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मांग-आपूर्ति के अंतर को पाटने के लिये नीतिगत कदम जरूरी: रिजर्व बैंक

भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि मांग-आपूर्ति के बीच अंतर को पाटने तथा मुद्रास्फीति को निरंतर निम्न स्तर पर बनाये रखने के लिये नीतिगत कदम उठाना जरूरी है.

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भारतीय  रिजर्व बैंक
भारतीय रिजर्व बैंक

भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि मांग-आपूर्ति के बीच अंतर को पाटने तथा मुद्रास्फीति को निरंतर निम्न स्तर पर बनाये रखने के लिये नीतिगत कदम उठाना जरूरी है. हाल में हुए एक कार्यक्रम के दौरान रिजर्व बैंक के कार्यकारी निदेशक दीपक मोहंती ने कहा कि टिकाउ आधार पर मुद्रास्फीति को नीचे लाने के लिये कई मोर्चे पर नीतिगत कार्रवाई की जरूरत है.

उन्होंने कहा, ‘..कुल जनसंख्या में युवाओं की अधिक संख्या को देखते हुए न केवल पौष्टिक आहार जरूरी है बल्कि खाद्य वस्तुओं के दाम पर अंकुश रखने के लिये भी यह जरुरी है. इसके लिये कृषि क्षेत्र में मांग और आपूर्ति असंतुलन दूर करने और खाद्य आपूर्ति श्रंखला के आधुनिकीकरण के लिये जरूरी है.’

थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति दिसंबर में घटकर 7.18 प्रतिशत रह गयी जो एक साल पहले इसी महीने में 7.74 प्रतिशत थी. हालांकि, यह अभी भी रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर से ऊंचा है.

मोहंती ने कहा, ‘रिजर्व बैंक का तकनीकी आकलन बताता है कि भारत के लिये मुद्रास्फीति की सीमा 4 से 6 प्रतिशत है. अगर मुद्रास्फीति इससे ऊंची बनी रहती है, तो मध्यम अवधि में आर्थिक वृद्धि नरम हो सकती है.’

उन्होंने वित्तीय बाजारों की पहुंच बढ़ाने के साथ वृद्धि-मुद्रास्फीति को साधते हुए मौद्रिक नीति सोच-विचारकर प्रस्तुत किये जाने पर जोर दिया.

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