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धोखाधड़ी में शामिल IL&FS के पूर्व वाइस चेयरमैन हरि शंकरन गिरफ्तार

SFIO ने संकट में फंसी कंपनी आईएल ऐंड एफएस के पूर्व वाइस चेयरमैन हरि शंकरन को गिरफ्तार कर लिया है. उन पर धोखाधड़ी में शामिल होने और कंपनी के कर्जदाताओं को नुकसान पहुंचाने का आरोप है.

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IL&FS के वाइस चेयरमैन गिरफ्तार
IL&FS के वाइस चेयरमैन गिरफ्तार

गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (SFIO) ने संकट में फंसी कंपनी आईएल ऐंड एफएस (IL&FS) के पूर्व वाइस चेयरमैन हरि शंकरन को सोमवार को गिरफ्तार कर लिया. उन्हें धोखाधड़ी में शामिल होने तथा कंपनी तथा उसके कर्जदाताओं को नुकसान पहुंचाने के एवज में गिरफ्तार किया गया है.

समाचार एजेंसी पीटीआई ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से यह खबर दी है. सूत्रों ने कहा कि शंकरन को IL&FS तथा उसकी समूह इकाइयों के खिलाफ जारी जांच के संदर्भ में मुंबई में गिरफ्तार किया गया. IL&FS मामले में जांच एजेंसी की तरफ से यह पहली गिरफ्तारी है. उसने कहा कि शंकरन को IL&FS फाइनेंशियल सर्विसेज लि. में अपनी शक्तियों के दुरुपयोग को लेकर गिरफ्तार किया गया. उन पर आरोप है कि वह धोखाधड़ी में शामिल हुए और वैसी इकाइयों को कर्ज दिए, जो कर्ज देने लायक नहीं थे तथा उन्हें गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) घोषित किया गया. इससे कंपनी तथा उसके कर्जदाताओं को नुकसान हुआ.

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गिरफ्तारी के बाद उन्हें चार अप्रैल तक जांच एजेंसी की हिरासत में भेज दिया है. सूत्रों के अनुसार IL&FS फाइनेंशियल सर्विसेज बॉन्ड तथा बैंक कर्ज के जरिए 17,000 करोड़ रुपये से अधिक कर्ज लिए. भविष्य निधि, म्यूचुअल फंड, सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के बैंकों ने इन बॉन्ड में निवेश किए. IL&FS में वित्तीय अनियमितता की बात उस समय सामने आयी जब कुछ इकाइयों ने कर्ज भुगतान में चूक की. सरकार ने कंपनी का नया निदेशक मंडल बनाया. कंपनी की समाधान योजना योजना पर काम जारी है.

कंपनी में वित्तीय अनियमितता का खुलासा तब हुआ जब पिछले साल समूह की कुछ कंपनियां कर्ज वापस करने में डिफाल्ट करने लगीं. इस डिफॉल्ट के चलते वित्तीय बाजार में उच्च स्तर की रेटिंग से गिरकर कंपनी को डिफॉल्ट रेटिंग दी गई है. सरकार ने कंपनी बोर्ड का टेकओवर कर लिया है और कंपनी को सुचारु तरीके से चलाने के लिए एक समाधान योजना पर काम कर रही है. सूत्रों के मुताबिक पूर्व में कंपनी ने कर्ज देने के काम में सावधानी नहीं बरती और आज उसके सामने डूबने का संकट मंडरा रहा है.  

इंडिया टुडे-आजतक को मिली जानकारी के मुताबिक IL&FS ग्रुप 2012 की शुरुआत में गंभीर समस्याओं से घिर गया था. वहीं 2014 के आम चुनावों से पहले ही कंपनी के पास बड़ी संख्या में खटाई में पड़े प्रोजेक्ट्स एकत्र हो गए. सूत्रों ने दावा किया कि यूपीए की पॉलिसी पैरालिसिस के चलते खटाई में पड़े इन प्रोजेक्ट्स को डेट फाइनेंनसिंग के जरिए जिंदा रखने का काम किया गया.

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कांग्रेस ने भी आईएलऐंडएफएस कंपनी का मामला उठाया था और कहा कि 2017-2018 में इस कंपनी का घाटा 2395 करोड़ था जिसके कर्ज में पिछले 36 महीने में 44 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि आईएलऐंडएफएस कंपनी दिवालिया हुई तो बाजार में भूचाल आ जाएगा. इस कंपनी पर 91 हजार करोड़ का कर्ज है जो माल्या, चौकसी और नीरव मोदी के घोटाले से सात गुना बड़ा मामला है.

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