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RBI ने उठाया बड़ा कदम... थमेगी रुपये में गिरावट! जानिए एक्‍सपर्ट्स ने क्‍या कहा

रुपया बुधवार को अपने रिकॉर्ड निचले स्‍तर पर पहुंच गया था, जिसके बाद से थोड़ी रिकवरी हुई है. इस बीच, आरबीआई ने एक फैसला लिया है, जिसे रुपये में गिरावट को रोकने के संबंध में देखा जा रहा है.

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रुपये में गिरावट को लेकर क्‍या तैयारी हो रही है? (Photo: Reuters)
रुपये में गिरावट को लेकर क्‍या तैयारी हो रही है? (Photo: Reuters)

भारतीय रिजर्व बैंक ने एक बड़ा फैसला लिया है, जो रुपये में गिरावट को कम कर सकता है और उसे ऊपर ला सकता है. यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है, जब रुपया 90 के ऊपर चला गया था. हालांकि अभी इसमें कुछ तेजी आई है. आइए समझते हैं कि आरबीआई ने ऐसा क्‍या फैसला लिया है, जो रुपये की गिरावट को रोक सकता है. 

दरअसल, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्‍होत्रा ने शुक्रवार को अपने MPC बैठक में लिए गए फैसले के बारे में जानकारी दी. इसमें 25 आधार अंकों की ब्याज दर में कटौती करने का भी ऐलान किया गया, लेकिन इसके साथ ही लिक्वि‍ डिटी बढ़ाने पर भी फैसला लिया. RBI ने दिसंबर में 1 लाख करोड़ रुपये की ओपेन मार्केट में खरीदारी, और 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर की अदला-बदली का भी ऐलान किया. 

आरबीआई ने यह फैसला इसलिए लिया ताकि भावनाओं को स्थिर और अस्थिरता को कम किया जा सके, लेकिन इसने एक स्वाभाविक सवाल खड़ा कर दिया. क्या लिक्विडिटी सपोर्ट वास्तव में करेंसी की गिरावट को रोक सकता है? 

आरबीआई के इस फैसले से क्‍या होगा?
ओपेन मार्केट से की जाने वाली इन दो बड़ी खरीदों का उद्देश्य बैंकिंग सिस्‍टम में कैश की क्‍वांटिटी बढ़ाना है. जब आरबीआई सरकारी बॉन्ड खरीदता है, तो वह बैंकों को एडवांस पेमेंट करता है और सीधे सिस्टम में पैसा डालता है. इससे करेंसी मार्केट में दरें आसान हो जाती है और किसी भी तरह की लिक्विडिटी संकट कम हो जाती है. 

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लिक्विडिटी की कमी अक्‍सर रुपये पर दबाव बढ़ा देती है, क्‍योंकि विदेशी निवेशक शॉर्ट टर्म फंडिंग की स्थिति में सतर्क हो जाते हैं. 1 लाख करोड़ रुपये का ओएमओ आरबीआई का यह संकेत देने का तरीका है कि फंडिंग का मार्केट सही तरह से चलता रहे. 

एक्‍सपर्ट्स ने इस फैसले का क्‍या मतलब निकाला? 
इंडिया टुडे की रिपेार्ट के मुताबिक, रिसर्जेंट इंडिया के ज्योति प्रकाश गाडिया ने कहा कि OMO और स्वैप मिलकर 'जीडीपी वृद्धि के संशोधित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक तरलता प्रदान करेंगे' और महंगाई या करेंसी की चाल पर चिंता के बजाय 'पॉजिटिव और आशा' से प्रेरित नजरिए को उभारेंगे. 

5 अरब अमेरिकी डॉलर का स्वैप करेंसी के ज्‍यादा करीब काम करता है. अभी डॉलर खरीदकर और बाद में उन्हें वापस बेचने का वादा करके, आरबीआई अपने भंडार को स्थायी रूप से कम किए बिना, सिस्टम में रुपया जारी करता है. यह स्वैप तत्काल लिक्विडिटी पेश करता है और मार्केट को यह विश्वास दिलाता है कि आरबीआई तेज उतार-चढ़ाव को कम करने के लिए तैयार है.

पीडब्ल्यूसी इंडिया के रानेन बनर्जी ने कहा कि स्वैप 'रुपये की अस्थिरता को दूर करेगा'. अरुणएसेट इन्वेस्टमेंट सर्विसेज के अंकित पटेल ने कहा कि महंगाई  में इतनी कमी आई है कि आरबीआई को राहत की गुंजाइश मिल गई है. उन्होंने आगे कहा कि 686 अरब अमेरिकी डॉलर के आसपास का भंडार दर्शाता है कि कमज़ोरी की स्थिति से लड़ने के बजाय अस्थिरता को नियंत्रित किया जा रहा है. 

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रुपये के लिए इस फैसले का क्या मतलब है?
रुपये के नए निचले स्तर पर पहुंचने के बावजूद RBI द्वारा ब्याज दरों में कटौती की इच्छा ने कुछ एक्‍सपर्ट्स को चौंका दिया है, लेकिन कुछ इसे एक मैसेज के तौर पर देख रहे हैं. ट्रस्टलाइन होल्डिंग्स की एन. अरुणागिरी ने कहा कि इस रुख से पता चलता है कि रुपये में हालिया गिरावट ज्‍यादा बढ़ गई है और करेंसी में मौजूदा स्तरों पर कमतर आंकी गई है. उनका कहना है कि RBI की भाष से यह विश्‍वास झलकता है कि महंगाई अनुकूल रहने पर रुपया स्थिर हो सकता है. 

एक्‍सपर्ट ने कहा कि लिक्विडिटी का सपोर्ट रुपये को सीधे तौर पर ऊपर नहीं उठाता, यह केवल एक अनियंत्रित गिरावट को रोक सकता है. जब फंडिंग की स्थिति सही होगी और ग्रोथ को सपोर्ट मिल रहा हो तो विदेशी निवेशकों के अचान बाह निकलने की संभावना कम होती है. इससे अस्थ‍िरता कम होती है और उम्‍मीदें स्थिर रहती हैं. 

इनवासेट पीएमएस के अनिरुद्ध गर्ग ने कहा कि ब्याज दरों में कटौती, स्वैप और ओएमओ के संयोजन से ब्याज दर, मुद्रा और बांड बाजार चैनलों में तरलता बैकस्टॉप मजबूत होता है, जिससे तनाव कम करने में मदद मिलती है. 

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