अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने हाल ही में दुनियाभर के देशों पर नए टैरिफ यानी आयात शुल्क की घोषणा की है. इसे 'रेसिप्रोकल टैरिफ (Teciprocal Tariff)' कहा जा रहा है, जिसका मतलब है कि अमेरिका अब दूसरे देशों से वही शुल्क वसूलेगा जो वो अमेरिकी सामानों पर लगाते हैं. इस फैसले ने दुनियाभर में हलचल मचा दी है. कई देशों की अर्थव्यवस्था पर इसका गहरा असर पड़ सकता है लेकिन भारत के लिए ये खबर कुछ राहत भरी भी हो सकती है.
दरअसल, अमेरिका ने सभी देशों पर 10% का बेस टैरिफ लगाया है. इसके अलावा भारत पर 26% का अतिरिक्त टैरिफ होगा. चीन पर 34%, वियतनाम पर 46% और बांग्लादेश पर 37% अतिरिक्त टैरिफ लगेगा. इसके अलावा इंडोनेशिया पर 32%, यूरोपीय संघ पर 20% और जापान पर 25% टैरिफ लगेगा. इससे टैरिफ के बावजूद भारत का निर्यात ज्यादातर देशों के मुकाबले अमेरिका में सस्ता रहेगा, क्योंकि एक तो मुकाबले वाले देशों से भारत के सामानों पर कम टैक्स लगेगा और दूसरा जिन देशों के सामानों पर भारत से कम टैरिफ लिया जा रहा है उनकी तुलना में भारत के सामान सस्ते होते हैं.
व्यापार घाटा खत्म करेगा 'ट्रंप टैरिफ'!
ट्रंप का कहना है कि अमेरिका हर साल 1.2 ट्रिलियन डॉलर का व्यापार घाटा झेल रहा है यानी US जितना सामान बेचता है उससे कहीं ज्यादा खरीदता है. इसे कम करने के लिए ट्रंप ने ये कदम उठाया है. लेकिन सवाल ये है कि भारत जैसे देशों के लिए ये कितना नुकसानदायक है या फिर फायदेमंद हो सकता है? भारत पर 26% टैरिफ लगा है, जो कई दूसरे देशों की तुलना में कम है. मसलन, वियतनाम पर 46% और चीन पर 34% शुल्क है. ये देश अमेरिका को भारत से निर्यात किए जाने वाले कई सामानों में टक्कर देते हैं.
ऐसे में भारत इस स्थिति में थोड़ा मजबूत दिखाई दे रहा है. इस भरोसे की एक बड़ी वजह ये भी है कि भारत और अमेरिका एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बाइलैटरल ट्रेड एग्रीमेंट) पर बात कर रहे हैं. अगर ये समझौता हो गया तो भारत को इन टैरिफ से राहत मिल सकती है. साथ ही, भारत के एक्सपोर्टर्स को अपने प्रतिद्वंद्वियों जैसे चीन और वियतनाम की तुलना में फायदा हो सकता है क्योंकि उन पर ज्यादा टैरिफ है.
किन सेक्टर्स पर होगा असर?
भारत ने अप्रैल-फरवरी 2025 के दौरान अमेरिका को 395.63 अरब डॉलर कीमत का सामान निर्यात किया था यानी भारत के लिए अमेरिका सबसे बड़ा एक्सपोर्ट डेस्टिनेशन है. ऐसे में टैरिफ बढ़ने से भारत के जिन सेक्टर्स के प्रभावित होने की आशंका है उनमें टेक्सटाइल और कपड़े, आईटी-इलेक्ट्रॉनिक्स और कृषि उत्पाद जैसे मछली और चावल शामिल हैं. उदाहरण के लिए, भारत हर साल अमेरिका को 8 अरब डॉलर के कपड़े और 5 अरब डॉलर के कृषि उत्पाद भेजता है. 26% टैरिफ से इनकी कीमतें बढ़ेंगी जिससे थोड़ा नुकसान हो सकता है. लेकिन अच्छी बात ये है कि बांग्लादेश पर 37% और वियतनाम पर 47% टैरिफ है. ऐसे में भारत के कपड़े अमेरिका में सस्ते मिल सकते हैं.
हर साल 2396 रुपये घटेगी कमाई!
अर्थव्यवस्था पर इन टैरिफ का असर ज्यादा गहरा नहीं होगा और इस कदम से भारत की जीडीपी में 0.19% की कमी का ही अनुमान है, क्योंकि फिलहाल वैश्विक निर्यात में भारत की हिस्सेदारी महज 2.4% है. इस प्रभाव को अगर प्रति परिवार पर डालकर देखा जाए तो सालाना 2396 रुपये का नुकसान हो सकता है. दरअसल, भारत की घरेलू मांग बहुत मजबूत है, जिससे हमारी अर्थव्यवस्था 6.5-7.5% की रफ्तार से बढ़ती रहेगी. HDFC बैंक और डेलॉयट जैसी संस्थाओं का मानना है कि भारत को 'टैरिफ आर्बिट्रेज' का फायदा मिलेगा, यानी हमारे सामान दूसरों की तुलना में सस्ते रहेंगे.
अमेरिका में 'स्टैगफ्लेशन' का खतरा!
लेकिन बाकी दुनिया के लिए हालात मुश्किल हो सकते हैं. अमेरिका में ये टैरिफ महंगाई बढ़ा सकते हैं. अगर डॉलर की कीमत नहीं बढ़ी तो वहां के लोग 26% महंगे सामान खरीदेंगे. इससे अमेरिका में 'स्टैगफ्लेशन' का खतरा है, यानी महंगाई बढ़ेगी और विकास रुकेगा. जवाबी टैरिफ लगाने पर यूरोप और एशिया जैसे इलाकों को भी नुकसान होगा. भारत के लिए मौका ये है कि वो नए बाजार तलाशे और यूरोपीय यूनियन या खाड़ी देशों के साथ व्यापार बढ़ाए. इसके अलावा भारत की रणनीति में घरेलू उत्पादन बढ़ाना भी शामिल है. अगर भारत अमेरिका, यूके, बहरीन, कतर के साथ ट्रेड डील करने में कामयाबी हासिल कर लेता है तो टेक्सटाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, सेमीकंडक्टर सेक्टर को फायदा मिल सकता है.
कैसे कम होगी टैरिफ की टेंशन?
भारत सरकार भी मौजूदा हालातों से निपटने के लिए तैयार है. घरेलू उद्योगों को बचाने और डंपिंग रोकने के कदम उठाए जा रहे हैं. इसके अलावा अमेरिका के साथ ट्रेड डील को जल्द पूरा करने की कोशिश हो रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि ये टैरिफ भारत के लिए एक मौका भी है. मसलन, टेक्सटाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स में भारत अपनी हिस्सेदारी बढ़ा सकता है. फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन का अनुमान है कि अगले 2-3 साल में भारत को 50 बिलियन डॉलर का बाजार मिल सकता है. तो कुल मिलाकर, ट्रंप के टैरिफ से जहां दुनिया चिंतित है, वहीं भारत के लिए ये चुनौती के साथ एक अवसर भी है. सरकार और निर्यातकों को मिलकर नई रणनीति बनानी होगी, ताकि हम इस बदलते व्यापारिक माहौल में आगे बढ़ सकें.