रोजमर्रा की वस्तुओं की महंगाई के बोझ तले दबी जनता को आगामी बजट में कुछ राहत मिल सकती है. वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी बजट में व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा बढाकर आम करदाताओं को यह राहत दे सकते हैं.
सूत्रों के अनुसार, ‘वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी महंगाई विशेषकर उपभोक्ता वस्तुओं की महंगाई और उससे आम आदमी पर पड़ने वाले बोझ से अच्छी तरह अवगत हैं.’ सूत्रों ने कहा कि ऐसे में वह आयकर छूट सीमा बढ़ाने के मुद्दे पर सकारात्मक रवैया अपनायेंगे. आयकर छूट की सीमा कितनी बढेगी, इस मुद्दे पर तो निश्चित कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन सूत्रों ने कहा कि प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) विधेयक में सरकार ने इसे 1.60 लाख रुपये से बढाकर दो लाख रुपये करने का वादा किया है.
विधेयक 2012-13 से अमल में आयेगा. बहरहाल, 2011-12 के आगामी बजट में इस दिशा में कुछ पहल हो सकती है. सूत्र का कहना है, ‘बजट तैयार करते समय वित्त मंत्रालय महंगाई की स्थिति को ध्यान में रखेगा. समाज के बड़ा तबका अभी भी ऐसा है जिसे कोई महंगाई भत्ता नहीं मिलता है इसलिये आयकर छूट सीमा बढाकर इस तबके को राहत पहुंचाई जा सकती है.’ {mospagebreak}
वर्तमान में एक लाख 60 हजार रुपये तक की सालाना आय कर से मुक्त है. महिलाओं के लिये यह सीमा एक लाख 90 हजार और वरिष्ठ नागरिकों की दो लाख 40 हजार रुपये की सालाना आय कर मुक्त है. संसद में पिछले साल पेश डीटीसी विधेयक में आयकर छूट सीमा बढ़ाकर दो लाख रुपये किये जाने का प्रस्ताव है.
इस विधेयक के अनुसार दो से पांच लाख रुपये तक की सालाना आय पर 10 प्रतिशत, पांच से दस लाख रुपये की आय पर 20 प्रतिशत और 10 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत की दर से आयकर लगाने का प्रस्ताव किया गया है. बहरहाल, आयकर अधिनियम 1961 का स्थान लेने वाला डीटीसी विधेयक अप्रैल 2012 से ही अमल में आने की उम्मीद है.
इस बजट में मौजूदा छूट को कुछ बढाकर इसे दो लाख तक बढ़ाने की शुरुआत हो सकती है. इस समय 1.60 लाख से पांच लाख रुपये की सालाना आय पर 10 प्रतिशत, पांच से लेकर आठ लाख रुपये पर 20 प्रतिशत और आठ लाख से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत की दर से आयकर लगाया जाता है. सूत्रों का कहना है कि आयकर स्लैब में तो ज्यादा बदलाव नहीं होगा लेकिन आयकर छूट सीमा कुछ बढ़ाई जा सकती है. {mospagebreak}
उल्लेखनीय है कि थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित खाद्य मुद्रास्फीति इस समय 15.57 प्रतिशत पर बनी हुई है. दो सप्ताह पहले ही यह 18.32 प्रतिशत की उंचाई पर थी. सकल मुद्रास्फीति भी दिसंबर में 8.43 प्रतिशत रही. रिजर्व बैंक महंगाई के इस स्तर से चिंतित है और यही वजह है कि उसने मौद्रिक नीति में लगातार नकदी सोखने के उपाय किये हैं ताकि मांग का दबाव कम किया जा सके. पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम जो कि वर्तमान में गृहमंत्री हैं ने हाल ही में महंगाई की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुये कहा था कि मुद्रास्फीति से खराब कोई कर नहीं हो सकता.