आत्मनिर्भर भारत मिशन का असर अब भारत को नये नये प्रॉडक्ट्स के निर्यात में बढ़ोतरी के तौर पर देखने को मिल रहा है. दरअसल, वस्तु निर्यात के वैश्विक बाजार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए सरकार लगातार कोशिश कर रही है. बीते आठ सालों में 1877 नए उत्पादों का निर्यात शुरू किया गया है. वस्तुओं के साथ निर्यातकों की संख्या भी बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है. इससे फिर से ये संख्या कोरोना पूर्व स्तर पर पहुंच गई है.
अगर बात करें मौजूदा कारोबारी साल के पहले दस महीनों की तो 2023-24 के अप्रैल-जनवरी में ऑस्ट्रेलिया को किया जाने वाला निर्यात 16.19 फीसदी और सिंगापुर को होने वाले एक्सपोर्ट 2022-23 की समान अवधि के मुकाबले 12.81 फ़ीसदी बढ़ गया है.
चीन से आयात में भारी गिरावट
वहीं इस दौरान भारत के सबसे बड़े एक्सपोर्ट मार्केट अमेरिका को किया जाने वाला निर्यात घट गया है. आंकड़ों के मुताबिक इस अवधि में अमेरिका को होने वाले निर्यात में पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 4.01 फीसदी और जर्मनी को किए जाने वाले एक्सपोर्ट में 5.35 परसेंट की गिरावट आई है.
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वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक चीन से होने वाले आयात में चालू वित्त वर्ष के अप्रैल-जनवरी में पिछले वित्त वर्ष के पहले दस महीनों के मुकाबले महज 2.58 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जबकि रूस से होने वाले आयात में इस अवधि में 44 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
प्रो-कोविड स्तर से ज्यादा हुए निर्यातक
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के मुताबिक 2015-16 से लेकर 2022-23 के दौरान 2105 नई वस्तुएं निर्यात बास्केट में जोड़ी गई. इनमें से 228 सामान ऐसे थे जिनका पिछले आठ सालों में कोई एक्सपोर्ट नहीं किया जा सका. इस हिसाब से पिछले आठ सालों में 1877 नए आइटम का निर्यात शुरू करने में सफलता मिली है.
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मंत्रालय के मुताबिक कोरोना काल में निर्यातकों की संख्या घटकर 1.51 लाख हो गई थी. जो अब कोरोना पूर्व काल के आंकड़ों को पार करते हुए 1.63 लाख पर पहुंच गई है. 2017-18 में देश में 1.62 लाख निर्यातक थे. यानी आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत शुरू की गईं PLI और दूसरी मैनुफैक्चरिंग को बढ़ावा देने वाली स्कीम्स अब भारत को निर्यात बढ़ाने में भी मदद कर रही हैं. इनके सहारे नये प्रॉडक्ट्स निर्यात बास्केट में जोड़े जा रहे हैं जो भारत का निर्यात बढ़ा रही हैं.