बिहार के सहरसा जिले में बलुआहा घाट और गंडौल के बीच कोसी नदी पर बनाया गया
पुल आम लोगों के लिए खोल दिया गया है. पुल के बनने से न सिर्फ इलाके में
रहने वाले लोगों की पीढ़ियों का सपना पूरा हुआ, बल्कि दो भागों में बंटे
मिथिलांचल के बीच संपर्क भी कायम हो गया है.
इसके साथ ही पुल के बनने से नदी के बांध के अंदर रहने वाली बड़ी आबादी के लिए सड़क की सुविधा भी सुलभ हो गई है. करीब ढाई किलोमीटर लंबे इस पुल का उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया. 2050 मीटर लंबे इस पुल के बारे में स्थानीय लोगों का कहना है कि सहरसा से दरभंगा जाने के लिए पहले जहां 200 किलोमीटर की दूरी तय करनी होती थी, वहीं अब यह दूरी 100 किलोमीटर हो गई है.
समस्तीपुर, मधुबनी और पटना भी हुए करीब
सहरसा से समस्तीपुर की दूरी जहां पूर्व में 238 किलोमीटर थी, वहीं अब पुल के बनने से यह 138 किलोमीटर और मधुबनी से 168 किलोमीटर की जगह 88 किलोमीटर रह गई है. राजधानी पटना से भी दूरी में 100 किलोमीटर की कमी आई है.
गौरतलब है कि मिथिलांचल के इस पुल का सपना दिखाकर स्वतंत्रता के बाद से ही कई नेता सत्ता तक पहुंचे, लेकिन नेताओं से आरजू-मिन्नतों के बाद भी सपना अधूरा ही रहा. वर्ष 2009 में राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस पुल का शिलान्यास किया और चार वर्ष के अंदर पुल निर्माण को पूरा कर लिया गया.
व्यापार और पर्यटन स्थलों को भी मिलेगा फायदा
पथ निर्माण विभाग के सचिव प्रत्यय अमृत ने कहा कि इस पुल से कोसी बांध के आसपास के दर्जनों गांवों की बड़ी आबादी को लाभ मिलेगा. वे लोग अब तक नाव से आना-जाना करते थे. अपने कृषि उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने में उन्हें काफी दिक्कत होती थी और कई बार नौका दुर्घटना का शिकार भी होना पड़ता था.
इस क्षेत्र में मक्का, गेहूं, मखाना और दलहन की अच्छी पैदावार होती है. साथ ही मछली व्यवसाय में भी इस क्षेत्र की पहचान है. प्रत्यय अमृत के अनुसार 531 करोड़ रुपये की लागत से बने इस पुल के निर्माण से क्षेत्र के पर्यटन स्थलों का भी विकास हो सकेगा.