नोएडा के सेक्टर 128, 133 और 134 में जेपी विशटाउन के प्रोजेक्ट में घर बुक कराना सैकड़ों खरीदारों के लिए बुरा ख्वाब बन गया है. aajtak.in ने सेक्टर 134 में स्थित Klassic in और सेक्टर 133 में स्थित Gardel Isle, KP-1 के निवासियों से बात की. सेक्टर 133 में स्थित Gardel Isle प्रोजेक्ट के लोगों की शिकायत है अपने जीवन भर की कमाई लगाकर घर खरीदने का सपना देखा था, लेकिन अभी तक घर का इंतजार ही कर रहे हैं. Klassic in के निवासियों का आरोप है कि सोसायटी में प्रॉपर मेंटनेंस का काम नहीं होता है, वहीं सेक्टर 133 में स्थिति KP-1 में मंदिर में ताला लगने से लोगों में नाराजगी है.
कंपनी के दिवालियापन और एनसीएलटी कार्यवाही के कारण प्रोजेक्ट में देरी हुई है, जिससे खरीदारों में निराशा बढ़ी है. वहीं कुछ खरीदारों को पजेशन मिला है, लेकिन वे रखरखाव की समस्याओं और बिल्डर की जवाबदेही की कमी से परेशान हैं. हालांकि aajtak.in से बात करते हुए बिल्डर की तरफ से कहा गया है कि लोगों की परेशानी को समझते हुए जल्द ही अधूरा काम पूरा किया जाएगा और लोगों को तय वक्त पर पजेशन दिया जाएगा.
जेपी के Gardel Isles प्रोजेक्ट में फ्लैट बुक कराने वाले सुरेंद्र सहगल कहते हैं-' 2012 में फ्लैट बुक कराया था बिल्डर 80% तक पैसा ले चुके हैं, साथ ही IDC, EDC और पार्किंग के पैसे भी वसूल किए हैं. फिर भी, 14 साल बाद हम किराए पर रह रहे हैं, ईएमआई दे रहे हैं, और हमें भारी परेशानी हो रही है. जब हम स्थिति देखने आते हैं, तो हमें अंदर नहीं जाने दिया जाता. हालात बहुत खराब हैं, और कोई सुनने वाला नहीं है."
एक अन्य खरीदार, सचिन अरोड़ा, कहते हैं, "मैंने 2012 में फ्लैट बुक किया था, हमें बताया गया था कि चार साल में पजेशन मिलेगा, जिसमें छह महीने का ग्रेस पीरियड था, लेकिन 2016 में पता चला कि कंपनी एनसीएलटी में चली गई है. निर्माण कार्य रुक गया, और सालों तक कोई प्रगति नहीं हुई. उन्होंने 24वीं मंजिल तक काम रोका था. हाल के कुछ महीनों में उन्होंने कुछ मजदूर लगाए हैं ताकि यह दिखे कि काम चल रहा है, लेकिन 13-14 साल से इंतजार कर रहे सभी खरीदार थक चुके हैं. कई लोगों ने अपनी जीवन भर की बचत लगा दी, और कुछ लोग अब इस दुनिया में भी नहीं रहे."
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लगभग 3,400 खरीदारों का पैसा इस प्रोजेक्ट में फंसा है, उनका आरोप है कि हाल ही में निर्माण शुरू हुआ है, लेकिन उन्हें अपनी संपत्ति की स्थिति देखने की अनुमति नहीं है. कागजों पर अलग स्थिति दिखाई जाती है, और वास्तविकता का पता नहीं चलता. काम कभी शुरू होता है, कभी रुक जाता है, और खरीदारों को कोई अपडेट नहीं मिलता. खरीदार कहते हैं, "हम पैसे देकर यहां फंस गए हैं.'

