फिल्म मुगल-ए-आजम. शहंशाह अकबर के दरबार में सलीम की पेशी हुई है. सलीम से शहंशाह अकबर अनारकली को अदालत में पेश करने को कहते हैं.
अकबर: ये अदालत दीवान-ए-जज्बात में उबलती हुईं मोहम्मत की दलीलें सुनना नहीं चाहती. अनार कली चाहती है.
सलीम: ...और अनारकली को मैं देना नहीं चाहता.
अकबर: फिर लश्कर-ए-तैमूर के जलवे जलाल की कसम... तुम तख्त ओ ताज से हमेशा के लिए महरूम कर दिए जाओगे.
सलीम: मुझे ये मंजूर है लेकिन वो तख्त मंजूर नहीं जिसके पाये अनारकली के जनाजे के नीचे रखे हों...
अकबर: मुलजिम नूरउद्दीन मोहम्मद सलीम...तुमने हमारी रियायत और रहमदिली का नाजायज फायदा उठाया.और अनारकली को अदालत के रूबरू करने से इनकार किया. लिहाजा मुजलिमा अनारकली की सजा बरकरार रखते हुए अनारकली के बदले तुम्हें सजा-ए-मौत देता हूं.
असल जिंदगी में लालू यादव की कचहरी भले ही न लगी हो, लेकिन उन्होंने फैसला एक राजा की तरह ही सुनाया. लालू यादव ने अपने ज्येष्ठ पुत्र के लोक आचरण और गैर जिम्मेदाराना व्यवहार का हवाला देते हुए उन्हें सजा मुकर्रर की.
मुगल-ए-आजम में अकबर का किरदार निभा रहे चोटी के कलाकार पृथ्वी राज कपूर अपनी रौबदार आवाज में कहते हैं, "हम एक लाड़ले बेटे के शफीक बाप जरूर हैं, मगर हम शहंशाह के फर्ज को नजरअंदाज नहीं कर सकते."
पूर्व मुख्यमंत्री, देश के पूर्व रेल मंत्री और लगभग डेढ़ दशकों तक बिहार की सत्ता के अहम केंद्र रहे लालू यादव ने अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को यादव परिवार की विरासत से बेदखल करते हुए एक्स पर लिखा, "निजी जीवन में नैतिक मूल्यों की अवहेलना करना हमारे सामाजिक न्याय के लिए सामूहिक संघर्ष को कमज़ोर करता है. ज्येष्ठ पुत्र की गतिविधि, लोक आचरण तथा गैर जिम्मेदाराना व्यवहार हमारे पारिवारिक मूल्यों और संस्कारों के अनुरूप नहीं है. अतएव उपरोक्त परिस्थितियों के चलते उसे पार्टी और परिवार से दूर करता हूं."
लालू यादव ने तेज प्रताप यादव को न सिर्फ अपनी सामाजिक और पारिवारिक पूंजी से दूर कर दिया बल्कि उन्होंने तेज प्रताप को अपनी राजनीतिक पूंजी से भी 6 साल के लिए दूर कर दिया.
बतौर राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष अपने फैसले की जानकारी देते हुए लालू यादव ने ट्वीट किया, "अब से पार्टी और परिवार में उसकी किसी भी प्रकार की कोई भूमिका नहीं रहेगी. उसे पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित किया जाता है."
कहा जा सकता है कि उम्र के लिहाज से संवैधानिक परिपक्वता हासिल कर चुके तेज प्रताप यादव राजनीतिक और सामाजिक परिपक्वता हासिल नहीं कर पाए हैं. लेकिन ये परिस्थितियों का तकाजा है.
लालू ने तेज प्रताप से संबंध तोड़ते हुए कहा कि अपने निजी जीवन का भला -बुरा और गुण-दोष देखने में वह स्वयं सक्षम है. उससे जो भी लोग संबंध रखेंगे वो स्वविवेक से निर्णय लें. लोकजीवन में लोकलाज का सदैव हिमायती रहा हूं परिवार के आज्ञाकारी सदस्यों ने सावर्जनिक जीवन में इसी विचार को अंगीकार कर अनुसरण किया है.
लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप की जिंदगी हमेशा सुर्खियों में रही. तेज प्रताप अपने पिता से न तो राजनीति की वो पेच और कलाबाजियां हासिल कर सके और न हीं वो संवाद अदायगी जिसने लालू को हिन्दुस्तान के घर घर में पहुंचा दिया.
तेज प्रताप यादव को सहज जिंदगी ही प्यारी रही. वे मथुरा गोकुल के वासी हैं और उनका भाव नेताओं की तरह नहीं बल्कि कई बार वे खुद को कृष्ण जैसा बताते हैं.
तेज प्रताप यादव का निजी जीवन हमेशा से चर्चा का विषय रहा है. 2018 में उनकी शादी आरजेडी नेता की बेटी ऐश्वर्या राय से हुई थी, लेकिन कुछ ही महीनों बाद विवादों और तलाक की अर्जी ने सुर्खियां बटोरीं. तलाक का मामला अभी भी कोर्ट में लंबित है. लेकिन 25 मई 2025 को सोशल मीडिया पर अनुष्का यादव के साथ रिश्ते की घोषणा, फिर उस पोस्ट को डिलीट करना और अकाउंट को हैक हुआ बताना. इस घटनाक्रम ने उनके निजी जीवन को फिर से विवादों में ला दिया. यहां अहम यह है कि तेज प्रताप ने ये पोस्ट तब किया जब वे
चुनावी सीजन से कुछ ही महीने दूर बिहार की शक्तशाली सियासी फैमिली के लिए ये पूरा घटनाक्रम नाटकीय था. लिहाजा लालू यादव ने तुरंत एक्शन लिया.
तेज प्रताप यादव का अपने परिवार और पार्टी के भीतर बगावती रवैया कोई नई बात नहीं है. उन्होंने RSS का मुकाबला करने के लिए DSS नाम का संगठन बनाया. कई बार पार्टी निर्णयों के खिलाफ गए. 2024 में तेज प्रताप के करीबियों ने अलग पार्टी जनशक्ति जनता दल बना ली. टिकट बंटवारे के दौरान भी अपने गुट के हितों को लेकर टकराव की खबर आती है.
तेज प्रताप यादव अपने परिवार में भले ही बड़े हैं लेकिन लालू के फैसले पहले ही उनके बड़े भाई तेजस्वी यादव को राजद का मुख्य चेहरा माना जाता है, जिसके कारण तेज प्रताप को अक्सर साइडलाइन होने का अहसास होता है. तेज प्रताप ऐसी चर्चाओं पर सीधा तो कुछ नहीं कहते हैं लेकिन उनके कदम बेसब्री की ओर इशारा करते हैं. इसके अलावा छोटे-छोटे विवादों से तो तेज प्रताप यादव का हमेशा साथ रहा है.
सलीम की मां बेटे को अनारकली से दूर रहने की हिदायत देते हुए कहती हैं- हमारा हिन्दुस्तान कोई तुम्हारा दिल नहीं कि लौंडी जिसकी मल्लिका बने.
इसका जवाब देते हुए राजकुमार सलीम कहता हैं- ...तो मेरा दिल भी कोई आपका हिन्दुस्तान नहीं जिस पर आप हुकूमत करें.
निश्चित रूप से लालू यादव के घर का बड़ा चिराग फिलहाल परिवार से बेदखल किए जा चुके हैं और निजी दुश्वारियों, वैवाहिक संबंधों के संकटों से गुजर रहे हैं.