सोना (Gold) सबसे कीमती धातुओं में से एक है. साल 2025 में तो शुरुआत से ही इसकी कीमत रॉकेट की रफ्तार से भाग रही है और लगातार रिकॉर्ड तोड़े हैं. सोना भले ही इतना महंगा हो गया हो, लेकिन इसमें सिर्फ 10-20 रुपये से भी निवेश के ऑप्शन मौजूद हैं. हम बात कर रहे हैं डिजिटल गोल्ड (Digital Gold) की, जिसमें निवेश तेजी से बढ़ा है. लेकिन, ये कितना सेफ इन्वेस्टमेंट है, इसका अंदाजा सेबी (SEBI) की चेतावनी से लगाया जा सकता है. आइए E-Gold खरीदने के नुकसान और खतरों के बारे में बताते हैं...
सिर्फ 1 या 10 रुपये में भी खरीद सकते हैं E-Gold
भारत में सोना परंपरा से जुड़ा हुआ है, तो वहीं सेफ हेवेन माने जाने वाले गोल्ड में निवेश भी जमकर हो रहा है. हालांकि, काफी कुछ बदला भी है, पहले लोग फिजिकल गोल्ड खरीदने को अहमियत देते थे, तो अब Digital Gold खरीदने का चलन तेजी से बढ़ा है. ऐसा इसलिए क्योंकि दुकान से खरीदे गए सोने पर एकमुश्त मोटी रकम खर्च नहीं करनी होती है, लेकिन डिजिटल गोल्ड 10- 20 रुपये से लेकर 100- 200 रुपये का भी सोना खरीद सकते हैं, यही नहीं सिर्फ 1 रुपये में 24 कैरेट प्योर गोल्ड मिल सकता है. वो भी घर बैठे UPI से अपने मोबाइल पर सिर्फ एक क्लिक करने भर से.

क्या है डिजिटल गोल्ड का प्रोसेस?
आप Paytm, PhonePe या किसी अन्य प्लेटफॉर्म से डिजिटल गोल्ड खरीदते हैं, तो आपके निवेश के बराबर का 24 Karat Gold आपके नाम पर बुक करके वॉल्ट में रख दिया जाता है. आप जितना मन चाहे उतना सोना खरीद सकते हैं और जब चाहें तब इस खरीदे गए ई-गोल्ड को सिक्कों या बार में बदलवाकर फिजिकल गोल्ड के रूप में ले भी सकते हैं.
इतने सारे चार्ज, फिर पहुंचेगा आपके पास
बस यहीं ध्यान देने की जरूरत है. दरअसल, आपके निवेश से खरीदे गए सोने पर कई तरह के चार्ज लागू होते हैं, जिनमें ज्यादातर हिडेन होते हैं और आमतौर पर निवेशक को पता ही नहीं होता. इनमें डिलीवरी-शिपिंग चार्ज से लेकर जिस प्लेटफॉर्म से आपने ई-गोल्ड खरीदा है उसकी डिस्ट्रीब्यूशन फीस, पेमेंट गेट-वे चार्ज समेत तमाम शुल्क लागू होते हैं.
डिजिटली खरीदे गए गोल्ड को खरीदते समय इसके मूल्य में जहां 2 या 3 फीसदी तक स्टोरेज चार्ज, फिजिकल सोने की तरह 3 फीसदी GST लागू होती है. तो वहीं डिलीवरी के समय शिपिंग चार्ज, वॉलेट स्टोरेज चार्ज तक देना होता है. कुछ ई-गोल्ड प्रोवाइडर तो लिमिट से ज्यादा स्टोरेज पर भी चार्ज लागू करते हैं. इन खर्चों को मिलाने के बाद आपके पास खरीदा गया गोल्ड आता है और फिर आपको पता चलता है कि ये तो Gold ETF से भी महंगा पड़ा है. इसमें निवेश के खतरे भी बहुत हैं.

पहला खतरा- डिजिटल सोना खरीदने पर लगने वाले तमाम शुल्कों से पहले ही आप अपने निवेश और फायदे का कैलकुलेशन कर सकते हैं. वहीं Digital Gold खरीद में पैसे फंसने के रिस्क भी कम नहीं है. SEBI ने भी बड़ी चेतावनी देते हुए साफ किया है कि अगर इसे लेकर आपके साथ कोई धोखाधड़ी होती है, तो फिर मार्केट रेग्युलेटर के पास कोई दावा नहीं कर सकते हैं, क्योंकि डिजिटल गोल्ड रेग्युलेटेड नहीं है. इसमें म्यूचुअल फंड या बैंकों की तरह कोई गारंटी नहीं दी जाती है.
दूसरा खतरा- सेबी के मुताबिक, डिजिटल गोल्ड में निवेश पर नुकसान के लिए निवेशक जिम्मेदार होंगे. ऐसे में अगर ई-गोल्ड प्रोवाइडर अपनी दुकान बंद कर भाग जाता है, तो फिर कोई भी कोई कानूनी दावा करने का हक नहीं होगा. इन प्रोवाइडर द्वारा आपको बेचा गया सोना जिन प्राइवेट वॉल्ट में स्टोर किया जाता है, उसके दिवालिया होने से वो निवेश फंस सकता है. मतलब साफ है कि चाहे प्रोवाइडर हो, रिफाइनर हो या फिर वॉल्ट से जुड़ी कंपनी, अगर फेल होते हैं, तो आपकी जमा रकम संकट में पड़ सकती है.
तीसरा खतरा- E-Gold प्रोवाइडर्स के रेग्युलेटेड न होने से एक और बड़ी परेशानी होती है, होल्डिंग लिमिट की. दरअसल, इसकी कोई तय कानूनी होल्डिंग लिमिट नहीं है, जिस प्लेटफॉर्म से डिजिटल गोल्ड खरीदते हैं, वो अपनी सीमाएं बताता है, जो आमतौर पर अधिकतम 5 साल होती है. इस लिमिट के बाद आपको अपना जमा ई-गोल्ड सेल करना होता है और इस प्रक्रिया में लागू होने वाले मनमाने चार्ज देने होते हैं.