1 फरवरी 2026 को बजट पेश किया जाएगा, यानी करीब 80 दिनों का वक्त बचा है. लेकिन तैयारियां अभी से शुरू हो चुकी हैं. सोमवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आगामी आम बजट को लेकर बैंठकें कीं. वित्त मंत्री ने एक के बाद एक दो अहम प्री-बजट कंसल्टेशन मीटिंग्स कीं.
निर्मला सीतारमण की पहली बैठक देश के प्रमुख अर्थशास्त्रियों के साथ हुई, जबकि दूसरी बैठक किसान संगठनों और कृषि अर्थशास्त्रियों के प्रतिनिधियों के साथ आयोजित की गई.
पहली बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश के बड़े अर्थशास्त्रियों से अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति, महंगाई नियंत्रण, विकास दर, राजकोषीय घाटे और रोजगार सृजन से जुड़े सुझाव मांगे. इस दौरान वित्त मंत्रालय की आर्थिक मामलों की सचिव और मुख्य आर्थिक सलाहकार भी मौजूद रहे.
बैठक में शामिल करीब-करीब सभी विशेषज्ञों ने वित्त मंत्री को राजकोषीय अनुशासन के साथ-साथ विकास को बढ़ावा देने के उपाय सुझाए. चर्चा में खासतौर पर यह बात सामने आई कि निवेश और उपभोग दोनों को प्रोत्साहन देने वाली नीतियों की जरूरत है, ताकि भारत 8% की स्थायी वृद्धि दर हासिल कर सके.
वहीं दूसरी बैठक किसान संगठनों और कृषि अर्थशास्त्रियों के साथ हुई, जिसमें ग्रामीण आय बढ़ाने, कृषि में तकनीकी निवेश, फसल विविधीकरण और जलवायु परिवर्तन से निपटने के उपायों पर चर्चा की गई.
बैठक में कृषि मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव भी शामिल हुए. किसान प्रतिनिधियों ने फसल बीमा योजना को और प्रभावी बनाने, MSP के दायरे को बढ़ाने और निर्यात को प्रोत्साहन देने के सुझाव दिए.
इसी कड़ी में आने वाले दिनों में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण उद्योग, सामाजिक क्षेत्र, श्रमिक संगठनों और राज्यों के प्रतिनिधियों से भी बातचीत करेंगी ताकि बजट 2026-27 को व्यापक और समावेशी बनाया जा सके. इन बैठकों का मकसद है कि हर क्षेत्र की आवाज बजट में शामिल हो और 'विकसित भारत 2047' के लक्ष्य की दिशा में आर्थिक नीतियां और सुदृढ़ की जा सकें.
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