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SEBI Rule Change: म्यूचुअल फंड के बिजनेस में बड़ा बदलाव, निवेशक को फायदा... AMC पर दबाव!

SEBI ने म्यूचुअल फंड फीस में बदलाव को लेकर जो प्रस्ताव दिया है, उसका असर AMC Stocks में गिरावट के रूप में देखने को मिला है. वहीं एक्सपर्ट्स इससे छोटी और नई एसेट मैनेजमेंट कंपनियों की कमाई कम करने वाला बदलाव बता रहे हैं.

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सेबी ने म्यूचुअल फंड फी स्ट्रक्चर में बड़े बदलाव का प्रस्ताव दिया (Photo: Reuters)
सेबी ने म्यूचुअल फंड फी स्ट्रक्चर में बड़े बदलाव का प्रस्ताव दिया (Photo: Reuters)

मार्केट रेग्युलेटर सेबी (SEBI) ने निवेशकों की लागत कम करने और पारदर्शिता बढ़ाने के मद्देनजर म्यूचुअल फंड फीस स्ट्रक्चर में बड़े बदलाव का प्रपोजल रखा है. इस प्रस्ताव को जहां निवेशकों की सुरक्षा और उनके हित में बढ़ाया गया सकारात्मक कदम बताया जा रहा है, तो वहीं तमाम एक्सपर्ट्स ने आगाह किया है कि इससे छोटी और नई एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMC) पर दबाव पड़ सकता है.

सेबी के प्रस्ताव में क्या-क्या? 
SEBI के प्रस्ताव में शामिल बदलावों में ओपन-एंडेड इक्विटी योजनाओं के लिए आधार व्यय अनुपात (Base Expense Ratio) में 15 बेसिस पॉइंट और क्लोज-एंडेड इक्विटी स्कीम्स के लिए 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की जाना शामिल है. इसके अलावा बाजार नियामक साल 2012 में लागू किए गए एक्स्ट्रा 5 बेसिस पॉइंट के चार्ज को भी हटाने की योजना बना रहा है, जिसे फंड हाउसों को सभी योजनाओं पर लगाने की अनुमति थी.

बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, सेबी खुद यह भी मानता है कि कम शुल्क सीमा के कारण छोटे फंड हाउसों को राजस्व पर दबाव का सामना करना पड़ सकता है. प्रस्तावित बदलावों से होने वाले इस प्रभाव की आंशिक भरपाई के लिए मार्केट रेग्युलेटर ने स्मॉल एयूएम ब्रैकेट को कवर करते हुए व्यय अनुपात के पहले दो स्लैब में 5 बेसिस पॉइंट की बढ़ोतरी करने का प्रपोजल भी दिया है. 

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छोटी AMCs के लिए बड़ी चुनौती
इसके बावजूद तमाम विश्लेषकों का मानना ​​है कि प्रस्तावित बदलावों के बाद छोटी कंपनियों के लिए चुनौतियां गंभीर बनी रहेंगी. कम मार्जिन के चलते नई एएमसी के लिए डिस्ट्रीब्यूशन कमीशन, निवेशक अधिग्रहण और ब्रांड विजिविलिटी के लिए फंड जुटाना मुश्किल हो सकता है. मास्टर ट्रस्ट ग्रुप के डायरेक्टर पुनीत सिंघानिया का कहना है कि इससे उद्योग में एकीकरण हो सकता है, जहां अच्छी तरह से पूंजीकृत एएमसी अपनी बाजार हिस्सेदारी बढ़ा सकती हैं. छोटे फंडों को रेस में बने रहने के लिए डिस्ट्रीब्यूशन स्ट्रेटजी पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है. हालांकि, उन्होंने कहा कि अंक में सेबी की इस पहल का सबसे बड़ा लाभ निवेशकों को होगा, क्योंकि इससे लागत कम होगी.

75 लाख करोड़ के MF बिजनेस में बदलाव
ट्रस्ट म्यूचुअल फंड के सीईओ संदीप बागला ने अनुमान लगाया कि सेबी की सिफारिशों से फंड का खर्च 15-20 बेसिस पॉइंट तक कम हो सकता है. उन्होंने कहा कि इससे निवेशकों को तो फायदा होगा, लेकिन एएमसी की कमाई कम होगी और डिस्ट्रीब्यूटर्स का कमीशन घट सकता है. कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये प्रस्ताव शॉर्ट टर्म में एएमसी के मार्जिन को कम कर सकते हैं, लेकिन ये भारत के 75.6 लाख करोड़ रुपये के म्यूचुअल फंड उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है. 

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खबर से बिखर गए ये शेयर 
सेबी द्वारा प्रस्तावित इन बदलावों की खबर का असर एएमसी शेयरों पर देखने को मिला है और इनमें करीब 10% तक की गिरावट देखने को मिली है. HDFC Asset Management Company का शेयर कारोबार के दौरान बुधवार को 10% के आसपास फिसला और 5288 रुपये पर आ गया. इसके अलावा UTI AMC (5%), निप्पॉन लाइफ इंडिया एएमसी (करीब 8%) फिसला. वहीं श्रीराम एएमसी, नुवामा और मोतीलाल ओसवाल जैसे स्टॉक्स में भी करीब 4 फीसदी के आसपास की गिरावट दर्ज की गई. 

जेफरीज ने भी दी बड़ी चेतावनी
रिपोर्ट्स के मुताबित, Jefferies ने भी अपने एक रिसर्च नोट में सेबी के म्यूचुअल फंड फीस स्ट्रक्चर में बदलाव को लेकर बड़ी चेतावनी दी है. विदेशी ब्रोकरेज ने अनुमान जाहिर करते हुए कहा है कि इससे सीधे तौर पर एसेट मैनेजमेंट कंपनियों की कमाई पर असर पड़ सकता है और टोटल एक्सपेंस रेशियो समेत अन्य कटौती से FY27 तक इनके मुनाफे में 8%–10% तक की गिरावट देखने को मिल सकती है. 

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