अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) ने 2021 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 11.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है. कोरोना वायरस महामारी के बीच बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत एकमात्र देश है जिसकी आर्थिक वृद्धि दर इस साल दहाई अंक में होगी. भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यम ने भी आजतक से खास बातचीत में माना है कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर 11 फीसदी के करीब रहेगी.
भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यम ने कहा कि कोरोना काल के दौरान भारत सरकार ने 80 करोड़ लोगों के लिए मुफ्त में अनाज की व्यवस्था की. जो एक बढ़िया कदम था. महामारी के पहले पांच-छह महीने अनिश्चता बहुत थी. उस समय भारत सरकार को ध्यान से चलने की जरूरत थी. भारत सरकार ने भी अपनी आवश्यकताओं पर ध्यान दिया. वहीं अनलॉक शुरू होने के साथ ही भारत सरकार ने फिर से डिमांड पर ध्यान देना शुरू किया.
उन्होंने कहा कि भारत की रिकवरी वी शेप में रही है. पहली तिमाही में विकास दर करीब 24 प्रतिशत कम रही. दूसरी तिमाही में वो साढ़े सात प्रतिशत रह गई. तीसरी तिमाही में अनुमान है कि यह थोड़ी सकारात्मक रहेगी. चौथी तिमाही में विकास दर का और विस्तार होगा.
यानी पूरे एक साल का ग्रोथ रेट देखें तो ये वी शेप में रहा है. परचेजिंग मैन्युफैक्चरिंग इंडेक्स पिछले कुछ दिनों में काफी बेहतर हुआ है जो पिछले कई सालों में नहीं हुआ था. सर्विस सेक्टर की बात करें तो ट्रैवल एंड टूरिज्म में अभी थोड़ी मंदी है, लेकिन अन्य सेक्टर्स में काफी वृद्धि आई है. इसलिए मेरा अनुमान है कि 2021 में विकास दर 11 फीसदी रहने वाली है.
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण शॉट टर्म पेन था लेकिन लॉन्ग टर्म गेन पर ध्यान दिया गया. इसके लिए साहस की जरूरत होती है. IMF ने भी कहा है कि भारत ने काफी पारदर्शिता दिखलाई है. यह काफी हिम्मत की बात होती है. इंवेस्टर्स भी मैच्योर पॉलिसी मेकिंग देखते हैं.
भारत के विकास दर को लेकर IMF और दूसरे रेटिंग एजेंसी में अंतर क्यों हैं? इसके जवाब में मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि भारत की आबादी में सबसे अधिक संख्या युवाओं की है. इसके साथ ही आर्थिक सुधारों की बात की जाए तो भारत एक मात्र देश है जिसने महामारी के दौरान इतने सारे रिफॉर्म्स किए हैं.
नीतियों को भी देखें तो भारत ने ना केवल डिमांड पर ध्यान दिया बल्कि सप्लाई पर भी फोकस्ड रहा. बाकी किसी देश ने इस तरह का रिफॉर्म्स नहीं किया. लेबर रिफॉर्म की ही बात करें तो पिछले तीस सालों से इसमें बदलाव की बात चल रही थी लेकिन इस साल से अमल हुए हैं. MSMEs की परिभाषा भी बदली गई है.
ईज ऑफ डूइिंग बिजनेस की भी बात करें तो पहले हमारा स्थान 120 पर था जो अब 60 पर पहुंच गया है. भारत ने पिछले कुछ समय में काफी पारदर्शिता दिखलाई है. इसलिए आज पूरा विश्व भारत की ओर देख रहा है.
दूसरे स्थान पर रहेगी चीन का वृद्धि दर
IMF के मुताबिक वृद्धि के लिहाज से चीन 2021 में 8.1 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर होगा. उसके बाद क्रमश: स्पेन (5.9 प्रतिशत) और फ्रांस (5.5) के रहने का अनुमान है. IMF ने आंकड़ों को संशोधित करते हुए कहा कि 2020 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 8 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान है. चीन एकमात्र बड़ा देश है जिसकी वृद्धि दर 2020 में सकारात्मक 2.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है.
मुद्राकोष के अनुसार 2022 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत और चीन की 5.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है. इस ताजा अनुमान के साथ भारत दुनिया की तीव्र आर्थिक वृद्धि वाला विकासशील देश का दर्जा फिर से हासिल कर लिया है।
महामारी के समय भारत के उठाए कदम रहे निर्णायक
इस महीने की शुरुआत में IMF की प्रबंध निदेशक क्रिस्टलीन जार्जीएवा ने कहा था कि भारत ने वास्तव में महामारी और उसके आर्थिक प्रभाव से निपटने के मामले में निर्णायक कदम उठाया है. उन्होंने कहा था कि भारत की जितनी आबादी है और जिस तरह से लोग आस-पास रहते हैं, उसमें 'लॉकडाउन' बड़ा कदम था. उसके बाद भारत ने पाबंदियां और 'लॉकडाउन लगाया. आईएमएफ प्रमुख ने कहा कि इसके साथ ही भारत ने कई नीतिगत कदम भी उठाये. यही वजह है कि भारत एक बार फिर से कोविड के पहले वाली स्थिति में पहुंच गया है.