रेलवे कर्मचारियों को सरकार बड़ा तोहफा देने वाली है. केंद्रीय मंत्रिमंडल दिवाली से पहले इन कर्मचारियों के अकाउंट में बोनस भेजने पर विचार कर रही है. सरकारी सूत्रों ने संकेत दिया है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल अपनी आगामी बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे सकता है.
पिछले साल करीब 11 लाख कर्मचारियों को यह भुगतान मिला था, जिससे न सिर्फ उनका मनोबल बढ़ाया, बल्कि देश भर में त्योहारी सीजन में खर्च भी बढ़ा दिया. इस साल भी इसी तरह की घोषणा का भी उतना ही असर होने की उम्मीद है.
इस महीने की शुरुआत में, कई रेलवे महासंघों ने दशहरा से पहले हर साल कर्मचारियों को दिए जाने वाले उत्पादकता से जुड़े बोनस में बढ़ोतरी और आठवें वेतन आयोग के गठन के लिए नोटिफिकेशन जारी करने की मांग की थी.
बोनस बढ़ाने की भी मांग
भारतीय रेलवे कर्मचारी महासंघ (IREF) ने कहा कि उत्पादकता से जुड़े बोनस का न्यूनतम भुगतान छठे वेतन आयोग के न्यूनतम वेतन ₹7,000 प्रति माह के आधार पर किया जा रहा है. आईआरईएफ के राष्ट्रीय महासचिव सर्वजीत सिंह ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि सातवें वेतन आयोग के तहत न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये है, जो रेलवे कर्मचारियों को 1 जनवरी 2016 से मिल रहा है.
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा छठे वेतन आयोग के न्यूनतम वेतन के आधार पर उत्पादकता से जुड़ा बोनस देना 'सरासर अन्याय' है. अखिल भारतीय रेलवेमैन फेडरेशन (AIRF) ने भी उत्पादकता से जुड़े बोनस में वृद्धि की मांग की और कहा कि इसकी गणना के लिए 7,000 रुपये की मासिक सीमा को जारी रखना 'पूरी तरह से अनुचित' है और इसे तत्काल वर्तमान वेतन के साथ जोड़ना चाहिए.
घरेलू खपत बढ़ाने पर फोकस
बोनस देने की उम्मीद वाली यह खबर ऐसे समय में आई है, जब सरकार ने जीएसटी दरों में बड़ा बदलाव किया है. जिससे सरकार उद्देश्य साफ है कि वह देश में खर्च को और ज्यादा बढ़ाना चाहती है. खुदरा विक्रेता और व्यवसाय त्यौहारी सीजन के दौरान मजबूत मांग की भी उम्मीद कर रहे हैं. ऐसे में रेलवे कर्मचारियों को बोनस देने से घरेलू खपत को सीधा बढ़ावा मिल सकता है. लोग सरकार की ओर से मिले राहत से जमकर खरीदारी कर सकते हैं.
क्या कहते हैं इकोनॉमिस्ट
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि त्योहारों से जुड़े इस तरह के भुगतान का अर्थव्यवस्था पर व्यापक असर पड़ेगा. महंगाई में कमी और नीतिगत प्रोत्साहनों से उपभोक्ता खर्च में वृद्धि के साथ, कर्मचारियों के हाथों में अतिरिक्त कैश साल के अंतिम तिमाही में मांग की गति को बनाए रखने में मदद कर सकता है. सरकार भी उपभोग के रुझानों पर कड़ी नजर रख रही है.