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सुरक्षा में ‘आत्मनिर्भर’ बनेगा रेलवे, ट्रेनों की टक्कर रोकने वाली ‘स्वदेशी’ प्रणाली को सरकार की मंजूरी

‘आत्मनिर्भर भारत’ के अभियान को आगे बढ़ाते हुए सरकार ने बुधवार को ट्रेनों की टक्कर रोकने वाली ‘स्वदेशी’ प्रणाली को मंजूरी दे दी. इसी के साथ यात्रियों की सुरक्षा के लिए भारतीय रेल को 700 मेगाहर्ट्ज बैंड में 5 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम भी आवंटित किया जाएगा.

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भारतीय रेल (File Photo : Aajtak)
भारतीय रेल (File Photo : Aajtak)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • ‘5 साल में होगा 25,000 करोड़ से अधिक का निवेश’
  • ‘परिवहन लागत घटने से बढ़ेगी ‘मेक इन इंडिया’ पहल’
  • ‘सुरक्षा प्रणाली बेहतर होने से बढ़ेगी ट्रेनों की स्पीड’

देश में रेल यात्रा को सुरक्षित और त्वरित बनाने के लिए सरकार ने बुधवार को TCAS जैसी स्वदेशी सुरक्षा प्रणालियों को मंजूरी दे दी. इसी के साथ यात्रियों की सुरक्षा के लिए भारतीय रेल को 4जी बैंड यानी 700 मेगाहर्ट्ज बैंड में 5 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम भी आवंटित किया गया है. 

आत्मनिर्भर भारत अभियान को बढ़ावा देते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय रेल को 700 मेगाहर्ट्ज फ्रीक्वेंसी बैंड में 5 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम आवंटन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. इस स्पेक्ट्रम से रेलवे को स्टेशन परिसर एवं रेलगाड़ियों में सार्वजनिक बचाव व सुरक्षा सेवाओं को बेहतर करने में मदद मिलेगी.

25,000 करोड़ से अधिक का निवेश
इस स्पेक्ट्रम के साथ भारतीय रेल अपने रेलमार्गों पर एलटीई (लॉन्ग टर्म इवोल्यूशन) आधारित मोबाइल ट्रेन रेडियो कम्युनिकेशन प्रदान करेगी. इससे लोको पायलट (ट्रेन ड्राइवर) और ट्रेन गार्ड के बीच बेहतर संवाद स्थापित हो सकेगा. साथ ही स्टेशन, ट्रेन और कंट्रोल रूम के बीच भी कम्युनिकेशन बेहतर होगा. इससे रेलमार्गों की सुरक्षा में इजाफा होगा. इस प्रोजेक्ट को अगले 5 साल में पूरा किया जाना है, जिस पर 25,000 करोड़ रुपये के निवेश का अनुमान है.

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स्वदेशी तकनीक रोकगी ट्रेनों की टक्कर
इसके अलावा भारतीय रेल ने स्वदेशी रूप से विकसित ट्रेन कोलिजन अवॉइडेंस सिस्टम (TCAS) को भी मंजूरी दी है. ये एक ऑटोमेटिक ट्रेन सुरक्षा  प्रणाली  है जो रेलगाड़ियों की टक्कर से बचने में मदद करेगा. इससे रेल दुर्घटनाओं में कमी आएगी और यात्रियों की सुरक्षा और बेहतर होगी.

बढ़ेगी ट्रेन की स्पीड
लोको पायलट, गार्ड, स्टेशन और रेलवे के रूट पर कम्युनिकेश सुविधा बढ़ने से सुरक्षा बेहतर होगी. साथ ही TCAS से दुर्घटनाओं में कमी आएगी, तो इससे रेलगाड़ियों की स्पीड भी बढ़ाने में मदद मिलेगी. इसके अलावा रेलवे के मौजूदा बुनियादी ढांचे पर ही अधिक ट्रेनों का संचालन सुनिश्चित हो सकेगा. रेलवे नेटवर्क के इस आधुनिकीकरण से ट्रांसपोर्टेशन की लागत कम होगी और दक्षता बेहतर होगी.

मिलेगा ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा
रेल मंत्रालय की विज्ञप्ति के मुताबिक देश में ट्रेन नेटवर्क पर मालवहन की लागत कम होने से कई देशी-विदेशी कंपनियां निवेश के लिए आकर्षित होंगी. इससे सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल को बढ़ावा मिलेगा. 

रेलवे का कहना है कि एलटीई कम्युनिकेशन से रेलगाड़ियों के परिचालन, बचाव और सुरक्षा के लिए सुरक्षित एवं भरोसेमंद वॉइस, वीडियो और डेटा संचार सुविधा प्रदान करना है. इसका उपयोग आधुनिक सिग्नलिंग और ट्रेन सुरक्षा प्रणालियों के लिए किया जाएगा. लोको पायलट और गार्ड के बीच बिना रोक-टोक कम्युनिकेशन सुनिश्चित होगा. यह इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) आधारित रिमोट ऐसेट मॉनिटरिंग खासकर के कोच, वैगन व लोको की निगरानी और ट्रेन के डिब्बों में सीसीटीवी कैमरों की लाइव वीडियो फीड, ट्रेन के सुरक्षित एवं तेज संचालन को सुनिश्चित करेगा. इसके लिए ट्राई की सिफारिशों के अनुसार निजी उपयोग पर रॉयल्‍टी शुल्‍क एवं लाइसेंस शुल्‍क के लिए दूरसंचार विभाग द्वारा निर्धारित फॉर्मूले के आधार पर स्पेक्ट्रम शुल्क लगाया जा सकता है.

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अमित शाह का ट्ववीट
सरकार के इस महत्वपूर्ण निर्णय को लेकर गृहमंत्री अमित शाह ने भी ट्वीट किया. अपने ट्ववीट में उन्होंने कहा कि देश में ट्रेनों के परिचालन की सुरक्षा और संरक्षा बढ़ाने के लिए मोदी सरकार ने ये महत्वपूर्ण निर्णय लिया है.

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