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दिल्‍ली में वोटर लिस्‍ट में 7 हजार बेघरों को मिली जगह

समाज में हाशिए पर पड़े लोगों को वोटर लिस्‍ट में जगह देने की चुनाव आयोग की कोशिशें रंग लाने लगी हैं. साल भर पहले, वोटर लिस्‍ट में 62 बेघरों को जगह मिली थी. अब चीजें बदली हैं और दिल्‍ली के 7 हजार से ज्यादा बेघर लोगों के नाम मतदाता सूची में दर्ज हो चुके हैं.

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बेघर भी शान से करेंगे मतदान
बेघर भी शान से करेंगे मतदान

समाज में हाशिए पर पड़े लोगों को वोटर लिस्‍ट में जगह देने की चुनाव आयोग की कोशिशें रंग लाने लगी हैं. साल भर पहले, वोटर लिस्‍ट में 62 बेघरों को जगह मिली थी. अब चीजें बदली हैं और दिल्‍ली के 7 हजार से ज्यादा बेघर लोगों के नाम मतदाता सूची में दर्ज हो चुके हैं.

बहरहाल, चुनाव आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि मतदाता सूची में वोटरों का नाम दर्ज करा लेने के साथ उनका काम खत्म नहीं हो जाता. अब उन्हें यह तय कराना है कि ये लोग अपने मताधिकार का वास्तव में इस्तेमाल भी करें.

दिल्ली के मुख्य चुनाव अधिकारी विजय देव ने बताया, ‘हमने एक बड़ा अभियान शुरू किया और गैर सरकारी संगठनों के साथ सहयोग कर अभी तक 7 हजार से ज्यादा बेघरों का रजिस्‍ट्रेशन करने में सफल रहे हैं. हमारा अभियान आने वाले दिनों में जारी रहेगा.’

विजय देव ने कहा, ‘हम यह तय करना चाहते हैं कि उनमें से सभी (बेघर मतदाता) आएं और इस बार मतदान करें, क्योंकि उनकी भागीदारी हमारे लोकतंत्र को और मजबूत बनाएगी.’

देव ने दिल्ली में बेघर लोगों की तादाद 25 हजार से ज्यादा बताई. उन्होंने कहा कि मतदाता सूची में और बेघर लोगों का नाम दर्ज कराने के लिए जमीनी सर्वेक्षण किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘वास्तव में हमने पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस. वाई. कुरैशी के साथ गठबंधन किया, जो बेघरों के लिए काम करते हैं, शिविर और शरण स्थल जुटाते हैं.’

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चुनाव आयोग के निर्देश कहते हैं कि अगर कोई बेघर व्यक्ति किसी जगह के बारे में कहता है कि वह वहां रहता है, तो मतदान केन्द्र स्तर का कोई अधिकारी तीन बार वहां जाएगा. अगर वह व्यक्ति वहां मिलता है, तो चाहे फ्लाईओवर के नीचे कोई जगह हो या कोई और स्थल, वह उसका पता बन जाएगा.

बहरहाल, किन्नरों के नाम मतदाता सूची में दर्ज कराने के मामले में आयोग को ज्यादा कामयाबी नहीं मिल सकी है. मतदाता सूची में उन्हें ‘अन्य’ के रूप में दिखाया जाता है.

अभी तक तकरीबन 550 ऐसे मतदाताओं का नाम मतदाता सूची में दर्ज किए गए हैं. आयोग के अधिकारियों के अनुसार इसमें कई‘व्यावहारिक समस्याएं’ आ रही हैं.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘इसमें समस्या है, क्योंकि उनमें से बहुत से खुद को शिनाख्त नहीं करवाना चाहते हैं या पुरुष या महिला के रूप में रजिस्‍ट्रेशन कराना चाहते हैं.’

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