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Renault Lay Off: खतरे में 3000 लोगों की नौकरी... इस ऑटो कंपनी में होगी बड़ी छंटनी, लिस्ट तैयार!

ऑटो कंपनी Renault ने दुनियाभर में मौजूद अपने कर्मचारियों की संख्या में कटौती का प्लान तैयार किया है और इससे करीब 3000 नौकरियों पर संकट मंडरा रहा है. ग्लोबल टेंशन के बीच कॉस्ट कटिंग का ये बड़ा कदम उठाया जा रहा है.

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ग्लोबल टेंशन के बीच कंपनी ने लिया कॉस्ट कटिंग का फैसला! (Photo: AI Generated)
ग्लोबल टेंशन के बीच कंपनी ने लिया कॉस्ट कटिंग का फैसला! (Photo: AI Generated)

फ्रांस की दिग्गज कार निर्माता कंपनी रेनॉल्ट ने बड़ी छंटनी (Renault Lay OFf) की तैयारी की है और इसके तहत दुनियाभर में मौजूद इसके कर्मचारियों की संख्या कम किए जाने की तैयारी है. रिपोर्ट्स की मानें, तो कंपनी 3000 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल सकती है. कारण की बात करें, तो कंपनी ने इसके पीछे ग्लोबल टेंशन के बीच बढ़ते प्रतिस्पर्धी माहौल और आर्थिक दबावों के चलते उठाने जा रही है. इसका असर कंपनी के बोलोग्ने-बिलनकोर्ट में स्थित हेडक्वार्टर और दुनियाभर में मौजूद कंपनी के अन्य कार्यालयों में काम करने वाले कर्मचारियों पर पड़ सकता है.  
  
ग्लोबल टेंशन के बीच छंटनी की तैयारी!
फ्रांसीसी न्यूज एजेंसी आई इन्फॉर्म के हवाले से एक रिपोर्ट में बताया गया है कि ग्लोबल टेंशन के बीच यूरोप में बढ़ती चुनौतियों के चलते रेनॉल्ट कंपनी ने अपने कर्मचारियों के संख्या में कटौती करने का फैसला लिया है. इस बड़ी छंटनी से दुनियाभर में कंपनी में काम करने वाले करीब 3,000 से ज्यादा कर्मचारियों पर असर देखने को मिल सकता है. दरअसल, कंपनी का उद्देश्य लागत को कम करना और बाजार में अपनी स्थिति को मजबूती देना है. कंपनी से जुड़े एक सूत्र के हवाले से बताया गया कि छंटनी से जुड़ा अंतिम फैसला इस साल के अंत तक लिया जाएगा . 
 
'ARROW'प्लान से नौकरियों में कटौती 
छंटनी के इस प्लान को फ्रांसीसी कंपनी ने 'ARROW' नाम दिया है और इसके तहत मुख्य रूप से सहायक भूमिकाएं प्रभावित हो सकती हैं. इनमें एचआर, फाइनेंस और मार्केटिंग डिपार्टमेंट पर भी असर देखने को मिल सकता है. एक अनुमान के मुताबिक, कंपनी की इस छंटनी के चलते बताए गए विभागों में लगभग 15% कर्मचारियों की नौकरियों पर संकट नजर आ रहा है.
 
दबाव में आकर लिया गया फैसला 
रिपोर्ट की मानें, तो वैश्विक ऑटोमोबाइल उद्योग चुनौतियों का सामना कर रहा है और रेनो को यूरोपीय प्रतिस्पर्धियों के साथ ही चीन के इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं से कड़ी टक्कर मिल रही है. इसके चलते यूरोप में कंपनी की बिक्री धीमी पड़ती नजर आ रही है, जहां कि अब तक रेनॉल्ट अपनी 70% कारें बेचती रही है. हालांकि, कंपनी के इस प्लान में अमेरिकी टैरिफ का कोई रोल नहीं है, क्योंकि कंपनी अमेरिका में कारें नहीं बेचती है. उसने करीब तीन दशक पहले ही US Market छोड़ दिया था. ऐसे में अमेरिकी टैरिफ से ये ज्यादातर अप्रभावित ही है.
 
मुनाफा घटने से छंटनी को मजबूर  
रेनॉल्ट कंपनी की वित्तीय स्थिति पर बिक्री में आ रही गिरावट का गहरा असर पड़ा है. इस साल कंपनी ने पहली छमाही में 11.2 अरब यूरो का नुकसान दर्ज किया, जिसमें इसकी पार्टनर निसान कंपनी से जुड़े 9.3 अरब यूरो शामिल हैं. कंपनी की नेट इनकम की बात करें, तो ये घटकर सिर्फ 461 मिलियन यूरो रह गई, जो पिछले साल की समान छमाही की तुलना में एक तिहाई से भी कम है.

हालांकि, कंपनी की ओर से अभी इस छंटनी को लेकर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की गई है, लेकिन कंपनी ने संकेत दिया है कि स्थिति को बेहतर बनाने और खर्च घटाने के विकल्पों पर विचार किया जा रहा है. 

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