एक अन्य खरीदार, निशांत भार्गव, बताते हैं, "नोएडा में जब कोई प्रोजेक्ट का नक्शा स्वीकृत होता है, तो कुछ अनिवार्य नियमों का पालन करना पड़ता है, जैसे हरा क्षेत्र, वाणिज्यिक क्षेत्र, सामुदायिक क्षेत्र और आवासीय क्षेत्र प्रदान करना. जेपी और जेआईएल ने हमारे साथ क्या गलत किया? उन्होंने फ्लोर एरिया रेशियो (FAR) का पूरा उपयोग किया और टावरों की ऊंचाई अधिकतम कर ली, लेकिन वादा किया गया ग्रीन एरिया सेक्टरों में नहीं दिया. इसके बजाय, उन्होंने सारा ग्रीन एरिया सेक्टर 128 के गोल्फ कोर्स में डाल दिया. सेक्टर 133, 134 और 131 में ग्रीन एरिया न के बराबर है. 133 में 1-2% और 131 में 5-6%. अनिवार्य 152 एकड़ हरे क्षेत्र में से 102 एकड़ गोल्फ कोर्स को दे दिया गया. बाकी चार सेक्टरों के निवासियों के पास कोई ग्रीन एरिया नहीं है."
निशांत आगे कहते हैं, "सेक्टर 133 में खेल के मैदान में बिल्डर ने 2,000-2,500 मजदूरों की अस्थायी कॉलोनी बना दी है. फ्लैट या प्लॉट खरीदने के बाद भी, हमें ग्रीन एरिया तक पहुंच नहीं मिलती. गोल्फ कोर्स का उपयोग करने के लिए 22 लाख रुपये की सदस्यता लेनी पड़ती है."

हालांकि कुछ खरीदारों को पजेशन भी मिला है, लेकिन वे अव्यवस्था से परेशान हैं. मनिकेश तिवारी कहते हैं, "हाल ही में बिल्डर ने एक पत्र भेजा कि सोसायटी में जो कुछ भी टूट रहा है या गिर रहा है, उसका रखरखाव वे नहीं करेंगे. यूपी अपार्टमेंट एक्ट के अनुसार, एसोसिएशन को हैंडओवर करने के बाद दो साल तक रखरखाव करना अनिवार्य है, लेकिन यहां आधे टॉवर भी नहीं बने हैं. अगर खराब तरीके से बनी इमारत से कोई पत्थर गिरे और किसी निवासी को चोट लगे, तो उन्होंने पहले ही लिखकर दे दिया कि उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं होगी."

प्रोजेक्ट के मंदिर का भी ताला बंद है, जिसका केवल बाहरी ढांचा बना है. खरीदार कहते हैं, "मंदिर अपने भगवान और भक्तों को पुकार रहा है. लोगों ने सपना देखा था कि वे यहां पूजा करेंगे, लेकिन 20 साल बाद भी मंदिर के अंदर ताला है. जहां भगवान भी नहीं रह पा रहे, वहां हमें घर कब मिलेगा? यह सब भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है."
सेक्टर 134 में स्थित Klassic in के एक निवासी प्रदीप सहाय कहते हैं, "हम शिकायत करते-करते थक चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती. हमने करोड़ों का घर लिया, लेकिन रखरखाव के नाम पर कुछ नहीं है. "
जेपी इन्फ्राटेक लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक, जश पंचमिया, कहते हैं, "जब हमें प्रोजेक्ट मिला, तो सबसे बड़ी चुनौती 15 साल से अधूरे घरों को पूरा करना था. इन चुनौतियों के बावजूद, हमने सभी इमारतों के लिए ठेके आवंटित कर दिए हैं. टावरों को समूहों में बांटकर कई ठेकेदारों को नियुक्त किया गया है. 159 में से 22 टावरों के लिए ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (OC) मिल चुके हैं, और 18 अन्य टावरों के लिए OC के लिए आवेदन किया गया है. होम बायर्स के प्रतिनिधि भी संतुष्ट हैं. हम रेजोल्यूशन प्लान की समयसीमा के अनुसार डिलीवरी करने की स्थिति में हैं."
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