केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने केरल की स्वास्थ्य मंत्री पर कोरोना के फैलाव को रोकने में असफल रहने का आरोप लगाया है. उन्होंने मंगलवार को आरोप लगाया कि केरल की स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा प्रदेश में कोविड-19 को फैलने से रोकने में विफल रही हैं. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री कोरोना संक्रमण को रोकने के बजाय फैशन पत्रिकाओं के कवर पेज पर अपनी जगह बनाने में ज्यादा व्यस्त रही हैं.
वी मुरलीधरन ने तिरुवनंतपुरम में कहा कि एलडीएफ सरकार महामारी से निपटने में विफल रही है और मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को स्पष्ट करना चाहिए कि नाकामी के लिए कौन जिम्मेदार है.
उन्होंने कहा, 'केरल अब वह राज्य है जहां एक दिन में सर्वाधिक मामले आ रहे हैं. मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ने लोगों को गुमराह किया है और हालात बिगड़े हैं. पांच जिलों में हालात बदतर हैं. केंद्र सरकार की टीम ने केरल की मौजूदा स्वास्थ्य व्यवस्था का जायजा लिया है और मैं जानता हूं कि उन्होंने क्या कहा है? फाइनल रिपोर्ट आने के बाद सबको सच्चाई मालूम हो जाएगी.'
मुरलीधरन ने कहा कि केरल में कोविड-19 से मरने वालों का प्रतिशत मृत्यु दर कैलकुलेटेड है. यहां पर कोरोना से बचाव के लिए वैश्विक गाइडलाइन के स्टैंडर्ड का पालन नहीं किया गया है. बाकी राज्यों में कोरोना अब नियंत्रण में है लेकिन केरल में अब भी हालात ठीक नहीं हैं. यह एक गंभीर मसला है. कोविड-19 के आंकड़े बताते हैं कि इस महामारी से मरने वाले 40 प्रतिशत लोग केरल से हैं.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगर कोविड-19 की रोकथाम की गतिविधियों में सफलता का श्रेय राज्य सरकार को जाता है तो मुख्यमंत्री को स्पष्ट करना चाहिए कि मौजूदा हालात के लिए कौन जिम्मेदार है. उन्होंने कहा, 'क्या स्वास्थ्य मंत्री फैशन पत्रिकाओं का चेहरा बनने की जल्दबाजी में मौजूदा हालात से अनजान हैं?'
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा अब भी कह रही हैं कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में केरल सबसे आगे रहा है. मुझे समझ नहीं आ रहा यह सच कैसे हो सकता है?