scorecardresearch
 

नकली नोटों के पकड़े जाने के मामले में पिछले 8 साल में तेजी

देश के बैंकिंग प्रणाली में लेनदेन के दौरान नकली नोट पकड़े जाने के मामले पिछले आठ साल में तेजी से बढ़े हैं. हाल ही में सरकार ने एक रिपोर्ट पेश की है. इसके अनुसार नकली मुद्रा पकड़े जाने के मामलों की संख्या पिछले आठ साल में 3.53 लाख तक पहुंच गई.

Advertisement
X
पुराने नोट
पुराने नोट

देश के बैंकिंग प्रणाली में लेनदेन के दौरान नकली नोट पकड़े जाने के मामले पिछले आठ साल में तेजी से बढ़े हैं. हाल ही में सरकार ने एक रिपोर्ट पेश की है. इसके अनुसार नकली मुद्रा पकड़े जाने के मामलों की संख्या पिछले आठ साल में 3.53 लाख तक पहुंच गई. सरकारी, निजी बैंकों और देश में संचालित सभी विदेशी बैंकों के लिए नकली मुद्रा पकड़े जाने पर र्फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट (Financial Intelligance Unit) को जानकारी देना अनिवार्य कर दिया है. सरकार ने धन शोधन रोधी कानूनों (Prevention of Money Laundering Act) के प्रावधान के तहत वित्तीय खुफिया इकाई र्फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट की गठन किया है.

एक रिपोर्ट के मुताबिक, नकली मुद्रा रिपोर्टों सीसीआर ( नकली नोट या बैंक नोट का इस्तेमाल आम नोट की तरह करना ) की संख्या वर्ष 2007-2008 में महज 8,580 थी. वर्ष 2008-2009 में यह बढ़कर 35,730 हो गई. जबकी वर्ष 2014-15 में सीसीआर की संख्या बढ़कर 3,53,837 हो गई. इस रिपोर्ट में नकली मुद्रा में कितनी राशि पकड़ी गई, इसकी जानकारी नहीं दी गई है.

धन शोधन रोकथाम कानून के तहत आकड़ों को सामने लाना अनिवार्य किया
बैंक में कैश के लेनदेन के दौरान किसी कीमती शेयर या दस्तावेज से जुड़ी जालसाजी की गई है, तो वह सीसीआर के तहत आती है. वर्ष 2007-08 में सरकार ने पहली बार एफआईयू धन शोधन रोकथाम कानून के तहत इस तरह की रिपोर्टें को सबके सामने लाने को अनिवार्य किया था.

आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2009-10 में 1,27,781 सीसीआर दर्ज हुईं. वर्ष 2010-11 में यह संख्या 2,51,448 और वर्ष 2011-12 में यह 3,27,382 थी. वर्ष 2012-13 में सीसीआर संख्या 3,62,371 रही जबकि वर्ष 2013-14 में ऐसे कुल 3,01,804 मामले एफआईयू के समक्ष आए.

निजी बैंकों ने किया है बेहतर प्रदर्शन
वर्ष 2010-11 से 2014-15 के आंकड़े दिखाते हैं कि इन रिपोर्टों में 90 प्रतिशत से अधिक रिपोर्टें निजी भारतीय बैंकों ने दायर किया हैं. इनमें से अधिकतर रिपोर्ट किसी अन्य मूल्यवान शेयर से नहीं बल्कि नकली भारतीय नोटों से जुड़ी थीं. रिपोर्ट में कहा गया, सीसीआर में बड़ा योगदान भारत के निजी बैंकों का है. सीसीआर के निर्देशों के पालन का मामला आरबीआई के समक्ष उठाए जाने के बाद भी सरकारी बैंकों में इसके पालन किए जाने का स्तर लगातार निम्न बना हुआ है.

रिपोर्ट में कहा गया कि इस मुद्दे पर सरकारी बैंकों के समीक्षो में निजी भारतीय बैंकों की ओर से नकली मुद्रा की पहचान और रिपोर्ट दर्ज कराने के सर्वश्रेष्ठ तरीकों को रेखांकित किया गया है.

नकली मुद्रा पहचानने की बैंकों की क्षमता बढ़ी
वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इन आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि सीसीआर का उद्देश्य नकली भारतीय मुद्रा नोटों को बैंकिंग प्रणाली में प्रवेश करने से और प्रसारित होने से रोकना है. बैंकिंग प्रणाली अर्थव्यवस्था के संचालन का एक अहम हिस्सा है. अधिकारी ने कहा कि इस तरह के मामलों की रिपोर्ट दर्ज कराए जाने की शुरूआत होने के बाद आठ साल के आंकड़ों में वृद्धि का चलन देखने को मिला है. यह अच्छा है कि नकली मुद्रा की पहचान कर पाने और एफआईयू को इसकी जानकारी दे पाने की बैंकों की क्षमता बढ़ रही है.

इस रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया कि जब सीसीआर राष्ट्रीय जांच एजेंसी, राजस्व खुफिया निदेशालय और अन्य जांच एजेंसियों को सौंपी गईं, तो उनके क्या नतीजे निकले.

Advertisement
Advertisement