देश में कोरोना वायरस की स्थिति जैसे- जैसे नियंत्रण में आ रही है उसका सीधा असर बाजारों में दिखाई पड़ रहा है. त्योहारी मौसम में लोगों की भीड़ खरीदारी के लिए उमड़ने लगी है. दिल्ली हो या मुंबई, कोलकाता हो या कानपुर... हर छोटे-बड़े शहर में लोग दीपावली के चलते बाजारों में पहुंचने लगे हैं जिसके चलते सोशल डिस्टेंसिंग और कोरोना के नियमों की धज्जियां उड़ती दिखाई दे रही हैं.
राजधानी दिल्ली में भी कोविड संकट कम हुआ है, लेकिन सरोजनी नगर, लाजपत नगर, सदर बाजार, पहाड़गंज रोड, करोल बाग जैसे मशहूर बाजारों में लोगों की बेतहाशा भीड़ बड़े खतरे की ओर दस्तक दे रही है. जब से कोरोना वायरस ने दस्तक दी है तब से कारोबार पर संकट के बादल छाए हुए हैं. लेकिन हालात बेहतर होते ही अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटने लगी है. कारोबारियों के मन में न सिर्फ महामारी को लेकर चिंता है बल्कि कारोबार को पटरी पर लाने का संघर्ष भी उनके सामने खड़ा है.
पिछले कुछ दिनों से सरोजनी नगर बाजार खरीदारों से गुलजार है क्योंकि दूसरी लहर के बाद से यहां कारोबार के आगे संकट खड़ा हो गया था और अब इस त्योहारी मौसम में कारोबारियों को उम्मीद है कि जो घाटा 19 महीने हुआ है उसकी थोड़ी भरपाई वो इन त्योहारों में कर सकें.
कोरोना नियमों की उड़ रही धज्जियां
खरीदारी के जोश में क्या खरीददार और क्या दुकानदार कई लोग ना तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते दिखाई पड़ते हैं और ना ही मास्क लगाना जरूरी समझते हैं. कानपुर के रहने वाले नरेश कुमार सालों से सरोजनी नगर में बाजार लगाते हैं. वह कहते हैं कि अब बाजार में रौनक तो आई है जिससे उन्हें इस बात की उम्मीद है कि अब तक जो घाटा हुआ है उसकी स्थिति में थोड़ा सुधार होगा. नरेश कुमार कहते हैं कि महामारी का डर तो है लेकिन रोजी रोटी भी कमानी है. यही त्यौहार है जो हमें थोड़ी बहुत आर्थिक मदद करेगा.
जगह- जगह तैनात दिल्ली सरकार के मार्शल
ऐसे बाजारों के कई कारोबारियों के सामने यही संकट खड़ा है कि वह कोरोना वायरस नियमों का पालन कैसे करवाएं. वहीं अगर बाजार में भीड़ कम हुई तो आखिर उनकी कमाई कैसे होगी. हालांकि साप्ताहिक बाजारों में दिल्ली सरकार की ओर से मार्शल और सिविल डिफेंस कार्यकर्ता तैनात हैं जो नियम तोड़ने वालों का चालान करते हैं. लेकिन मास्क ना पहनने वालों की संख्या कहीं ज्यादा है और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की धज्जियां उड़ाने वालों की संख्या गिनी ही नहीं जा सकती.
ग्राहकों से मास्क पहनने की अपील कर रहे दुकानदार
जुबेर भी सरोजिनी नगर में अपनी दुकान लगाते हैं और कहते हैं कि अब भीड़ आने लगी है तो कारोबार भी ठीक हो रहा है लेकिन भीड़ नहीं आई तो हम कमाएंगे कैसे क्योंकि जब से महामारी आई है तब से कारोबार पटरी पर नहीं लौट पाया है. जुबेर जैसे कई दुकानदार ऐसे है जो आने वाले हर ग्राहकों को कम से कम मास्क पहनने की अपील जरूर करते हैं जिनमें कुछ लोग मान जाते हैं तो कई लोग ऐसे हैं जो नियमों की परवाह नहीं करते.
