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6 करोड़ कर्मचारियों को बड़ा झटका, PF पर मिलेगा 40 साल में सबसे कम ब्याज

पीएफ खाते (PF Deposit) में जमा पैसे पर मिलने वाला ब्याज घटा दिया गया है. वित्त वर्ष 2021-22 के लिए ईपीएफओ (EPFO) के पास जमा फंड पर मिलने वाला ब्याज बीते 40 साल में सबसे कम होगा. हालांकि अभी इस फैसले पर वित्त मंत्रालय की मुहर लगनी बाकी है.

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PF पर मिलेगा 40 साल में सबसे कम ब्याज
PF पर मिलेगा 40 साल में सबसे कम ब्याज
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 2015-16 में मिला सबसे ज्यादा 8.8% ब्याज
  • बीते दो साल से PF पर मिल रहा 8.5% ब्याज
  • 1977-78 से PF पर ब्याज दर 8% से ज्यादा

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के 6 करोड़ सब्सक्राइबर्स को बड़ा झटका लगा है. ईपीएफओ के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी ने पीएफ खाते पर मिलने वाला ब्याज घटा दिया है. वित्त वर्ष 2021-22 के लिए 8.1% ब्याज देने का फैसला किया गया है. हालांकि इस फैसले पर अभी वित्त मंत्रालय की मुहर लगनी बाकी है.

40 साल में सबसे कम ब्याज

कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए उनकी सैलरी का एक निश्चित हिस्सा (12%) पीएफ खाते में जमा किया जाता है. इतनी ही राशि उसके एम्प्लॉयर को इस खाते में जमा करनी होती है. हालांकि एम्प्लॉयर के अंशदान का एक हिस्सा कर्मचारी के पेंशन फंड में जाता है. ईपीएफओ इस पूरे फंड का प्रबंधन करता है और हर साल इस राशि पर ब्याज देता है. वित्त वर्ष 1977-78 में EPFO ने लोगों को पीएफ जमा पर 8% ब्याज दिया था. तब से ये लगातार इससे ऊपर बना रहा है और अब 40 साल में मिलने वाला सबसे कम ब्याज है.

इसे भी देखें: अगर 50,000 रुपये है सैलरी, तो PF पर ब्याज घटने से होगा इतना नुकसान

दो साल से मिल रहा 8.5% ब्याज

पीटीआई की खबर के मुताबिक वित्त वर्ष 2019-20 और 2020-21 में ईपीएफओ ने पीएफ जमा पर 8.5% का ब्याज दिया था. इससे पहले 2018-19 में ये 8.65%, 2017-18 में 8.55%, 2016-17 में 8.65% और 2015-16 में 8.8% था. 

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जबकि इससे पहले 2014-15 और 2013-14 में ये 8.75% था. ये इससे पहले के वित्त वर्ष 2012-13 के 8.5% और 2011-12 के 8.25% के ब्याज से ज्यादा था.

ईपीएफओ के बोर्ड ऑफ ट्रस्टी ने शनिवार को हुई बैठक में पीएफ के ब्याज घटाने का फैसल किया है. पीएफ जमा पर ब्याज घटाने से पहले ही ईपीएफओ को ट्रेड यूनियनों की तरफ से भारी विरोध का सामना करना पड़ा है.

‘हाई रिस्क इंस्ट्रूमेंट नहीं ले सकते’

पीएफ पर ब्याज दरों में कटौती के बारे में श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव ने ट्वीट किया है, ‘जिस प्रकार की अंतरराष्ट्रीय परिस्थिति और शेयर बाजार की स्थिति बनी है, उसमें निवेश के साथ सामाजिक सुरक्षा को भी रखना है. हम बहुत हाई रिस्क वाले इंस्ट्रुमेंट को नहीं ले सकते हैं. वो मार्केट करने के लिए हम लोग नहीं है, हम मार्केट में एक स्थायित्व, सामाजिक सुरक्षा के लिए हैं.’

इस बारे में विपक्ष की नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने पलटवार करते हुए ट्वीट किया है, ’ईपीएफओ ने ब्याज दरों को घटाकर 8.1% कर दिया है. ये 40 साल में सबसे निचली ब्याज दर है.6 करोड़ से ज्यादा ईपीएफ अकाउंट होल्डर्स को इसका दर्द महसूस होगा. ठीक इसी तरह एफडी (Interest On FD), पीपीएफ (Interest on PPF), पोस्ट ऑफिस की बचत योजनाओं (Interest on Post Office Savings), वरिष्ठ नागरिकों की बचत (Interest on Senior Citizens Savings), राष्ट्रीय बचत पत्र (Interest on NSC) पर भी ब्याज कम हुआ है. छोटी बचत करने वालों को कहीं राहत नहीं है.’

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CBT का फैसला EPFO के लिए बाध्यकारी

सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी (CBT) का फैसला ईपीएफओ के लिए बाध्यकारी होता है. ये एक त्रिपक्षीय इकाई है जिसमें सरकार, कर्मचारी और नियोक्ता संगठनों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं. इसकी अध्यक्षता श्रम मंत्री करते हैं. हालांकि सीबीटी द्वारा तय की गई ब्याज दरों की अधिसूचना जारी करने से पहले वित्त मंत्रालय इसकी समीक्षा करता है. अधिसूचना जारी होने के बाद ब्याज की राशि EPFO Subscriber के खाते में जमा कर दी जाती है.

वित्त मंत्रालय लंबे समय से श्रम मंत्रालय से पीएफ जमा पर दिए जाने वाले ब्याज को कम करने के लिए कह रहा है. वित्त मंत्रालय का कहना है कि इस पर ब्याज दर को बाकी अन्य लघु बचत योजनाओं (Small Saving Scheme) के बराबर लाया जाए.

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