पांच सौ रुपये के नोट का महत्व लगातार बढ़ रहा है. भारतीय रिजर्व बैंक के एक अध्ययन के अनुसार, 2010-11 में प्रचलन में जितने नोट थे, उनमें से 47 फीसद 500 के थे.
अध्ययन में कहा गया है, ‘1998-99 के बाद 500 रुपये का नोट दूसरी सबसे महत्वपूर्ण मुद्रा रही और 2003-04 में इसने 100 रुपये के नोट को भी पीछे छोड़ दिया. 2010-11 में मूल्य के हिसाब से जितने नोट प्रचलन में थे उनमें से 47 फीसद हिस्सा 500 के नोटों का था.’
इसमें कहा गया है कि 1990 के दशक में 50 और उससे छोटे नोटों की तुलना में 100 रुपये के नोट का चलन बढ़ा और फिर यह 500 रुपये के नोट पर स्थानांतरित हो गया. इससे प्रचलन में 500 रुपये के नोट में उल्लेखनीय इजाफा हुआ.
अध्ययन में कहा गया है कि विकल्प के रूप में 500 और 1,000 रुपये के नोट का चलन बढ़ने से 100 रुपये के नोट की हिस्सेदारी घट रही है. 1970 से 1990 के दशक तक प्रचलन में रहे कुल नोटों में मूल्य के हिसाब से 100 के नोटों की हिस्सेदारी 50 फीसद से अधिक थी. 500 और 1,000 रुपये के नोट के विकल्प के रूप में उभरने के बाद 2010-11 में इसकी हिस्सेदारी घटकर 14.8 प्रतिशत पर आ गई.
रिपोर्ट के अनुसार, 10 रुपये के नोट की हिस्सेदारी 1970-71 में 34.3 फीसद थी, जो 2010-11 में घटकर 2.2 प्रतिशत पर आ गई. इसी तरह 20 के नोट की हिस्सेदारी 1982-83 में 8 फीसद थी, जो 2010-11 में उल्लेखनीय रूप से घटकर 0.6 प्रतिशत रह गई.
इसी तरह 50 रुपये के नोट की हिस्सेदारी 1992-93 में 32.1 प्रतिशत के उच्च स्तर पर थी, जो 2010-11 में घटकर मात्र 1.7 प्रतिशत रह गई.