कोलकाता में भी बुरा हाल
इधर, दीपावली से पहले पश्चिम बंगाल के कोलकाता के बाजारों में भी जबरदस्त भीड़ देखी जा रही है. ये भी ऐसे समय में जब बंगाल में हर दिन 900 के आसपास कोरोना मामले सामने आ रहे हैं. खास तौर पर कोलकाता की बड़ा बाजार बागड़ी मार्केट न्यू मार्केट इलाके में दीपावली की खरीदारी के लिए भारी संख्या में भीड़ उमड़ रही है. आलम यह है कि फिजिकल डिस्टेंसिंग का बिल्कुल भी पालन नहीं हो पा रहा है और कई लोग तो बगैर मास्क के घूम रहे हैं. इनमें से बहुत लोग ऐसे हैं जिन्हें वैक्सीन लग चुकी है तो करोना का डर भी खत्म हो चुका है. इनका तर्क है कि वैक्सीन लग चुकी है अब हमें कुछ नहीं होगा. लेकिन हकीकत में कोलकाता में लगभग 20% के ऐसे मामले आ रहे हैं जहां वैक्सीन के दोनों डोज लगने के बावजूद संक्रमण फैल रहा है.
पिछले 24 घंटे का आंकड़ा अगर हम देखे तो समूचे बंगाल में 914 कोरोना के मामले सामने आए हैं इनमें से सिर्फ कोलकाता में ही 274 मामले सामने आए हैं. कोलकाता में 6 लोगों की मौत हुई है. जबकि समूचे पश्चिम बंगाल में पिछले 24 घंटे में 15 लोगों की मौत हो चुकी है. हालांकि पॉजिटिविटी दर 2% से कुछ नीचे आ गई है लेकिन डॉक्टर्स के मुताबिक कोरोना का खतरा अभी भी बड़ी सख्ती से बना हुआ है. दीपावली में जिस तरह की भीड़ हो रही है इससे कोरोना बढ़ना स्वाभाविक है क्योंकि दुर्गा पूजा के दौरान भी हजारों की भीड़ दुर्गा पूजा देखने कोलकाता की सड़कों पर उमड़ी थी. यहां कोरोना प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ाई गई थीं और इसी के ठीक बाद खासतौर पर कोलकाता में कोरोना मरीजों की संख्या अचानक से बढ़ने लगी थी.
अहमदाबाद के सबसे पुराने बाजार में हालात बदतर
वहीं गुजरात के अहमदाबाद के सबसे बड़े बाजार लाल दरवाजा एवं तीन दरवाजा क्षेत्र के अंदर दिवाली पर्व को लेकर खरीदी का माहौल देखा जा रहा है. अहमदाबाद का यह सबसे पूराना और सबसे सस्ता बाजार माना जाता है. अहमदाबाद के इस बाजार के अंदर गुजरात के अलग-अलग जिलों से नागरिक खरीदारी करने के लिए आते हैं. दिवाली के दूसरे दिन गुजरात में नया साल मनाया जाता हे, जिस वजह से गुजरात में लोगों को दिवाली का जोश काफ़ी ज्यादा होता है.
इसलिए बड़ी संख्या में नागरिक हर साल की तरह इस बार भी इस बाजार में उमड़ पड़े हैं. साल 2020 की बात करें तो कोरोना के डर की वजह से एवं सरकार की गाइडलाइन के तहत यहां पर बाजार नहीं लगा था. लेकिन इस बार वैक्सीनेशन होने की वजह से एवं सरकार की छूट की वजह से बाजार लगा है. यहां बाजार के अंदर घूम रहे नागरिक सरकार की कोरोना की गाइडलाइन के धज्जियां उड़ा रहे हैं. खरीदारी के दौरान नागरिक बिना मास्क, बिना सोशल डिस्टेंसिंग के बाजार में घूम रहे हैं. यह खतरनाक नजारा गुजरात के साथ देश के लिए घातक बन सकता है. यहां पर आने वाले नागरिकों का रवैया सरकार की गाइड लाइन से बिल्कुल परे है.