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House Rent India: मुंबई-पुणे नहीं, नोएडा में बढ़ रहा है सबसे तेजी से घर का किराया, जानिए क्या कारण

Home Rent: एक्सपर्ट्स के मुताबिक कोरोना महामारी के बाद शहरों में घरों की डिमांड तेजी से बढ़ी है. मॉडर्न हाउसिंग सोसाइटी और नई बिल्डिंग्स के आने से किराया महंगा हुआ है. घर की लोकेशन और डिजाइन के हिसाब से भी किराया तय हो रहा है.

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किराए पर रहने के लिहाज से महंगा शहर है नोएडा.
किराए पर रहने के लिहाज से महंगा शहर है नोएडा.

शहरों में रहने वाले लोगों के लिए घर का किराया अब सबसे बड़ी चिंता बन चुका है. पिछले कुछ बरसों में किराये में इतनी बढ़ोतरी हुई है कि लोगों की इनकम का बड़ा हिस्सा केवल किराया देने में खर्च हो जाता है. नोएडा, गुरुग्राम, पुणे और बेंगलुरु जैसे शहरों में किराया आसमान छू रहा है. मुंबई, जहां पहले से ही किराया सबसे ज्यादा था, वहां भी लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. 

अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो पिछले 3 साल में घरों के रेंट में 30 फीसदी तक का इजाफा हुआ है. 2025 में वैसे तो बाजार के स्थिर रहने की उम्मीद की जा रही है लेकिन ये अनुमान तभी सटीक साबित होगा जब सप्लाई और डिमांड का बैलेंस बना रहेगा. 

नोएडा में सबसे ज्यादा उछाल

अगर देश में हाउसिंग रेंट में हो रही बढ़ोतरी के ट्रेंड पर नजर डालें तो इसमें टॉप पर है. नोएडा का सेक्टर-150 जहां किराया 22 फीसदी तक बढ़ा है. पुणे के SMR एरिया में किराये 12.2 फीसदी तक बढ़ा है. वहीं बेंगलुरु, हैदराबाद और गुरुग्राम में 16 फीसद किराये बढ़ा है. मुंबई में सबसे कम 10 परसेंट से भी कम बढ़ोतरी दर्ज की गई है. 

आइए अब जानते हैं कि आखिर घर का किराया बढ़ने की वजह क्या है? एक्सपर्ट्स के मुताबिक कोरोना महामारी के बाद शहरों में घरों की डिमांड तेजी से बढ़ी है. मॉडर्न हाउसिंग सोसाइटी और नई बिल्डिंग्स के आने से किराया महंगा हुआ है. घर की लोकेशन और डिजाइन के हिसाब से भी किराया तय हो रहा है. लैंडलॉर्ड्स अपने निवेश के हिसाब से किराया बढ़ा रहे हैं. महंगाई, प्रॉपर्टी टैक्स और डिमांड-सप्लाई असंतुलन भी किराये में बढ़ोतरी की बड़ी वजहें हैं. 

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किराये में बढ़ोतरी का क्या कारण?

सबसे बड़ा सवाल है कि आम आदमी इन बढ़ती कीमतों का सामना कैसे करेगा? एक औसत कमाने वाले शख्स की आमदनी का बड़ा हिस्सा किराये में चला जाता है. घरेलू कंजम्पशन एक्सपेंडीचर सर्वे 2023-24 के मुताबिक कुल घरेलू खर्च में किराये का हिस्सा 6.58 फीसदी तक पहुंच गया है. 1999 में ये 4.46 परसेंट था, जो लगातार बढ़ रहा है. हर सर्वे में किराये की दरों में इजाफा दर्ज किया गया है. 

ऐसे में अगर इस मुद्दे का जल्द ठोस समाधान कदम नहीं हुआ तो किराये की ये बढ़ती दरें आम आदमी की जेब पर और भारी पड़ सकती हैं. शहरों में रहने वालों के लिए किराये पर घर लेकर रहना मुश्किल हो सकता है. घरों की कीमतों में बीते 3 साल में आए उछाल ने पहले ही घर का मालिक बनने का सपना बेहद मुश्किल बना दिया है. 
 

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