हरियाणा में 7 अक्टूबर को आईपीएस वाई पूरन कुमार की मौत के ठीक एक सप्ताह बाद 14 अक्टूबर को एएसआई संदीप कुमार ने खुद को गोली मारकर जान दे दी. दोनों मौतों के बीच संयोग बहुत चौंकाने वाला है. मरने से पहले दोनों ने सुसाइड नोट लिखा. दोनों ने अपने महकमे में भ्रष्टाचार और जातिवादी मानसिकता की बात कही और दोनों के आरोप बहुत ही सनसनीखेज हैं. इस मामले ने अब नया मोड़ ले लिया है.
आईपीएस पूरन कुमार की लाश अभी तक चंडीगढ़ पीजीआई के मॉर्चरी में पड़ी है. सात दिन बीत गए, लेकिन अब तक पोस्टमार्टम नहीं हुआ. परिवार की शर्त है कि जब तक उनके पति की मौत के लिए जिम्मेदार डीजीपी शत्रुजीत सिंह कपूर और रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजराणिया को गिरफ्तार नहीं किया जाता, तब तक न पोस्टमार्टम होगा, न अंतिम संस्कार. इस मामले में जमकर सियासत भी हो रही है.
परिवार का आरोप है कि आईपीएस पूरन कुमार को जातिगत भेदभाव, मानसिक उत्पीड़न और करियर बर्बाद करने की साजिश के तहत आत्महत्या के लिए मजबूर किया गया. इसी बीच, 14 अक्टूबर को रोहतक साइबर सेल में तैनात एएसआई संदीप कुमार ने अपने घर के अंदर खुद को गोली मार ली. उनके पास से 4 पन्नों का सुसाइड नोट और 6 मिनट 28 सेकंड का वीडियो बरामद हुआ.
उन्होंने भी अपने सुसाइड नोट का शीर्षक पूरन कुमार की तरह 'फाइनल नोट' रखा है. वीडियो में संदीप कुमार ने सीधे आईपीएस पूरन कुमार और उनके परिवार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. वीडियो में वह कहते हैं, ''मैं भगत सिंह का भक्त हूं. ये लड़ाई अधूरी नहीं छोड़ी जाएगी. अगले जन्म में भी इसे पूरा करूंगा.'' उन्होंने पूरन कुमार और उनके परिवार की संपत्ति की जांच की मांग की है.

उन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि पूरन कुमार ने विभाग के अंदर कई ईमानदार अफसरों को फंसाया. संदीप वही अफसर थे, जिन्होंने पूरन कुमार के करीबी हेड कांस्टेबल सुशील कुमार की गिरफ्तारी में अहम भूमिका निभाई थी. पूरन कुमार का नाम हाल ही में एक रिश्वतखोरी मामले में भी सामने आया था. रोहतक के एक शराब ठेकेदार ने उन पर 2.5 लाख रिश्वत मांगने का आरोप लगाया था.
उसका आरोप था कि आईपीएस ने हेड कांस्टेबल सुशील कुमार के जरिए पैसों की मांग की थी. पूरन कुमार ने मरने से पहले 8 पन्नों के नोट में हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर, रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजराणिया और 15 वरिष्ठ आईपीएस-आईएएस अफसरों को अपनी मौत का जिम्मेदार बताया था. उन्होंने लिखा था कि जातिगत भेदभाव और मानसिक उत्पीड़न ने उन्हें तोड़ दिया था.
यही एफआईआर में भी उनकी आईएएस पत्नी अमनीत कुमार ने कहा है, लेकिन चंडीगढ़ पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर में किसी भी अफसर का नाम शामिल नहीं किया गया. लेकिन अब कहानी पलट गई है. क्योंकि संदीप कुमार ने अपने सुसाइड नोट और वीडियो में खुद पूरन कुमार का ही नाम अपनी मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया है. यानी एक आत्महत्या का जवाब दूसरी आत्महत्या से दिया गया है.

इस घटनाक्रम के बाद हरियाणा सरकार पर चौतरफा दबाव बढ़ गया है. सोमवार रात सरकार को मजबूर होकर डीजीपी शत्रुजीत सिंह कपूर को लंबी छुट्टी पर भेजना पड़ा और ओ.पी. सिंह को कार्यवाहक डीजीपी बनाया गया. ओपी सिंह बॉलीवुड के दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के जीजा हैं. इस मामले की वजह से रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजराणिया का तबादला पहले ही किया जा चुका है.
राजनीतिक मोर्चे पर भी मामला भड़क चुका है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी चंडीगढ़ जाकर पूरन कुमार की आईएएस पत्नी अमनीत कुमार और उनकी बेटियों से मिले. राहुल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और हरियाणा सरकार से सवाल किया, ''क्यों नहीं गिरफ्तार किए जा रहे वे अफसर जिनका नाम सुसाइड नोट में लिखा है?'' उन्होंने कहा कि यह एक अधिकारी की मौत नहीं, दलित सम्मान और न्याय की लड़ाई है.

मंगलवार को राहुल गांधी ने कहा, ''देश के करोड़ों दलितों तक गलत संदेश जा रहा है कि यदि आप दलित हैं, तो आपको कुचला जा सकता है.'' कांग्रेस के अलावा दलित संगठनों और विपक्षी नेताओं ने भी इस मुद्दे पर प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं. रोहतक में महापंचायत ने सरकार को 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया था कि जब तक जिम्मेदार अफसरों की गिरफ्तारी नहीं होगी, आंदोलन तेज किया जाएगा.
सोमवार रात वह मियाद भी खत्म हो गई. पूरन कुमार की मौत की जांच के लिए छह सदस्यीय एसआईटी का गठन किया गया है. अदालत ने भी पूरन कुमार की पत्नी को 15 अक्टूबर तक शव की पहचान और पोस्टमार्टम के लिए जवाब दाखिल करने का नोटिस भेजा है. सवाल अब यह है कि क्या संदीप कुमार की मौत पर भी आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज होगा? ये संयोग है या साजिश?