करदात्ताओं को अब से रिटर्न भरने और आयकर विभाग से किसी तरह की जानकारी प्राप्त करने के लिए एक नयी संख्या विशिष्ट डाक्यूमेंट पहचान संख्या (डीआईएन) लेनी होगी.
अगले वित्तीय वर्ष (2010-11) से रिटर्न समेत आयकर से संबंधित किसी तरह के संचार के लिए पैन, टैन की तरह डीआईएन का भी उल्लेख करना अनिवार्य होगा.
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड द्वारा जारी किए गए नए दिशानिर्देशों के मुताबिक करदाताओं को आयकर विभाग से किसी तरह के जानकारी प्राप्त करने के लिए, पत्र लेखन में डीआईएन लिखना अनिवार्य होगा.
वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आयकर विभाग डीआईएन जारी करेगा. यह सही कर रिटर्न भरने, कोष वापसी के लिए दावा करने और आयकर विभाग से दूसरे संचार में यह सहायक होगा.
अधिकारी ने बताया कि आयकर संपर्क केंद्र इस महिने से डीआईएन वितरित करेंगे.
फिलहाल करदाताओं को रिटर्न दायर करते समय अनेक कागजातों समेत स्थायी खाता संख्या (पैन) और कर कटौती और संग्रह खाता संख्या (टीएएन) का उल्लेख करना होता है.
आयकर अधिनियम के धारा 282 बी के मुताबिक डीआईएन का उल्लेख नहीं करने वाले पत्रों को आयकर विभाग किसी भी प्रकार की जानकारी और जवाब नहीं देगा और इस तरह के पत्रों को नहीं प्राप्त हुआ माना जाएगा.
अधिकारी ने कहा कि डीआईएन के जरिये सरकार कर प्रशासन में अधिक पारदर्शिता लाना चाहती है.