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मोदी सरकार की सख्ती: ड्रग्स के तहत आए मेडिकल डिवाइस, स्टेंट से लेकर कंडोम तक की कीमतों पर लगाम

केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक देश में बिकने वाले सभी मेडिकल डिवाइस 1 अप्रैल, 2020 से ड्रग्स ऐंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत ड्रग्स की तरह माने जाएंगे. सिरींज, डिजिटल थर्मामीटर, डायलिसिस मशीन जैसे तमाम मेडिकल डिवाइस ड्रग्स की श्रेणी में आ गए हैं. मेडिकल डिवाइस में कंडोम को भी शामिल किया गया है.

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 मेडिकल डिवाइसेज की कीमतों पर लगेगा अंकुश
मेडिकल डिवाइसेज की कीमतों पर लगेगा अंकुश

  • सरकार ने मेडिकल डिवाइस को रखा ड्रग्स की श्रेणी में
  • 1 अप्रैल से इन पर भी लागू होगा ड्रग्स कंट्रोल कानून
  • इससे स्टेंट जैसे कई डिवाइस की कीमत पर लगेगा लगाम

सिरिंज, डिजिटल थर्मामीटर, डायलिसिस मशीन जैसे तमाम मेडिकल डिवाइस आज यानी 1 अप्रैल से ड्रग्स की श्रेणी में आ गए हैं. कीमतों पर अंकुश के लिहाज से सरकार ने यह कदम उठाया है. मेडिकल डिवाइस में कंडोम को भी शामिल किया गया है. यानी अब स्टेंट से लेकर कंडोम तक सस्ते मिलेंगे और इनकी कीमतों में मनमानी बढ़त नहीं हो पाएगी.

केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक देश में बिकने वाले सभी मेडिकल डिवाइस 1 अप्रैल, 2020 से ड्रग्स ऐंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत ड्रग्स की तरह माने जाएंगे. इसका मतलब यह है कि इनकी गुणवत्ता और कीमत पर सरकार उसी तरह से नियंत्रण कर सकेगी जैसा कि दवाओं के मामले में होता है.

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क्यों लिया सरकार ने निर्णय

केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'सरकार मेडिकल डिवाइस के 24 वर्गों का रेगुलेशन कर रही है जिनको ड्रग्स ऐंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 ऐंड ड्रग्स ऐंड कॉस्मेटिक्स रूल्स 1945 के तहत अधिसूचित किया गया है.'

इस कानून के तहत फिलहाल 24 मेडिकल डिवाइस की गुणवत्ता और कीमतों पर नियंत्रण किया जाएगा. इनमें सिरिंज, नीडल, कार्डिएक स्टेंट, नी इम्प्लांट, डिजिटल थर्मामीटर, सीटी स्कैन, एमआरआई, डायलिसिस मशीन शामिल हैं.

गौरतलब है कि भारत में खासकर कार्डिएक स्टेंट और नी इम्प्लांट जैसे उपकरण काफी महंगे होने से जनता को परेशानी होती थी. कार्डिएक स्टेंट की कीमतों पर मोदी सरकार ने काफी अंकुश लगाया है, इसके बावजूद ये काफी महंगे हैं.

चार डिवाइस की ऊपरी कीमत फिक्स रहेगी

नोटिफिकेशन के अनुसार कार्डिएक स्टेंट, ड्रग इल्यूटिंग स्टेंट, कंडोम और इंट्रा यूटरीन डिवाइस (Cu-T) को शेड्यूल्ड मेडिकल डिवाइस की श्रेणी में रखा गया है जिनकी ऊपरी कीमत फिक्स रहेगी. ये चारों डिवाइस प्राइस कंट्रोल के तहत आएंगे.

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बाकी मेडिकल डिवाइस नॉन—शेड्यूल श्रेणी में होंगे और उनके अधिकतम खुदरा मूल्य पर नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) निगरानी रखेगी. इसमें सरकार यह ध्यान रखती है कि कि कोई भी निर्माता या आयातक एक साल के भीतर किसी दवा या डिवाइस की कीमत में 10 फीसदी से ज्यादा की बढ़त न कर सके.

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