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रतन टाटा के पक्ष में फैसला, NCLT में साइरस मिस्त्री की याच‍िका खारिज

साइरस मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाए जाने के बाद शुरू हुए विवाद को लेकर नेशनल कंपनी लॉ ट्र‍िब्यूनल (NCLT) का फैसला आ गया है.

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रतन टाटा-साइरस मिस्त्री (File photo)
रतन टाटा-साइरस मिस्त्री (File photo)

साइरस मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाए जाने के बाद शुरू हुए विवाद को लेकर नेशनल कंपनी लॉ ट्र‍िब्यूनल (NCLT) का फैसला आ गया है. सोमवार को एनसीएलटी ने रतन टाटा के हक में फैसला सुनाया है. एनसीएलटी ने साइरस मिस्त्री की याचि‍का को खारिज कर दिया है.

साइरस मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटाए जाने को लेकर दायर इस याच‍िका पर सुनवाई करते हुए एनसीएलटी ने कहा कि साइरस को कंपनी की संवेदनशील जानकारी लीक करने की वजह से पद से हटाया गया. साइरस ने यह जानकारी आईटी डिपार्टमेंट और मीडिया में लीक की.   

ट्रिब्यूनल ने कहा कि हमें याचिका में कोई दम नहीं दिखा. इसमें सिवा का मुद्दा हो चाहे टाटा मोटर्स का मामला, हमें किसी भी तरह से इसमें कोई मेरिट नजर नहीं आई. ट्रिब्यूनल ने साफ लहजे में कहा कि मैनेजमेंट शेयरहोल्डर्स को ज्यादा जवाबदेह है.

बता दें कि टाटा संस के बोर्ड ने 24 अक्टूबर, 2016 को साइरस मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटा दिया था. इसके साथ ही साइरस को ग्रुप की अन्य कंपनियों से भी बाहर निकलने के लिए कहा गया था. इसके बाद ही साइरस ने ग्रुप की 6 कंपनियों के बोर्ड से अपना इस्तीफा दे दिया था. इसके साथ ही वह एनसीएलटी भी पहुंच गए थे.

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यहां उन्होंने टाटा ग्रुप में अनियमितता बरतने का आरोप लगाते हुए ग्रुप के साथ ही रतन टाटा को भी ट्रिब्यूनल में घसीटा था. साइरस मिस्त्री की कंपनियों की तरफ से दायर याचिका में कई आरोप लगाए गए थे. इसमें कहा गया था कि मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटाने का काम ग्रुप के कुछ प्रमोटर्स ने किया. उनका इस्तीफा इनके उत्पीड़न की वजह से था.

याचिका के दूसरे हिस्से में आरोप लगाया गया है कि ग्रुप और रतन टाटा के अव्यवस्थ‍ित प्रबंधन की वजह से ग्रुप को आय का काफी ज्यादा नुकसान हुआ. हालांकि एनसीएलटी ने सोमवार को इन सब दलीलों को खारिज कर दिया.

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