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कोरोना

भारत के लिए खतरे की घंटी, बिना लक्षण वाले कोरोना की चपेट में सबसे ज्यादा

भारत के लिए खतरे की घंटी, बिना लक्षण वाले कोरोना की चपेट में सबसे ज्यादा
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इंडिया टुडे के ई-कॉन्क्लेव की सीरीज में सोमवार को अमेरिका के प्रसिद्ध वायरलॉजिस्ट और बायोटेक इन्वेस्टर पीटर कोलचिन्स्की ने हिस्सा लिया और कोरोना के खतरे से जुड़ीं कई अहम जानकारियां दीं. पिछले कुछ दिनों से कोरोना वायरस के संक्रमण से जुड़े जिस पहलू की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है- वो है बिना लक्षण वाले कोरोना संक्रमण के मामले. भारत समेत पूरी दुनिया में बड़ी तादाद उन लोगों की हो गई है जो कोरोना वायरस से संक्रमित तो हैं लेकिन उनमें किसी भी तरह के लक्षण नजर नहीं आए हैं. मशहूर वॉयरलॉजिस्ट पीटर कोलचिन्स्की ने भी कोरोना वायरस के बिना लक्षण वाले मामलों को सबसे बड़ी चुनौती करार दिया.
भारत के लिए खतरे की घंटी, बिना लक्षण वाले कोरोना की चपेट में सबसे ज्यादा
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वायरलॉजिस्ट ने बताया कि कोरोना वायरस को इसलिए सबसे शातिर कहा जा सकता है क्योंकि यह लोगों को चुपचाप संक्रमित कर दे रहा है. यह इंसानों के श्वसन तंत्र में पहुंचकर तेजी से अपनी संख्या बढ़ाने लगता है.
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वायरलॉजिस्ट ने बताया, कोरोना वायरस से संक्रमित होने पर कई लोगों में कोई लक्षण ही नहीं दिखते हैं जिसकी वजह से संक्रमित लोगों की पहचान कर उन्हें आइसोलेट करने का काम मुश्किल हो जाता है. जब तक कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों में लक्षण दिखते हैं, तब तक यह अपना संक्रमण दूसरों में भी फैलाना शुरू कर देता है. कुछ लोगों में इसके बेहद हल्के लक्षण ही नजर आते हैं जिसकी वजह से ये पकड़ में आने से बच जाता है.
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वायरलॉजिस्टर पीटर ने बताया कि ए-सिम्प्टमैटिक यानी बिना लक्षण वाले कोरोना संक्रमितों से वायरस बड़ी आसानी से किसी शख्स में फैल सकता है. ये बात करते वक्त भी एक इंसान से दूसरे इंसान में फैल सकता है. मुझे लगता है कि वायरस के संक्रमण में हमें अपनी भूमिका को लेकर बेहद सतर्क रहना होगा. अगर आप सावधानी बरतते हैं तो आप दूसरों की भी भलाई कर रहे हैं.
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वायरलॉजिस्ट ने कहा कि अगर 80 फीसदी लोग ए-सिम्प्टमैटिक (बिना लक्षण वाले मामले) हैं तो दुनिया में मृत्यु दर 1 फीसदी हो सकती है. लेकिन समस्या ये है कि अगर दुनिया में 0.2 फीसदी भी मरते हैं तो बहुत ज्यादा लोगों की मौत होगी.
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इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने भी सोमवार को इस बात को लेकर चिंता जताई कि कोरोना वायरस के 80 फीसदी मामले बिना लक्षण वाले मामले ही हैं. प्रेस कॉन्फ्रेंस में आईसीएमआर के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. रमन गंगाखेड़कर ने कहा, अगर 100 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित होता है तो उनमें से 80 फीसदी में या तो कोई लक्षण नहीं है या तो बेहद हल्के लक्षण हैं.
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डॉ. गंगाखेड़कर ने कहा कि ये भारत के लिए सबसे चिंताजनक बात है. बिना लक्षण वाले संक्रमित लोगों की पहचान करना मुश्किल हो जाता है. ऐसे मामलों का पता लगाने के लिए कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के अलावा कोई और रास्ता नहीं रह जाता है.
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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी इस खतरे को लेकर आगाह किया था. दिल्ली सीएम ने कहा कि राज्य में 186 कोरोना संक्रमितों में कोई लक्षण नहीं दिखे. आईसीएमआर के वैज्ञानिक ने कहा कि देश की बड़ी आबादी को देखते हुए हर किसी का टेस्ट करना संभव नहीं है. हमें ये याद रखना होगा कि ए-सिम्प्टमैटिक मरीज भी किसी ना किसी के संपर्क में आया होगा. अगर लैब कन्फर्म या लक्षण वाले मरीज पूरी सावधानी बरतते हैं तो दूसरों में संक्रमण नहीं फैलेगा. सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करना होगा. अभी तक विज्ञान में ए-सिम्प्टोमैटिक की पहचान संभव नहीं हो पाई है. ऐसे में लक्षण ना दिखाई देने पर भी लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का सख्ती से पालन करना होगा.
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वैज्ञानिक के मुताबिक, साल के अंत तक वैक्सीन बन सकती है. हालांकि, सबसे पहले यह स्वास्थ्कर्मियों और कोरोना के गंभीर खतरे में आने वाले लोगों की दी जाएगी. उसके बाद अगले साल की पहली तिमाही तक ये बाकी लोगों को भी मुहैया हो सकती है.
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