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US Banking Crisis: डूबने की कगार पर अमेरिका का एक और बैंक, क्या आर्थिक मंदी ने दे दी है दस्तक?

अमेरिकी बैंकिंग संकट गंभीर होता जा रहा है, जिसकी वजह से आर्थिक मंदी की आशंका बढ़ गई है. अमेरिका का एक और बैंक डूबने की कगार पर पहुंच गया है. बैंक के डिपॉजिट में भारी गिरावट आई है और शेयर 50 फीसदी से अधिक टूटे हैं.

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फर्स्ट रिपब्लिक बैंक के शेयरों में भारी गिरावट.
फर्स्ट रिपब्लिक बैंक के शेयरों में भारी गिरावट.

अमेरिका में बैंकिंग संकट (US Banking Crisis) गहराता ही जा रहा है. सिलिकॉन वैली बैंक और सिग्नेचर बैंक के बाद एक और बैंक डूबने की कगार पर है. अमेरिका के फर्स्ट रिपब्लिक बैंक (First Republic Bank) की वित्तीय हालत खराब है और इसकी सांसें उखड़ रही हैं. फर्स्ट रिपब्लिक बैंक के शेयरों में शुक्रवार को भारी गिरावट आई. फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन (FDIC) ने जेपी मोर्गन चेज एंड कंपनी (JPMorgan Chase) और पीएनसी फाइनेंशियल सर्विसेज ग्रुप इंक (PNC Financial Services Group Inc.) से कहा है कि वो रविवार तक फाइनल बिड्स जमा कर दें.

बिक सकता है बैंक

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जल्द ही सैन फ्रांसिस्को स्थित फर्स्ट रिपब्लिक बैंक बिक सकता है. अगर बैंक रिसीवरशिप में गिर जाता है, तो ये पिछले महीने एक महीने में डूबने वाला अमेरिका का तीसरा बैंक होगा. अमेरिकी बैंकिंग नियामक द्वारा रिसीवरशिप में लेने की अटकलों के बाद शुक्रवार को न्यूयॉर्क ट्रेडिंग में फर्स्ट रिपब्लिक बैंक के शेयरों में 54 फीसदी तक की गिरावट आई थी और स्टॉक 43 फीसदी की गिरावट पर क्लोज हुए थे. बैंक के शेयर इस साल अब तक 97 फीसदी टूट चुके हैं. 

11 बैंकों के एक समूह ने मार्च में फर्स्ट रिपब्लिक में 30 बिलियन डॉलर जमा किए थे ताकि समाधान खोजने के लिए समय मिल सके. इनमें जेपी मॉर्गन चेस एंड कंपनी, सिटीग्रुप, बैंक ऑफ अमेरिका, वेल्स फार्गो, गोल्डमैन सैक्स और मॉर्गन स्टेनली शामिल थे. रायटर्स की खबर के अनुसार, इस बीच अमेरिकी बैंकिंग नियामक फर्स्ट रिपब्लिक बैंक को तत्काल रिसीवरशिप के तहत रखने की तैयारी कर रहा है.

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डिपॉजिट में भारी गिरावट

इस हफ्ते की शुरुआत के फर्स्ट रिपब्लिक बैंक ने बताया था कि पहली तिमाही में उसके डिपॉजिट में 100 अरब डॉलर की कमी आई है. इसके बाद से ही बैंक पर सकंट गहराने लगा और इसके शेयरों में तेज गिरावट शुरू हो गई. इस साल 9 मार्च के बाद बैंक के डिपॉजिट में करीब 70 अरब डॉलर की कमी आई है. 9 मार्च को बैंक का डिपॉजिट 173 अरब डॉलर था. 21 अप्रैल को घटकर ये 102.7 अरब डॉलर रह गया. हालांकि, क्षेत्रीय बैंक के अधिकारियों ने इस सप्ताह एक इनकम रिपोर्ट में कहा कि ग्राहकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंक के पास पर्याप्त नकदी भंडार है.

आक्रामक ब्याज दरों से बढ़ी परेशानी

फेडरल रिजर्व का ब्याज दरों पर आक्रामक रुख ने कुछ कारोबार के लिए मुश्किलें पैदा कर दी हैं. इस वजह से वो कर्ज का भुगतान बैंकों को नहीं कर पा रहे हैं. फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में तेज बढ़ोतरी की है. अमेरिका में बैकिंग संकट का पहला शिकार सिलिकॉन वैली बैंक बना और उसके बाद सिग्नेचर बैंक की भी सांसे उखड़ गईं. यूरोप के सबसे बड़े बैंकों में से एक क्रेडिट सुइस को UBS ने खरीदकर डूबने से बचा लिया. अमेरिका के बैंकिंग संकट ने ग्लोबल मार्केट को झकझोर दिया है. सिलिकॉन वैली बैंक के डूबने का सबसे अधिक प्रभाव आईटी कंपनियों पर पड़ा है. 

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मंदी की आशंका तेज

बैंकिंग संकट की वजह से आर्थिक मंदी की आशंका तेज हो गई है. दुनियाभर की दिग्गज कंपनियों में छंटनी का दौर जारी है. आईटी सेक्टर की कंपनियों के तिमाही के नतीजे अनुमान से कम रहे हैं. भारत की दो बड़ी आईटी कंपनियां इंफोसिस और TCS  के मार्च तिमाही के नतीजे निराशाजनक रहे थे. 

जानकारों का मानना है कि इन दोनों कंपनियों के प्रदर्शन में आई गिरावट की वजह अमेरिका का बैंकिंग संकट है. IT सेक्टर के लिए बैंकिंग फाइनेंसियल सर्विसेज एंड इंश्योरेंस (BFSI) सेगमेंट सबसे अहम होता है. अमेरिकी बैंकिंग संकट ने इसी पर चोट किया है. अमेरिका इंफोसिस के लिए सबसे अधिक रेवेन्यू जेनरेट करता है. एक्सपोजर अधिक होने के कारण इंफोसिस के BFSI का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है.

 

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