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रोटी, कपड़ा और मकान... अब पुरानी बात, जानिए लोग कहां कर रहे हैं सबसे ज्यादा खर्च?

Indian Spending Priorities: नेशनल अकाउंट्स स्‍टैटिस्टिक्‍स 2024 के आंकड़े इस बदलाव की गवाही दे रहे हैं जिनके मुताबिक बीते 10 साल में भारतीय ग्राहकों के खर्च के पैटर्न में बड़ा बदलाव आया है.

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Indian New Spending Pattern
Indian New Spending Pattern

रोटी, कपड़ा और मकान भारत में हर आम और खास की सबसे बड़ी जरूरतों में शामिल रहे हैं. लेकिन आज की तारीख में 'रोटी, कपड़ा और मकान' से जुड़ी जद्दोजहद काफी हद तक बदल चुकी है. भारतीय ग्राहक अब बुनियादी जरूरतों से ऊपर उठकर सर्विसेज और सुविधाओं पर जमकर पैसा खर्च कर रहे हैं.

नेशनल अकाउंट्स स्‍टैटिस्टिक्‍स 2024 के आंकड़े इस बदलाव की गवाही दे रहे हैं जिनके मुताबिक बीते 10 साल में भारतीय ग्राहकों के खर्च के पैटर्न में बड़ा बदलाव आया है, इसमें कहा गया है कि 2012-13 से 2022-23 के बीच Private Final Consumption Expenditure यानी PFCE में खाने-पीने, कपड़े और घर जैसी जरूरतों का हिस्सा घटा है, जबकि स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों पर खर्च तेजी से बढ़ा है. 

अब इन चीजों पर लोग कर रहे खर्च 

आंकड़ों के मुताबिक बीते 10 साल में स्वास्थ्य क्षेत्र पर खर्च 8.2 फीसदी बढ़ा है, जबकि एजुकेशन पर क्षेत्र साढ़े 7 परसेंट, ट्रांसपोर्ट पर 8.2 फीसदी,  कम्युनिकेशन पर 7.8 परसेंट और पैकेज्ड फूड पर खर्च 10.4 परसेंट बढ़ा है.

इससे कुल PFCE में औसतन 6 फीसदी का इजाफा हुआ है. लेकिन इस दौरान घर और कपड़ों पर खर्च घट गया है. नेशनल अकाउंट्स स्‍टैटिस्टिक्‍स के डेटा में कहा गया है कि खाने-पीने का खर्च भले ही अब भी सबसे बड़ा हिस्सा है, लेकिन अब ये साढ़े 30 परसेंट से घटकर 28.2 फीसदी हो गया है. 

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पैकेज्ड फूड की डिमांड में तेजी 
घर खर्च का हिस्सा 16.4 फीसदी से घटकर 13 परसेंट और कपड़ों पर खर्च का हिस्सा 6.1 फीसदी से घटकर 4.8 फीसदी हो गया है. इसके साथ ही खाने-पीने के सेगमेंट्स में भी बदलाव देखने को मिल रहा है. आंकड़ों के मुताबिक बीते 10 साल में मीट पर खर्च 8.7 फीसदी बढ़ा है. जबकि मछली और समुद्री भोजन पर 8.3 परसेंट और अंडों पर खर्च में 7.1 फीसदी का इजाफा हुआ है. 

पहले लोग घर पर खाना बनाने को प्राथमिकता देते थे, लेकिन अब रेडीमेड और पैकेज्ड फूड की मांग बढ़ गई है. ये लाइफस्टाइल में आए बड़े बदलाव का संकेत हैं. इससे पता चलता है कि भारत की अर्थव्यवस्था  बदल रही है और उपभोक्तावाद बढ़ रहा है. यही वजह है कि लोग अब कैब और ट्रांसपोर्ट सर्विसेज का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं. 

ये बदलाव भारत की अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक है. इससे सर्विसेज सेक्टर को बढ़ावा मिलेगा जिससे देश की ग्रोथ में तेजी आएगी. भारतीय ग्राहकों की प्राथमिकताओं और उनके खर्च के तरीकों में ये बदलाव देश की आर्थिक तरक्की और बदलती लाइफस्टाइल की कहानी बयान करते हैं. हालांकि आने वाले समय में ये देखना दिलचस्प होगा कि ग्राहकों के खर्च में और क्या क्या बदलाव आते हैं. 
 

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