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खत्‍म हुआ मिनिमम बैलेंस पर जुर्माना... तो पूर्व वित्त मंत्री हुए खुश, कह दी ये बड़ी बात!

चिदंबरम ने कहा कि पिछले कुछ सालों में सेविंग अकाउंट्स ने बैंकों से खाते में 'न्यूनतम शेष' के सरकार द्वारा शुरू किए गए नियम के खिलाफ शिकायत की है और इस नियम से छूट देने की रिक्‍वेस्‍ट की है. यह उचित मांग थी, लेकिन बैंकों ने इसपर ध्‍यान नहीं दिया.

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Former Finance Minister P Chidambaram
Former Finance Minister P Chidambaram

पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने सेविंग अकाउंट्स के लिए न्‍यूनतम शेष राशि की अनिवार्यता को माफ करने के कई प्रमुख भारतीय बैंकों के फैसले पर खुशी जाहिर की है. उन्‍होंने कहा कि बैंकों ने मिनिमम बैलेंस पर जुर्माना लगाकर सैकड़ों करोड़ रुपये की कमाई की. हालांकि अब बैंकों द्वारा इसे हटाने का फैसला अच्‍छा है. यह छूट खाताधारकों की लंबे समय से चली आ रही शिकायतों के बाद दी गई है. 

चिदंबरम ने कहा कि पिछले कुछ सालों में सेविंग अकाउंट्स ने बैंकों से खाते में 'न्यूनतम शेष' के सरकार द्वारा शुरू किए गए नियम के खिलाफ शिकायत की है और इस नियम से छूट देने की रिक्‍वेस्‍ट की है. यह उचित मांग थी, लेकिन बैंकों ने इसपर ध्‍यान नहीं दिया. अगर कोई कस्‍टमर्स मिनिमम अमाउंट बनाए रखने में विफल रहता है, तो उसपर जुर्माना लगाया जाता है. कुछ बैंकों ने इस नियम से सैकड़ों करोड़ रुपये की कमाई की है. 

पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि बैंकों द्वारा इस आवश्यकता को समाप्त करने का फैसला एक महत्वपूर्ण बदलाव को दिखाता है. यह बदलाव करने वाले संस्‍थानों में भारतीय स्‍टेट बैंक (SBI) शामिल है, जिसने 2020 में इस कदम की शुरुआत की थी. इसके बाद केनरा बैंक जैसे अन्‍य पब्लिक सेक्‍टर्स के बैंकों ने इस साल की शुरुआत में इस आवश्‍यकता को हटाने का बीड़ा उठाया.  

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कई बैंकों ने खत्‍म किए मिनिमम बैलेंस पर जुर्माना
कई बैंकों ने मिनिमम बैलेंस को कम करने या खत्‍म करने का फैसला किया है. इस कदम को उन ग्राहकों के बीच बढ़ते असंतोष की प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा रहा है, जो इन जुर्माने से परेशान थे. साथ ही ग्राहकों की संतुष्टि और वफादारी बढ़ाने के लिए एक रणनीतिक बदलाव भी हो सकता है. मिनिमम अमाउंट का नियम बैंकों के बीच एक अभ्‍यास था, जिसके तहत सेविंग अकाउंट्स को एवरेज शेष राशि बनाए रखने की आवश्‍यकता होती थी. 

चिदंबरम ने कहा- बैंकों ने मान ली है हार 
गौरतलब है कि ये बदलाव कस्‍टमर्स और बाजार की गतिशीलता के बढ़ते दबाव के बीच आए हैं, जिसने बैंकों को ऐसी पॉलिसी पर फिर से विचार करने के लिए मजबूत किया है. जैसा कि च‍िदंबरम ने कहा कि बैंकों ने हार मान ली है. कम से कम पांच बैंकों ने मिनिमम शेष राशि की आवश्‍यकता को माफ कर दिया है. उन्‍होंने कहा जो काम तर्क नहीं कर सका, वह अर्थशास्‍त्र ने कर दिखाया! 

यह बदलाव न केवल ग्राहकों पर वित्तीय दबाव को कम करेगा, बल्कि बैंकों को अधिक कंजम्‍प्‍शन के रूप में स्थापित करेगा, जिससे उनकी प्रतिष्ठा और बाजार में स्थिति में भी ग्रोथ होगी. 

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