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RSS के संगठन ने किया फसलों पर MSP की गारंटी देने की मांग का समर्थन

स्वदेशी जागरण मंच (SJM) ने इस बात का समर्थन किया है कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसल बिक्री की गारंटी दी जानी चाहिए और एमएसपी से नीचे खरीद को गैर-कानूनी घोषित करना चाहिए. 

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एमएसपी की गारंटी किसानों की प्रमुख मांग है (फाइल फोटो)
एमएसपी की गारंटी किसानों की प्रमुख मांग है (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • RSS का आनुषांगिक संगठन है स्वदेशी जागरण मंच
  • मंच ने एमएसपी पर किसानों की मांग का किया समर्थन
  • फसलों पर एमएसपी की गारंटी देने की किसानों की मांग

नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े संगठन स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) ने इस बात का समर्थन किया है कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसल बिक्री की गारंटी दी जानी चाहिए और एमएसपी से नीचे खरीद को गैर-कानूनी घोषित करना चाहिए. 

हालांकि, संगठन ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार नए कृषि कानूनों को नेकनीयत से लाई है. संगठन ने खामियों को दूर करने के लिए कानून में कुछ संशोधन करने का रविवार को सुझाव दिया. 

एमएसपी से नीचे खरीद गैर-कानूनी हो 

स्वदेशी जागरण मंच ने पारित एक प्रस्ताव में कहा है कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी दी जानी चाहिए तथा एमएसपी से नीचे खरीद को गैर-कानूनी घोषित करना चाहिए. इसमें कहा गया कि सिर्फ सरकार ही नहीं निजी कंपनियों को भी एमएसपी से कम दर पर खरीद से रोका जाना चाहिए. 

 इसे देखें: आजतक LIVE TV 

कंपनियां किसानों का शोषण कर सकती हैं! 

एक न्यूज एजेंसी के मुताबिक एसजेएम के सह-समन्वयक अश्वनी महाजन ने कहा, ‘स्वदेशी जागरण मंच को ऐसा लगता है कि खरीद करने वाली कंपनियां किसानों का शोषण कर सकती हैं. इसलिए कृषि उत्पाद बाजार समितियों से बाहर खरीद को मंजूरी देने पर किसानों को एमएसपी की गारंटी दी जाए और उससे कम में खरीद को गैर कानूनी घोषित किया जाए.’

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रिटेल सेक्टर में बदले एफडीआई नियम 

स्वदेशी जागरण मंच ने भारतीय रिटेल सेक्टर में कुछ कंपनियों के तथाकथित एकाधिकार को लेकर भी चिंता जतायी है. संगठन ने इसके लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नियमों में बदलाव की मांग करते हुए कहा है कि इस सेक्टर में बहुराष्ट्रीय​ निगमों के प्रवेश पर रोक लगाई जाए. 

स्वदेशी जागरण मंच के 14वें अखिल भारतीय सम्मेलन में ये प्रस्ताव पारित किये गये. इनमें आरोप लगाया गया है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों और कई भारतीय कारोबारी घरानों का एक तरह का 'गठजोड़' बन गया है. 

 

 

 

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