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भारत-चीन और रूस... अगर ये तीनों हो जाएं एकसाथ, तो अमेरिका का क्‍या होगा?

अबतक अमेरिका और यूरोप का दबदबा पूरी दुनिया पर रहा है. अगर भारत-रूस-चीन एकसाथ आते हैं, तो यह अमेरिका-यूरोप के बर्चस्‍व को टक्‍कर देगा. एशिया मार्केट का ग्‍लोबल स्‍तर पर दबदबा दिख सकता है.

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भारत-चीन और रूस एकसाथ हो जाएं तो अमेरिका का क्‍या होगा? (Photo: AP/File)
भारत-चीन और रूस एकसाथ हो जाएं तो अमेरिका का क्‍या होगा? (Photo: AP/File)

डोनाल्‍ड ट्रंप (Donald Trump) ने भारत पर अब 50% टैरिफ लगाने की धमकी दी है. ट्रंप का ये टैरिफ 27 अगस्‍त से प्रभाव में आएगा, लेकिन इससे ज्‍यादा नुकसान अमेरिका को ही होगा, क्‍योंकि अमेरिका में ही भारत से एक्सपोर्ट होने वाली चीजें महंगी होंगी यानी कि वहां महंगाई बढ़ेगी. दूसरी ओर, भारत के लोगों पर इसका जीरो इम्‍पैक्‍ट होगा. लेकिन हां, ट्रंप की इस हरकत से भारत और अमेरिका के बीच रिश्‍ते खराब होते दिख रहे हैं.

भारत में सरकार और जनता दोनों का रुख ट्रंप के इस रवैये से तल्ख होने लगा है. पीएम मोदी ने दो टूक कहा कि किसानों का हित हमारे लिए सबसे अहम है और इसकी रक्षा हर कीमत पर करेंगे. चीन और रूस की भी ट्रंप के भारत को लेकर ऐलान पर तीखी प्रतिक्रिया आई है. ट्रंप की इन हरकतों ने एक बार फिर ये चर्चा छेड़ दी है कि क्या भारत-रूस और चीन को एक साथ आना चाहिए ताकि अमेरिका समेत पश्चिमी देशों के बर्चस्व को कम किया जा सके? 

अब जरा सोचिए भारत-अमेरिका के बीच रिश्‍ते खराब हो गए और वहीं दुनिया की तीन बड़ी ताकतें- रूस, चीन और भारत, जो Donald Trump के रवैये से परेशान हैं एक हो गए और सेना से लेकर तकनीक, पैसा शेयर करने लगें तो... डॉलर का राज खत्‍म हो जाएगा? क्‍या अमेरिका का सुपरपॉवर रहना खत्‍म होगा? आइए हम भी कुछ ऐसे ही सवालों के जवाब खोजते हैं.

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India vs US

भारत-रूस-चीन कैसे बदल सकते हैं दुनिया? 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) चीन का दौरा करने वाले हैं. भारत के PM का चीन दौरा, चीन-भारत के रिश्‍तों को मजबूत करने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि भारत-चीन और रूस एक हो सकते हैं और अमेरिका को आर्थिक मोर्चे पर सबक सिखा सकते हैं. हालांकि अभी ये दूर की कौड़ी लगती है, लेकिन अगर ऐसा हो जाए तो... सबसे पहले तो यह होगा कि दुनिया का पावर बैलेंस पटल सकता है. 

पहला- अबतक अमेरिका और यूरोप का दबदबा पूरी दुनिया पर रहा है. अगर भारत-रूस-चीन एकसाथ आते हैं, तो यह अमेरिका-यूरोप के बर्चस्‍व को टक्‍कर देगा. एशिया मार्केट का ग्‍लोबल स्‍तर पर दबदबा दिखेगा. 

दूसरा- अबतक डॉलर का पूरी दुनिया पर दबदबा रहा है, लेकिन ये तीनों देश लंबे समय से अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता को कम करने की कोशिश कर रहे हैं. चीन युआन, रूस रूबल और भारत रुपया में ट्रेड कर रहे हैं या फिर इसको बढ़ावा दे रहे हैं. ऐसे में तीनों साथ आकर नई करेंसी या फिर पेमेंट सिस्‍टम बना सकते हैं, जो डॉलर को चुनौती दे सकता है. 

तीसरा- अमेरिका ने यूरोप के साथ मिलकर FTA डील की है. वहीं अगर ये तीनों देश साथ आते हैं तो एशियन ट्रेड नेटवर्क बना सकते हैं. इससे रॉ मटेरियल, मैन्युफैक्चरिंग और टेक्नोलॉजी शेयर हो सकते हैं. यानी पूरी दुनिया की इकोनॉमी बदल सकती है. 

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चौथा- डिफेंस और टेक्‍नोलॉजी के मामले में ये तीनों देश एक बड़ी ताकत बनकर उभरेंगे. चीन की मैन्युफैक्चरिंग ताकत और भारत के टैलेंट पूल और IT पावर मिलकर एक नया सेना और तकनीकी ब्‍लॉक खड़ा कर सकते हैं. 

पांचवा- तीनों देशों के साथ आने से ग्‍लोबल सप्‍लाई चेन भी बदल सकती है. दुनिया की पश्चिमी देशों पर‍ निर्भरता कम हो सकती है. दुनिया भारत-चीन और रूस से व्‍यापार करने में ज्‍यादा दिलचस्‍पी दिखा सकती है. 

क्‍या आसान होंगी ये चीजें? 
लेकिन राजनीतिक, समाजिक और भौगोलिक कारणों की वजह से ये अभी संभव नहीं दिखाई दे रहा है. क्‍योंकि भारत और चीन के बीच सीमा विवाद और आपसी अव‍िश्वास अभी तक खत्‍म नहीं हुआ है. रूस के साथ पश्चिमी देशों के साथ लड़ाई इसमें और समस्‍या पैदा कर रही है. 

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वहीं भारत मल्‍टी अलाइमेंट पॉलिसी पर चलता है. वह पूरी दुनिया को एक समान नजरिए से देखता है और बाकी देशों को भी अपना दोस्‍त समझता है. भारत अमेरिका-यूरोप और अन्‍य देशों के साथ व्‍यापार साझेदार है. दूसरी ओर, ट्रंप के टैरिफ से भारत पर इतना बड़ा खतरा नहीं दिख रहा है, जितना कि अमेरिका पर हो सकता है. ऐसे में ट्रंप की टैरिफ वाली धमकी ज्‍यादा समय तक टिकने वाली नहीं दिख रही है. 

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