दिल्ली में सियासी पार्टियों को चुनावों में किसी भी तरह की अनुमति जिले के एक ही दफ्तर से मिल पाएगी. रैली की अनुमति से लेकर तमाम गाइडलाइंस के बारे में कोई असमंजस न हो, इसके लिए तमाम किस्म के फॉर्म तत्काल ऑनलाइन डाले जाएंगे.
दरअसल दिल्ली के विधानसभा चुनावों में सख्ती से परेशान दलों ने चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया है. चुनाव आयोग ने सभी पार्टियों की बैठक बुलाकर पुलिस, जिला प्रशासन और पार्टियों की आमने-सामने बात करवा दी.
केंद्रीय चुनाव आयोग के डिप्टी कमिश्नर विनोद जुत्सी ने कहा, 'हम हर जिले में सिंगल विंडो सिस्टम लागू करेंगे. इसमें पुलिस के एसीपी स्तर का अधिकारी भी होगा. मुख्य चुनाव अधिकारी विजय देव ने कहा, 'हमने सारे फॉर्म ऑन लाइन कर दिए हैं.'
यूं तो दिल्ली की सभी पार्टियों में जमीनी तौर पर जंग छिड़ी है, लेकिन एक मसला ऐसा भी है जिस पर सभी दल एक हो गए हैं. आलम तो यहां तक है कि जब चुनाव आयोग ने शुक्रवार को सभी पार्टियों की बैठक बुलाई तो आचार संहिता को लेकर चुनाव आयोग और दिल्ली पुलिस पर सबने एक साथ हमला बोल दिया. शिकायत इतनी थी कि मीटिंग चंद मिनटों में खत्म होने की बजाए तीन घंटे तक चली और बाहर आकर भी आमतौर पर अलग राग अलापने वाली सियासी पार्टियां एक दिखीं.
आम आदमी पार्टी के नेता प्रशांत भूषण ने कहा,'हर जगह मुश्किल आ रही है, चाहे रैली करनी हो या फिर टोपी या किसी और चीज का इस्तेमाल करना हो.'
कांग्रेस के प्रतिनिधि महमूद प्राचा ने कहा, 'हमने चुनाव आयोग के सामने अपनी परेशानी रखी है.'
दिल्ली में चुनाव आचार संहिता लागू हुए अभी दो हफ्ते ही हुए हैं. लेकिन इन दो हफ्तों में ही सियासी पार्टियों को खिलाफ ढाई सौ से ज्यादा एफआईआर दर्ज हो गए. पार्टियां तब तो और तिलमिला गईं जब उनके चुनावी खर्च में चाय, समोसे और माला जैसी चीजों की कीमतें तय कर दी गईं. पुलिस ने भी कई मामलो में सख्ती दिखाते हुए, अलग-अलग पार्टियों की चुनावी रैलियां और पद यात्राएं तक रोक दीं. पार्टियां इसे प्रशासन की मनमानी कह रहीं हैं तो चुनाव आयोग भरोसा दिला रहा है कि अगर ज्यादती हुई है तो उसे सुधारा जाएगा.
हालांकि चुनाव आयोग ने सियासी दलों को भी साफ कह दिया कि नियमों के पालन में ढिलाई नहीं होगी. साथ ही चुनाव नियमों को लेकर पुलिस और जिला प्रशासन के आला अधिकारियों की एक बार और ट्रेनिंग भी करवाने पर चुनाव आयोग राजी हो गया है.