किचनवेयर सेगमेंट में टपरवेयर (Tupperware) कंपनी बड़ा नाम है. कंपनी के लंच बॉक्स, पानी की बोतल और दूसरे आइटम काफी इस्तेमाल किए जाते हैं. लेकिन अब कंपनी पर आर्थिक संकट मंडरा रहा है. कंपनी की सेल में भारी गिरावट आई है. जिससे कंपनी पर करीब 70 करोड़ डॉलर (करीब 5860 करोड़ रुपये) का कर्ज हो गया है. कर्ज चुकाने में नाकाम रहने पर इस कंपनी ने अपनी कुछ सहायक कंपनियों के साथ अमेरिका में दिवालियापन के लिए आवेदन किया है.
बोतल और टिफिन बनाने वाली दिग्गज कंपनी Tupperware की हालत बेहद खराब हो चुकी है और कंपनी अब दिवालिया होने के कगार पर आ चुकी है. मंगलवार को इसकी कुछ सब्सिडयरी कंपनियों ने बैंक्रप्सी के लिए आवदेन किया है.
कोविड में कंपनी की बिगड़ी हालत
कंपनी के चेयरमैन और CEO लॉरी एन गोल्डमैन ने कहा कि पिछले कई सालों में चुनौतीपूर्ण व्यापक आर्थिक समस्याओं के कारण कंपनी की वित्तीय स्थिति पर गंभीर असर पड़ा है. खासकर कोविड के दौरान इस कंपनी की हालत बेहद खराब हुई है, जिससे अभी तक ये उबर नहीं पाई है. कोविड के बाद कंपनी के प्रोडक्ट बिक्री में भारी गिरावट देखने को मिली थी. कंपनी का घाटा तब और बढ़ गया, जब ज्यादातर लोग घर पर ही खाना बनाने लगे और बचे हुए खाने को स्टोर करने के लिए एयरटाइट बॉक्सेस का इस्तेमाल करने लगे.
महामारी के बाद ऐसे बिगड़ी हालत
महामारी के बाद प्लास्टिक रेजिन जैसे महत्वपूर्ण कच्चे माल की लागत में उछाल के साथ-साथ श्रम और माल ढुलाई के बढ़ने से कंपनी के मार्जिन में और ज्यादा गिरावट आई, जिससे कंपनी के बैलेंसशीट पर असर दिखा और वित्तीय हालत और खराब होती चली गई. अगस्त में टपरवेयर ने नवंबर 2022 के बाद से चौथी बार कंपनी के संचालन को लेकर अपनी क्षमता पर चिंता जाहिर की थी. कंपनी ने कहा था कि उसे तरलता की कमी का सामना करना पड़ रहा है.
कंपनी पर भारी कर्ज
अमेरिकी कंपनी टपवेयर पर भारी कर्ज भी है. इस कंपनी की अनुमानित परिसंपत्तियां 500 मिलियन डॉलर से 1 अरब डॉलर तक हैं. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, लोन की शर्तों का उल्लंघन करने और कानूनी और वित्तीय सलाहकारों को नियुक्त करने के बाद दिवालियापन के लिए आवेदन करने की योजना बना रही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 700 मिलियन डॉलर से अधिक के लोन पर कर्जदाताओं के साथ लंबी बातचीत के बाद दिवालियापन की तैयारी शुरू हो सकती है.
77 साल पुरानी कंपनी है टपवेयर
अमेरिकी टिफिन बॉक्स बनाने वाली कंपनी की शुरुआत साल 1946 में हुई थी. जब केमिस्ट एस टपर ने देखा कि खाने के प्रोडक्ट सही से स्टोर नहीं हो पाने के कारण खराब होते जा रहे हैं. ऐसे में उन्होंने लोगों के पैसे बचाने के लिए और फूड की समस्या को कम करने के लिए टिफिन बॉक्स बनाने के बारे में सोचा और देखते ही देखते एक बड़ी कंपनी खड़ी कर दी. इस कंपनी ने समय, धन, स्थान, भोजन और ऊर्जा बचाने में क्रांतिकारी बदलाव किया, जिससे इसकी पॉपुलर्टी बढ़ती चली गई और कंपनी दुनिया भर में पॉपुलर हो गई.
यह कंपनी प्लास्टिक के टिफिन, बाउल से लेकर बोटल तक बनाती है. इसका दुनियाभर के 70 देशों तक कारोबार फैला हुआ था, लेकिन अब टपवेयर दिवालिया के कगार पर खड़ी है और आर्थिक समस्याओं से जूझ रही है.