भारत से कुछ अमीर और करोड़पति लोगों के विदेश जाने को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है. इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) के सदस्य और प्रसिद्ध अर्थशास्त्री संजीव सान्याल ने एक अहम बात कही है. उनके मुताबिक, इसकी वजह सिर्फ बेहतर जीवन-स्तर या टैक्स नहीं है, बल्कि भारत के बड़े कारोबारियों में बदलाव और प्रतिस्पर्धा की कमी भी एक बड़ा कारण है.
आर्थिक सलाहकार और इतिहासकार संजीव सान्याल ने कहा है कि भारत से करोड़पति बाहर जाने के पीछे केवल पॉल्यूशन या हाई लाइस्टाइल की बात नहीं है, बल्कि देश के व्यावसायिक एलिट क्लास (Business Elite) में जरूरी बदलाव का अभाव भी एक गहरा कारण है. सान्याल ईकोनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल टू द प्रधानमंत्री (EAC-PM) के सदस्य हैं, और उन्होंने यह टिप्पणी एक पॉडकास्ट के दौरान की.
भारतीय क्यों बसते हैं विदेश में?
संजीव सान्याल का कहना है कि भारत में बड़े उद्योगों और कारोबारी घरानों में लंबे समय से वही लोग हावी हैं. नई कंपनियों और नए उद्यमियों को आगे बढ़ने के मौके कम मिलते हैं. जब किसी देश के बिजनेस सेक्टर में नए चेहरे और नई सोच नहीं आती, तो इनोवेशन भी कमजोर पड़ जाता है. ऐसे माहौल में कई अमीर लोग अपने कारोबार और निवेश को विदेश ले जाना ज्यादा सुरक्षित समझते हैं.
उन्होंने बताया कि कई पुराने कारोबारी जोखिम लेने से बचते हैं और बदलाव की बजाय अपने फायदे बचाने पर ज्यादा ध्यान देते हैं. यही वजह है कि वे दुबई जैसे देशों में फैमिली ऑफिस या निवेश केंद्र बना लेते हैं. सान्याल के मुताबिक, यह सिर्फ भारत की समस्या नहीं है, बल्कि कई देशों में ऐसा देखने को मिलता है.
संजीव सान्याल ने यह भी कहा कि बड़े उद्योगों को रिसर्च और नई तकनीक में ज्यादा निवेश करना चाहिए. लेकिन ऐसा बहुत कम हो रहा है. कई कंपनियां CSR यानी कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी पर तो खर्च करती हैं, लेकिन असली उत्पादन, तकनीक और रिसर्च में निवेश कम होता है. इससे लंबे समय में देश की आर्थिक ताकत कमजोर होती है.
युवा उद्यमी रिस्क लेने से नहीं डरते
उन्होंने भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम की तारीफ करते हुए कहा कि युवा उद्यमी, खासकर बेंगलुरु जैसे शहरों में, जोखिम लेने से नहीं डरते. यही वजह है कि स्टार्टअप सेक्टर में तेजी से नए आइडिया और नई कंपनियां सामने आ रही हैं. सान्याल मानते हैं कि यही सोच बड़े उद्योगों में भी आनी चाहिए.
संजीव सान्याल का मानना है कि किसी भी मजबूत अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी है कि वहां असफलता को भी स्वीकार किया जाए. अगर कोई बड़ी कंपनी काम नहीं कर पा रही है, तो उसे बंद होने देना चाहिए, ताकि नई कंपनियों को मौका मिल सके. उन्होंने जेट एयरवेज और बैंकिंग संकट का उदाहरण देते हुए कहा कि पुराने सिस्टम के टूटने से ही नए अवसर पैदा होते हैं.
अंत में उन्होंने कहा कि अगर भारत को आगे बढ़ना है, तो बिजनेस सेक्टर में लगातार बदलाव, नई सोच और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा जरूरी है. तभी देश में निवेश भी बढ़ेगा और करोड़पतियों का पलायन भी रुकेगा. बता दें, हेनले एंड पार्टनर्स की 2025 की रिपोर्ट के मुताबिक लगभग 3,500 करोड़पति भारत छोड़कर जा सकते हैं. जबकि 2023 में यह संख्या 5,100 और 2024 में 4,300 थी.