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180 फ्लाइट, रोज 30 हजार यात्री, 17 साल पुरानी एयरलाइंस, Wadia Group है मालिक... जानें संकट में फंसे Go First की हर एक बात

Go First Airlines ने मई 2022 में अपने विमानों से 1.27 मिलियन यात्रियों को हवाई सफर कराया था, तब विमानन मार्केट में इसकी हिस्सेदारी 11.1 फीसदी थी. वहीं फरवरी 2023 में यात्रियों की संख्या कम होकर 9,63,000 रह गई और हिस्सेदारी भी इसी क्रम में घटकर 8 फीसदी पर आ गई, जो अब और भी कम करीब 6.9 फीसदी रह गई है.

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देखते-देखते कंगाल हो गई गो फर्स्ट एयरलाइंस
देखते-देखते कंगाल हो गई गो फर्स्ट एयरलाइंस

बजट एयरलाइंस गो-फर्स्ट (Go First Airlines) दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गई है. खुद कंपनी ने एनसीएलटी (NCLT) में वॉलंटरी इनसॉल्वेंसी प्रॉसीडिंग (Voluntary Insolvancy Proceedings) के लिए एप्लिकेशन भी दे दी है. 180 फ्लाइट्स और रोजाना करीब 30,000 यात्रियों को हवाई सफर कराने वाली ये एयरलाइंस आखिर इस हाल में कैसे पहुंच गई? जबकि, इसे देश का बड़ा कॉरपोरेट समूह वाडिया ग्रुप ऑपरेट करता है. आज Go First भारी वित्तीय संकट से जूझ रही है और कंपनी के पास इतने पैसे भी नहीं बचे हैं कि वो विमानों के तेल का बकाया तक चुका पाए. इस सबके पीछे एक लंबी कहानी है... आइए जानते हैं. 

287 साल पुराना है वाडिया ग्रुप
Go First एयरलाइंस को वाडिया ग्रुप संचालित करता है और ये समूह आजादी के पहले बहुत पहले का है. इसका 287 साल का इतिहास है और ऐसा पहली बार है जबकि इस ग्रुप की कोई कंपनी दिवालिया होने की कगार पर पहुंची है. वाडिया ग्रुप एयरलाइन, एफएमसीजी, रियल एस्टेट, क्लोथ, कैमिकल और खाद्य प्रसंस्करण सहित तमाम सेक्टर्स में उपस्थिति के साथ भारत के सबसे पुराने कारोबारी समूहों में से एक है. यहां बात करें विमानन क्षेत्र में इसकी भागीदारी की, तो बता दें ग्रुप ने इस सेक्टर में साल 2005 में बिना किसी विस्तृत योजना के एंट्री मारी थी. शुरुआत में महज दो विमान पट्टे पर लिए गए थे. कपंनी के पास कुल 61 विमान हैं, जिनमें 56 A320 नियो और 5 विमान A320 CEO शामिल हैं. 

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इस एयरलाइन की स्थापना जहांगीर वाडिया की लीडरशिप में की गई थी और मार्च 2021 तक एमडी के तौर पर इसकी देख-रेख कर रहे थे. शुरुआत में वाडिया ग्रुप ने Go Air लॉन्च करके विमानन उद्योग में प्रवेश किया था, जिसे बाद में Go First के रूप में रि-ब्रांडेड किया गया था. पिछले तीन सालों में प्रमोटरों ने एयरलाइन में भारी भरकम निवेश किया है. ये आंकड़ा 3,200 करोड़ रुपये का है. इसमें बीते दो सालों में भी 2,400 करोड़ रुपये का इन्वेस्ट किया गया है. 

बीते साल हुई थी संकट की शुरुआत
बीते साल 2022 में कंपनी को पहली बार संकट का सामना करना पड़ा था. जुलाई 2022 में उसे अपना विमान ग्राउंडेड करना पड़ा था. तब से लेकर अब तक लगातार इसकी बाजार हिस्सेदारी में गिरावट देखने को मिल रही है. एक ओर जहां मई 2022 में एयरलाइन ने 1.27 मिलियन यात्रियों हवाई सफर कराया था जब उसकी हिस्सेदारी 11.1 फीसदी थी. वहीं फरवरी 2023 में यात्रियों की संख्या कम होकर 9,63,000 रह गई और हिस्सेदारी भी इसी क्रम में घटकर 8 फीसदी रह गई, जो अब और भी कम करीब 6.9 फीसदी रह गई है. इसका असर एयरलाइंस की फाइनेंशियल हेल्थ पर भी पड़ा. नियामकीय फाइलिंग के मुताबिक, गो-फर्स्ट ने फाइनेंशियल ईयर 2023 में 218 मिलियन डॉलर का शुद्ध घाटा दर्ज किया. यह पिछले साल के 105 मिलियन डॉलर के नुकसान से लगभग दोगुना है. 

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एयरलाइंस में नकदी संकट पैदा करने में गो फर्स्ट को इंजन मुहैया कराने वाली अमेरिकी कंपनी का सबसे अहम रोल रहा है. अमेरिकी कंपनी प्रैट एंड व्हिटनी (Pratt & Whitney) ने एयरलाइंस को इंजन की सप्लाई बंद कर दी है. इसके चलते कंपनी के पास फंड की भारी कमी हो गई है. नकदी न होने के कारण वो तेल कंपनियों के बकाए का भुगतान करने में भी सक्षम नहीं है, जिसकी वजह से कंपनियों ने एयरलाइंस को तेल देने से इनकार कर दिया है. इन सबके बीच पहले भी खबर आई थी कि लगातार हो रहे नुकसान के कारण एयरलाइन कंपनी पर मालिकाना हक रखने वाला वाडिया ग्रुप इसमें बड़ी हिस्सेदारी बेचने या फिर इससे पूरी तरह बाहर निकलने के लिए स्ट्रैटेजिक पार्टनर्स के साथ बातचीत कर रहा है. 

