वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए सरकार का 8वां बजट पेश किया. इस बजट में चुनावी राज्य बिहार पर खास ध्यान दिया गया है, जहां लगभग 9 महीने बाद चुनाव होने हैं. इस बात के पहले से संकेत मिल रहे थे कि सरकार विधानसभा चुनाव को देखते हुए बिहार के लिए खास ऐलान कर सकती है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मधुबनी कला से सजी साड़ी पहनकर संसद पहुंचीं, जिसे पद्म पुरस्कार विजेता दुलारी देवी ने नवंबर 2024 में बिहार की अपनी यात्रा के दौरान उन्हें उपहार में दिया था.
बिहार में मखाना बोर्ड की स्थापना से लेकर मिथिलांचल और कोसी क्षेत्रों को फायदा पहुंचाने वाली पश्चिमी कोसी नहर परियोजना को वित्तीय सहायता देने वाले ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों के निर्माण तक, विचार स्पष्ट रूप से राज्य के विकास को बढ़ाने में मददगार साबित होगा. एनडीए में नीतीश कुमार की वापसी ने ‘डबल इंजन की सरकार’ के माध्यम से विकास को सुविधाजनक बनाया है.
यह भी पढ़ें: नए बजट ने देश के मध्यम वर्ग को दी बड़ी राहत, इन बड़े नेताओं ने की निर्मला सीतारमण की तारीफ
बिहार में मखाना बोर्ड के गठन के ऐलान से इस साल के आखिरी में होने वाले विधानसभा चुनावों में मिथिलांचल और सीमांचल क्षेत्रों की 243 विधानसभा सीटों में से कम से कम 30 प्रतिशत पर चुनावी प्रभाव पड़ने की उम्मीद है.
मखाना राजनीति को समझें
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐलान किया कि बिहार में मखाना बोर्ड की स्थापना की जाएगी ताकि इसके प्रोडक्शन, प्रोसेसिंग, वैल्यू एडिशन और मार्केटिंग में सुधार हो सके. वित्त मंत्री ने कहा कि बिहार में मखाना बोर्ड की स्थापना का मतलब होगा कि इन गतिविधियों में लगे लोगों को किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) में संगठित किया जाएगा.
मखाना बोर्ड के गठन की सरकार के ऐलान से बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र, खासकर दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, सहरसा, कटिहार, पूर्णिया, किशनगंज, अररिया, सुपौल और मधेपुरा जिलों के पांच लाख से ज्यादा किसानों को लाभ मिलने की संभावना है.
दिलचस्प बात यह है कि बिहार में मखाना का उत्पादन करने वाले अधिकांश क्षेत्र एनडीए का गढ़ हैं और इनका प्रतिनिधित्व बीजेपी और जेडी-यू के सांसद करते हैं. यह स्पष्ट संकेत है कि राज्य में मखाना बोर्ड स्थापित करने की घोषणा से मिथिलांचल और सीमांचल क्षेत्र में आगामी विधानसभा चुनाव में एनडीए का वोट बैंक मजबूत होगा.
मिथिलांचल और सीमांचल के मौजूदा एनडीए सांसदों में मधुबनी से अशोक यादव (बीजेपी), सीतामढी से देवेश चंद्र ठाकुर (जद-यू), सुपौल से दिलेश्वर कामत (जद-यू), मधेपुरा से दिनेश चंद्र यादव (जद-यू), दरभंगा से गोपाल जी ठाकुर (भाजपा), अररिया से प्रदीप सिंह (भाजपा) और झंझारपुर से रामप्रीत मंडल (जद-यू) शामिल हैं.
यह भी पढ़ें: 'ये बजट MSME और स्टार्टअप के लिए काफी अच्छा', बोले बैंकबाजार.कॉम के CEO
मखाना, जिसे 'मिथिला मखाना' के नाम से भी जाना जाता है, को 2022 में भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग मिला और भारत के कुल मखाना का 80 प्रतिशत बिहार में पैदा होता है. राज्य का मिथिलांचल क्षेत्र मखाना की खेती के लिए प्रसिद्ध है.
मिथिलांचल, सीमांचल क्षेत्रों को समझें
बिहार में 243 विधानसभा क्षेत्रों में से लगभग 72 मिथिलांचल और सीमांचल क्षेत्रों में आते हैं, जो मखाना की खेती का केंद्र है, इसलिए इस क्षेत्र के लोगों की आर्थिक उन्नति पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, खासकर उन लोगों के लिए जो मखाना की खेती के व्यवसाय में हैं और इस तरह राज्य में चुनाव होने पर चुनावी लाभ भी उठा सकते हैं.
यहां उन 72 सीटों का ब्यौरा दिया गया है जो राज्य में चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकती हैं:
वित्त मंत्री के ऐलान से एनडीए को कितना फायदा होगा, ये तो तभी पता चलेगा जब नीतीश कुमार की "अगुवाई" में बीजेपी विधानसभा चुनाव के लिए ग्राउंड पर उतरेगा.