रेल मंत्रालय ने देश में प्राइवेट ट्रेनें चलाने के लिए चल रही करीब 30 हजार करोड़ रुपये की बिडिंग प्रक्रिया को निरस्त कर दिया है. निजी ट्रेन चलाने की इस बिडिंग में कंपनियों ने कुछ खास उत्साह नहीं दिखाया था. इसकी वजह यह मानी जा रही है कि बिडिंग की शर्तें रेलवे के पक्ष में ज्यादा हैं और कंपनियों को फायदा कम है.
अब क्या होगा?
एक वरिष्ठ सरकारी सूत्र ने हमारी सहयोगी वेबसाइट BusinessToday.In को बताया, 'निजी ट्रेनों के संचालन के लिए मौजूदा टेंडर्स को रद्द कर दिया गया है और निजी भागीदारी के लिए कुछ प्रावधानों में बदलाव करते हुए नए बिड जल्दी ही जारी किए जाएंगे. मंत्रालय ने हाल के टेंडर प्रक्रिया से सबक लेते हुए नए बिड पर काम करना भी शुरू कर दिया है.'
ये है योजना
गौरतलब है कि पिछले साल जुलाई में ही रेल मंत्रालय ने देश के 12 क्लस्टर में निजी ट्रेनें चलाने के लिए बोली आमंत्रित की थी. इन सभी क्लस्टर में 109 जोड़ी ट्रेनों का संचालन किया जाना है. कहा गया था कि बिड जीतने वाली फर्म को रेवेन्यू बिजनेस मॉडल के आधार पर 35 साल की रियायती अवधि दी जाएगी.
कम हुई रुचि
इस प्रोजेक्ट में GMR Highways, IRCTC, IRB इन्फ्रा, Cube हाइवे, CAF इंडिया जैसी कई कंपनियों ने रुचि दिखाई थी. लेकिन आरएफपी चरण यानी फाइनेंशियल बिडिंग के दौर तक आते-आते मैदान में सिर्फ दो कंपनियां IRCTC और Megha इंजीनियरिंग एवं इन्फ्रास्ट्रक्चर बची रह गईं. इन दोनों कंपनियों ने भी महज दो क्लस्टर में ट्रेन चलाने में रुचि दिखाई.