरी में ही थे. लेकिन शाम सात बजे के बाद जैसे ही हर न्यूज चैनल पर हाथरस की खबर ब्रेकिंग न्यूज बन गई, बाबा मैनपुरी से खिसक लिए. इसके बाद से वो कहां हैं किसी को नहीं पता. बहुत मुमकिन है पुलिस को पता हो, लेकिन लगता है कि यूपी पुलिस को फिलहाल भोले बाबा की कोई जरूरत ही नहीं है.
आईजी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में बड़े दावे
अलीगढ़ के आईजी जोन शलभ माथुर ने गुरुवार को एक प्रेस कांफ्रेंस की. उन्होंने कहा पुलिस एक्शन में है. सेवादारों को ढूंढा जा रहा है. दबिश डाली जा रही है. कुसूरवारों को छोड़ा नहीं जाएगा. लेकिन क्या मजाल जो इनकी जुबान पर एक बार भी भोले बाबा का नाम आ जाता. पूरी प्रेस कांफ्रेंस में हर कुसूरवारों का जिक्र किया. हर गुनहगारों पर शिकंजा कसने का वादा किया. लेकिन भोले बाबा की कोई बात ही नहीं की.

बाबा का नाम लेने से बच रहे पुलिस अफसर
कमाल ये कि भोले बाबा के मुख्य सेवादार प्रकाश मधुकर का सुराग देने वालों के लिए 1 लाख रुपये के इनाम का ऐलान कर दिया. तब भी बाबा का नाम नहीं लिया. ये कुछ ऐसे ही हुआ कि पुलिस ने मर्डर के किसी केस में कातिल को तो पकड़ लिया, लेकिन क़त्ल के लिए सुपारी देने वाले को क्लीन चिट दे दी. हालांकि जब आईजी साहब ने अपनी बात पूरी कर ली, तब कई रिपोर्टर को भी बड़ा अजीब लगा कि बाबा का तो नाम ही नहीं लिया. लिहाजा रिपोर्टर ने सीधे सवाल ठोक दिया. अब जवाब तो देना ही था. तो एडीजी साहब कहते हैं कि बिल्कुल जरूरत पड़ेगी तो भोले बाबा से भी पूछताछ कर लेंगे. हम उनके पुराने जुर्मों की भी कुंडली खंगाल रहे हैं. 2000 में बाबा यौन शोषण के मामले में जेल गए थे हमें उसकी जानकारी भी मिल गई है. कमाल है आईजी साहब.
बाबा इलाके में पुलिस की एंट्री नहीं
वैसे एडीजी साहब से क्या शिकायत करें. बेचारे खुद ही बेबस नजर आए. इनकी बेबसी का आलम देखिए कि ये खुद ही बता गए कि भोले बाबा जब सत्संग में जाते हैं या प्रवचन देते हैं तो फिर उनके इलाके में पुलिस वालों की भी एंट्री नहीं है. भोले बाबा के इलाके में उनकी मर्जी के बिना क्या पुलिस क्या प्रशासन क्या सरकार. कोई नहीं घुस सकता.
पुलिस की बेचारगी!
कायदे से इस मामले में आईजी साहब की तारीफ की जानी चाहिए. उन्होंने बड़ी साफगोई से ये सच्चाई बयान की. और इस बयान से ये भी साफ हो गया कि भले ही हाथरस पुलिस और प्रशासन ने दो जुलाई की सत्संग के लिए 80 हजार लोगों की इजाजत दी हो, लेकिन सत्संग में भी पुलिस प्रशासन को जाने की इजाजत तो नहीं मिली होगी. इसी से पुलिस की बेचारगी का अंदाजा लगाया जा सकता है. अब जहां ढाई लाख लोग मौजूद हों, पुलिस प्रशासन गायब. तो फिर ऐसे किसी बड़े हादसे या भगदड़ को भला कौन और कैसे टाल सकता है?
कहां है यूपी सरकार का बुल्डोजर?
वैसे यूपी पुलिस से उम्मीद भी क्या की जाए. जब भोले बाबा का नाम एफआईआर तक में नहीं है तो फिर किस मुंह से यूपी पुलिस उनसे पूछताछ करे या उन पर हाथ डाले? यही कोई आम आदमी होता, तो अब तक तो बिना एफआईआर के ही न जाने उसके कितने ठिकानों पर बुल्डोजर चल चुका होता. ऐलानिया चीख चीख कर बुल्डोजर चलाने वाली यूपी सरकार के तमाम बुल्डोजर या तो इस वक्त जंग खा चुके हैं या शायद उसमें डीजल खत्म हो चुका है. वरना वो यही यूपी सरकार थी, जिसने सिर्फ मैसेज देने के लिए कई बार तो गलत घरों पर ही बुल्डोजर चला चुकी थी. पर जिनकी जुबान पर भोले बाबा का नाम तक नहीं आ रहा है, वो बुल्डोजर की बात करे भी तो कैसे?

बाबा के पास कहां से आई अरबों की संपत्ति?
90 के दशक में युपी पुलिस में एक कांस्टेबल की तनख्वाह 5 हजार से भी कम हुआ करती थी. 2002 के आस-पास भोले बाबा पुलिस की नौकरी छोड़ चुके थे. एक आम किसान परिवार से आते थे. लेकिन बाबा की इस दुकान ने उनकी किस्मत ऐसी चमकाई कि आज बाबा सौ करोड़ से भी ज्यादा की संपत्ति के मालिक हैं. ये तमाम संपत्ति आश्रम और आश्रम की जमीन की शक्ल में है. ये आश्रम भले ही ट्रस्ट के नाम पर है, पर सब जानते हैं कि असली मालिक कौन है.
सफेद सूट बूट और गॉगल्स वाले बाबा की अपनी पर्सनल सेना है. जिसे उन्होंने ब्लैक कमांडों का नाम दिया है. ये नाम उनके काले कपड़ों की वजह से है. ब्लैक कमांडो के अलावा बाबा के बेहद खास अस्सी के आस-पास निजी सेवादार हैं. काफिले में तीस से ज्यादा गाड़ियां हैं. और सबसे कमाल ये कि बाबा का दावा है कि वो अपने भक्तों से एक रुपये भी दान नहीं लेते हैं. तो क्या पुलिस और सरकार की ये जिम्मेदारी नहीं बनती कि वो इस बात की जांच करे कि आखिर बिना दान के बाबा इतने धनवान कैसे बन गए?
क्या करेगी न्यायिक कमेटी?
वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हमेशा की तरह इस बार भी मामले की जांच के लिए तीन सदस्यों की एक न्यायिक कमेटी बनाई गई है. दो महीने में इस कमेटी को अपनी रिपोर्ट देनी है. पर दावा है दो महीने बाद इस कमेटी की रिपोर्ट में किसी की दिलचस्पी नहीं होगी. यकीन ना हो तो पिछले दो चार ऐसे ही हादसे उठाइए, उनकी कमेटी पर नजर डालिए फिर बताइए कि उनकी रिपोर्ट का क्या हुआ. उस रिपोर्ट पर क्या कार्रवाई हुई. कितने लोग अंदर गए कितने पर जुर्माना हुआ. नहीं याद न? तो फिर हटाइए. दो महीने बाद ये भी कहां याद रहेगा.
(हाथरस से हिमांशु मिश्र, अरविंद ओझा और श्रेया चटर्जी के साथ मैनपुरी से संतोष शर्मा का इनपुट)