सोने की कीमतों (Gold Rate) ने मंगलवार को इतिहास रचते हुए 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम का आंकड़ा पार कर लिया. जहां एमसीएक्स पर कारोबार की शुरुआत होने पर गोल्ड रेट में जोरदार उछाल आया और ये 99000 रुपये के पार निकल गया, तो घरेलू मार्केट में जीएसटी और मेकिंग चार्ज के साथ 10 ग्राम 24 कैरेट सोने का रेट 1 लाख रुपये को पार कर गया. Gold Price में आए इस जोरदार उछाल के पीछे के कारणों की बात करें, तो कई हैं, जिनमें सबसे बड़ी वजह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वॉर से छिड़ी ट्रेड वॉर की टेंशन है.
सोने ने पार किया 1 लाख का स्तर
अगर आप सोना खरीदने का प्लान बना रहे हैं, तो फिर आपको जेब में मोटी रकम लेकर सर्राफा की दुकान पर जाना होगा, क्योंकि गोल्ड अब लखटकिया हो गया है. मंगलवार को घरेलू मार्केट में 3 फीसदी जीएसटी और मेकिंग चार्ज के साथ सोने की कीमत 1,00,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के पार निकल गई. वहीं अंतरराष्ट्रीय मार्केट में ये 3475 डॉलर प्रति औंस तक जा पहुंची, जो इसका अब तक का सबसे उच्चतम स्तर है. एक्सपर्ट्स इसके 4500 डॉलर प्रति औंस तक पहुंचने की संभावना जता रहे हैं. MCX की बात करें, तो 5 जून की एक्सपायरी वाले सोने का भाव अचानक 1700 रुपये से ज्यादा उछलकर 99,178 रुपये के हाई लेवल पर ट्रेड कर रहा था.
5 साल में ऐसे बढ़ता चला गया Gold
सोने की कीमतों में बीते पांच साल में आए बदलाव पर नजर डालें, तो साल 2020 से अब तक इसकी कीमत करीब दोगुनी हो गई है. जी हां, साल 2020 में 10 ग्राम सोने का भाव 50,151 रुपये था और अब अप्रैल 2025 में ये 1 लाख के पार पहुंच गया है. इस बीच मार्च 2023 में Gold ने 60,000 रुपये प्रति 10 ग्राम का लेवल पार किया था और फिर अप्रैल 2024 में ये 70,000 रुपये पर पहुंचा था. इस साल 2025 में अब तक सोने ने 32 फीसदी का रिटर्न दिया है.
सोने के दाम बढ़ने के बड़े कारण
सोने की कीमतों (Gold Price) में आई इस जोरदार तेजी के पीछे के काऱणों की बात करें, तो सबसे बड़ी वजह ट्रंप टैरिफ (Trump Tariff) के चलते छिड़ा ट्रेड वॉर है, जिसने दुनियाभर के शेयर बाजारों में भारी उथल-पुथल मचा दी है. इसके चलते चीन और अमेरिका आमने-सामने हैं और एक-दूसरे पर भारी-भरकम टैरिफ लगा रहे हैं. इससे पैदा हुई मंदी की आशंका के बीच निवेशक सुरक्षित निवेश की ओर भागने लगे हैं, जो सोना माना जाता रहा है. इस बीच डॉलर में लगातार गिरावट ने भी सोने की कीमतों को नई ऊंचाई तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई है. इसके साथ ही इस ट्रेड वॉर के बीच Dollar Index गिरकर 97.92 पर आ गया है, जो इसका तीन साल का निचला स्तर है.
डिमांड बढ़ी, तो आसमान पर पहुंचा भाव
गौरतलब है कि सोने को अक्सर एक सुरक्षित निवेश माना जाता है, खासकर अनिश्चित आर्थिक परिस्थितियों में निवेशक पीली धातु की ओर भागते हैं. जब भी अर्थव्यवस्था की हालत खराब होती है, निवेशक सोने की ओर दौड़ पड़ते हैं जैसे कि यह आखिरी सहारा हो. इसके साथ ही, महंगाई चरम पर पहुंचे, बाजार में गिरावट और करेंसियों के टूटने के दौरान सोने का मूल्य लचीला होता है, बल्कि ज्यादा ही होता है. यह महंगाई के खिलाफ एक सेफ जोन के रूप में काम करता है और पोर्टफोलियो के जोखिम को कम करने में मददगार होता है. इस समय भी अनिश्चितता के बीच Gold Demand में जोरदार इजाफा हुआ है और इसका असर कीमतों पर पड़ा है.