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घर खरीदते समय ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट है बेहद जरूरी? वर्ना खतरे में पड़ सकती है आपकी प्रॉपर्टी

बिना OC के फ्लैट खरीदना या उसमें रहना न केवल अवैध है, बल्कि भविष्य में बिजली, पानी, लोन या प्रॉपर्टी बिक्री जैसे मामलों में बड़ी मुश्किलें खड़ी कर सकता है. OC क्या है और यह क्यों जरूरी है?

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OC क्या है, इसका महत्व क्या है? (AI-Generated)
OC क्या है, इसका महत्व क्या है? (AI-Generated)

दिल्ली-एनसीआर में हजारों घर खरीदार अपने घर के पजेशन की लड़ाई सालों से लड़ रहे हैं. हर परिवार अपने सपनों के घर में गृहप्रवेश का सपना देखता है, लेकिन  कई बार थोड़ी सी लापरवाही से उसका सपना टूट जाता है. इस सपने को साकार करने में एक छोटी सी लापरवाही भारी पड़ सकती है. ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (OC) एक ऐसा महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जो आपके घर की कानूनी वैधता और सुरक्षा को सुनिश्चित करता है. बिना OC के फ्लैट खरीदना या उसमें रहना न केवल अवैध है, बल्कि भविष्य में बिजली, पानी, लोन या प्रॉपर्टी बिक्री जैसे मामलों में बड़ी मुश्किलें खड़ी कर सकता है. OC क्या है और यह क्यों जरूरी है?


प्रॉपर्टी एक्सपर्ट प्रदीप मिश्रा aajtak.in से बात करते हुए बताते हैं- 'घर आम भारतीय परिवार के लिए एक सपना होता है. यह सपना सालों की मेहनत, बचत और भविष्य की योजनाओं का प्रतीक होता है, लेकिन जब कोई परिवार घर में प्रवेश करता है, तो कई बार वह एक महत्वपूर्ण दस्तावेज की अनदेखी कर बैठता है  और वह है ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (Occupancy Certificate). आज के दौर में, जब रियल एस्टेट सेक्टर तेजी से विकसित हो रहा है, लोग ब्रांडेड बिल्डर, आकर्षक सुविधाएं और प्राइम लोकेशन को प्राथमिकता देते हैं. लेकिन जो बात सबसे ज्यादा मायने रखती है, वह यह कि क्या उस फ्लैट या बिल्डिंग को OC मिला है या नहीं. ' 

भारत में लाखों फ्लैट और घर हर साल बन रहे हैं, लेकिन इनमें से कितने प्रोजेक्ट्स पूरी तरह नियमों और कानूनों का पालन करते हुए बनाए गए हैं, इसका आंकड़ा चिंताजनक है. इसी वजह से OC का महत्व और भी ज्यादा हो जाता है. यह सिर्फ एक कागज नहीं, बल्कि आपके नए घर की कानूनी वैधता, सुरक्षा, और वित्तीय स्थायित्व का प्रमाण है.

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OC क्या है, इसका महत्व क्या है?

OC एक सरकारी दस्तावेज होता है, जिसे स्थानीय नगर निगम या विकास प्राधिकरण (जैसे LDA, ADA या MMRDA आदि) द्वारा जारी किया जाता है. यह सर्टिफिकेट यह प्रमाणित करता है कि बिल्डिंग पूरी तरह से स्वीकृत नक्शे और सरकारी मानकों के अनुरूप बनी है, और उसमें रहना सुरक्षित है. इसका मतलब यह भी होता है कि भवन में सभी आवश्यक सुरक्षा उपाय, जैसे फायर सेफ्टी, सीवेज सिस्टम, जल निकासी, स्ट्रक्चरल सुरक्षा और पर्यावरणीय नियमों का पालन हुआ है. बिना OC के फ्लैट में रहना या उसे खरीदना-किराए पर देना अवैध माना जाता है. इसे तकनीकी रूप से 'अनऑथराइज्ड ऑक्युपेंसी' कहा जाता है.

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प्रदीप आगे बताते हैं- 'भारत में आमतौर पर घर खरीदते समय लोग बिल्डर के नाम, EMI, पार्किंग, क्लब हाउस, जिम जैसी बातों पर तो ध्यान देते हैं, लेकिन शायद ही कोई यह पूछता है कि “क्या इस प्रोजेक्ट को OC मिला है? यह लापरवाही बाद में भारी पड़ सकती है. कई बार बिल्डर बिना OC के ही पजेशन देना शुरू कर देते हैं, और ग्राहक बिना जांच-पड़ताल किए फ्लैट ले लेते हैं. कुछ साल बाद जब बिजली-पानी की समस्या आती है या बिल्डिंग पर कोई कानूनी विवाद खड़ा होता है, तब पता चलता है कि OC तो मिला ही नहीं था. '

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बिना OC के क्या खतरा हो सकता है?

OC न होने का मतलब यह है कि सरकार उस प्रोजेक्ट को पूरी तरह वैध नहीं मानती. ऐसे में कभी भी उस पर नोटिस आ सकता है, जुर्माना लग सकता है, और यहां तक कि घर खाली कराने का आदेश भी मिल सकता है.

स्थायी बिजली, जल, गैस या सीवेज कनेक्शन तभी दिया जाता है, जब OC हो, अस्थायी कनेक्शन कभी भी काटा जा सकता है. कई बार RWA को सामूहिक रूप से पैसे देकर व्यवस्था करनी पड़ती है.

बैंक या फाइनेंस कंपनी OC के बिना लोन नहीं देती, अगर लोन मिल भी जाए, तो उसमें ब्याज ज्यादा होता है और दस्तावेजों की शर्तें कठिन होती हैं.

अगर आप घर को भविष्य में बेचना चाहें या किराए पर देना चाहें, तो अधिकांश ग्राहक या किरायेदार OC की मांग करते हैं, इसके अभाव में सौदा रुक सकता है या दाम गिर सकता है. बिना OC वाली प्रॉपर्टी की बाजार कीमत सामान्य से कम होती है, निवेश के दृष्टिकोण से यह घाटे का सौदा हो सकता है.

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OC कैसे मिलता है? 

जब कोई बिल्डर प्रोजेक्ट को पूरा कर लेता है, तो वह स्थानीय अथॉरिटी को OC के लिए आवेदन करता है, इसके बाद संबंधित विभाग जांच करता है.

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  • क्या निर्माण स्वीकृत नक्शे के अनुसार हुआ है?
  • फायर सेफ्टी, स्ट्रक्चर, पर्यावरणीय मानक पूरे हुए हैं या नहीं?
  • पानी, सीवेज, ड्रेनेज, लिफ्ट, पार्किंग आदि की व्यवस्था है या नहीं?

जांच संतोषजनक होने के बाद ही OC जारी किया जाता है, यह पूरी प्रक्रिया कई हफ्तों या महीनों में पूरी होती है, लेकिन यही प्रमाणपत्र किसी भी फ्लैट को 'वैध' बनाता है.

 

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