Go First के आधे से ज्यादा विमान ग्राउंडेड
अब एयरलाइंस की ओर से एनसीएलटी में दिवालिया प्रक्रिया के लिए आवेदन भी दे दिया गया है. दरअसल, अमेरिकी कंपनी P&W की ओर से इंजन नहीं मिल पाने के कारण कंपनी के आधे से अधिक विमान ग्राउंडेड हैं. इसके चलते कंपनी के कैश फ्लो पर बेहद बुरा असर हुआ है. Go First एयरलाइन के चीफ कौशिक खोना (Kaushik Khona) ने भी इस खबर की पुष्टि करते हुए कहा है कि प्रैट एंड व्हिटनी (P&W) द्वारा इंजनों की आपूर्ति नहीं किए जाने के कारण एयरलाइन ने अपने बेड़े के आधे से ज्यादा विमानों को खड़ा कर दिया है.

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इसके चलते फंड की किल्लत हो गई है. इसके अलावा गो फर्स्ट एयरलाइन ने Pratt & Whitney के खिलाफ अमेरिका की एक अदालत में मुकदमा किया है. इस सबसे चलते कंपनी ने पहले 3 और 4 मई को सभी विमान कैंसिल करने का फैसला किया और फिर 5 मई की उड़ानों को भी रद्द कर दिया है. 

अमेरिकी कंपनी ने नहीं किया ऑर्डर पूरा 
रिपोर्ट के मुताबिक, सिंगापुर मध्यस्थता अदालत ने पीएंडडब्ल्यू को आदेश दिया था 27 अप्रैल, 2023 तक कम से कम 10 स्पेयर लीज्ड इंजन और 10 और इंजन देने का आदेश दिया था, लेकिन अमेरिकी कंपनी ने आदेश का पालन नहीं किया. इस कारण विमानों का संचालन नहीं हो सका और एयरलाइंस की कमाई पर बुरा पड़ा. गो-फर्स्ट की ओर से बताया गया कि है इन समस्यायों के चलते इंजनों के विफल होने की संख्या बढ़ी है और उन्हें उड़ानें बंद करनी पड़ीं. एयरलाइंस के सामने पैदा हुए नकदी संकट के चलते गो फर्स्ट तेल कंपनियों के बकाया का भुगतान भी नहीं कर पा रही है और उसे अपनी सभी फ्लाइट्स कैंसिल करने का बड़ा फैसला लेना पड़ा है. कंपनी को अपने खड़े विमानों के रख-रखाव पर भी मोटी रकम खर्च करनी पड़ रही है. हालात यहां तक खराब हो चुके हैं कि एयरलाइंस के कर्मचारियों की सैलेरी के भी लाले पड़े हैं और अब दिवालिया प्रक्रिया का आवेदन देने के बाद गोफर्स्ट के लगभग 5,000 कर्मचारियों के सामने नौकरी जाने का खतरा भी पैदा हो गया है.
 
वाडिया ग्रुप का कहां-कहां कारोबार?
आजादी से पहले के कारोबारी घरानों में एक वाडिया ग्रुप के चेयरमैन मुस्ली वाडिया हैं. इनकी गिनती देश के बड़े अरबपतियों में होती है. Forbe's Billionaires Index के मुताबिक, वे 410 करोड़ डॉलर या 33,533 करोड़ रुपये है. वेबसाइट के मुताबिक, वाडिया ग्रुप में गो फर्स्ट के अलावा बॉम्बे बर्मा ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन, बॉम्बे डाइंग एंड मैन्युफैक्चरिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड, ब्रिटानिया, नेशनल पेरोक्साइड, बॉम्बे रियल्टी और वाडिया-टेक्नो इंजीनियरिंग सर्विसेज शामिल हैं. इनमें बॉम्बे डाइंग की 1879 में, बॉम्बे बर्मा ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन की 1863 में, ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज की 1918 में स्थापना की गई थी.

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 पहले ये एयरलाइंस हो चुकी हैं दिवालिया
दिवालिया होने का संकट झेल रही गो-फर्स्ट एयरलाइंस विमानन सेक्टर की पहली कंपनी नहीं है, इससे पहले भी देश में किंगफिशर एयरलाइंस और जेट एयरवेज दिवालिया हो चुकी हैं. 2005 में ही किंगफिशर एयरलाइंस को शुरू किया गया था. भगोड़े कारोबारी विजय माल्या ने इसे शुरू किया था और 3-4 साल तक ये फायदे में चलती रही. लेकिन 2009 में एयरलाइंस को 418.77 करोड़ का घाटा हुआ जिसके बाद 100 पायलट को निकाला गया. इसके बाद घाटे का सिलसिला जारी रहा और 2014 में किंगफिशर को बंद कर दिया गया. जेट एयरवेज की बात करें तो ये कंपनी साल 2019 में दिवालिया हो गई थी और इसकी सभी सेवाएं बंद कर दी गई थीं. 


 

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