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वुमेन के लिए तैयार करें बेहतर फ्रेमवर्क... तभी इकोनॉमी में बढ़ेगी महिलाओं की भागीदारी!

इंडिया टुडे वुमेन समिट में बोलते हुए Safetipin की को-फाउंडर और सीईओ डॉ. कल्‍पना विश्‍वनाथ ने कहा कि महिलाओं की सेफ्टी उनका अधिकार है. कल्‍पना विश्‍वनाथ ने कहा कि यह समय रिस्‍ट्र‍िक्‍शन का नहीं है, बल्कि फ्रीडम का है. उन्‍होंने आगे कहा कि बहुत सिंपल चेजेंज करने की आवश्‍यकता है.

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भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था में महिलाओं की भागीदारी. (Photo: Video Grab/India Today)
भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था में महिलाओं की भागीदारी. (Photo: Video Grab/India Today)

इंडिया टुडे वुमेन समिट में बोलते हुए Safetipin की को-फाउंडर और सीईओ डॉ. कल्‍पना विश्‍वनाथ ने कहा कि महिलाओं के लिए सेफ्टी बहुत जरूरी है, तभी वुमेन की भागीदारी भारतीय इकोनॉमी में और बढ़ पाएगी. उन्‍होंने कहा कि सेफ्टी का मतलब सिर्फ CCTV, पुलिस या गार्ड नहीं, बल्कि ऐसा वातावरण डिजाइन करना, जहां पर महिलाएं ज्‍यादा सेफ महसूस कर सकें. 

उन्‍होंने कहा कि महिलाओं की सेफ्टी उनका अधिकार है. कल्‍पना विश्‍वनाथ ने कहा कि यह समय रिस्‍ट्र‍िक्‍शन का नहीं है, बल्कि फ्रीडम का है. उन्‍होंने आगे कहा कि बहुत सिंपल चेजेंज करने की आवश्‍यकता है. मान लीजिए अगर कोई महिला पुलिस स्‍टेशन शिकायत दर्ज कराने जाती है तो पुलिस का काम सिर्फ अपना काम करना है, ना कि परसेप्‍शन बनाना है. 25 साल काम के बाद मैं अभी तक बहुत परिवर्तन नहीं देख पा रही हूं. 

FS Life की सीईओ और फाउंडर आयुषी गुडवानी ने कहा कि भारत में महिलाओं की संख्‍या बहुत कम है, लेकिन अगर आप महिलाओं को ज्‍यादा वर्कफोर्स में लेकर आना चाहते हैं तो उनके लिए उस तरह चीजें डेवलप करना चाहिए. महिलाओं के लिए बेहतर सोसाइटी डिजाइन करनी होगी. बिजनेस के लिए वैसा इनवॉयरमेंट देना होगा. 

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पुरुषों को महिलाओं को ज्‍यादा पॉवर देने की आवश्‍यकता है, ताकि और ज्‍यादा महिलाएं बिजनेस, स्‍टार्टअप्‍स और अन्‍य सेक्‍टर्स में आ सकें. उन्‍होंने आगे कहा कि महिलाओं के लिए बिजनेस या स्‍टार्टअप्‍स के लिए सोसाइटी इस तरीके से डिजाइन करनी होगी, तभी बिजनेस और स्‍टार्टअप्‍स में इनकी संख्‍या दिख सकती है. 

कल्‍पना विश्‍वनाथ ने कहा कि कई ऐसी जगहें हैं जहां महिलाएं समान तरीके से पार्टिसिपेट नहीं कर सकती हैं. सरकार महिलाओं को लेकर हर तरीके से काम कर रही है, लेकिन अभी ये सुधार होने में लंबा समय लग सकता है. 

वहीं Sirona Hygiene के फाउंडर दीप बजाज ने कहा कि सबसे ज्‍यादा परेशानी है कि लोग इस बारे में बात नहीं कर रहे हैं. जबकि जरूरत है कि हम इस बारे में बात क्‍यों नहीं कर रहे हैं? हमें जरूरत है कि माइंडसेट चेंज करना, लेकिन अभी हम ऐसा नहीं कर पा रहे हैं. महिलाओं के लिए होटल में पैड के अलावा भी अन्‍य चीजें भी उपलब्‍ध कराने चाहिए. जब ऐसी चीजें बदलेंगी तभी भारत में महिलाओं को लेकर सेफ्टी भी बढ़ेगी और भागीदारी भी. 

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