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बेवजह नहीं लालू परिवार का डर, 5 सीटें घटते ही राबड़ी देवी के नए बंगले पर भी खतरा

बिहार सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को 10 सर्कुलर रोड वाले बंगले को खाली करने का नोटिस दिया है, जो उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री के नाते मिला हुआ था. अब उन्हें विधान परिषद के नेता प्रतिपक्ष होने के लिहाज से पटना के हार्डिंग रोड पर नया आवास दिया गया है. सवाल है कि इस बंगले में लालू परिवार कितने दिन रह पाएगा?

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बिहार चुनाव हारते ही लालू यादव और राबड़ी देवी की नई टेंशन ( Photo-X)
बिहार चुनाव हारते ही लालू यादव और राबड़ी देवी की नई टेंशन ( Photo-X)

बिहार में नीतीश कुमार की अगुवाई वाली एनडीए सरकार के बनते ही राजनीति में नया मोड़ आ गया है. नीतीश सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को 10 सर्कुलर रोड वाले सरकारी बंगले को खाली करने की नोटिस दी है. इसके बदले सरकार ने राबड़ी देवी को पटना के हार्डिंग रोड पर नया बंगला आवंटित भी कर दिया है. इसके बाद भी लालू परिवार पुराना बंगला छोड़ने को तैयार नहीं है.

आरजेडी ने साफ-साफ शब्दों में कह दिया है कि 10 सर्कुलर रोड का बंगला खाली नहीं होगा. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मगनी लाल मंडल ने इसे राजनीतिक बदला बताते हुए अल्टीमेटम दिया है कि जो करना है करें, लेकिन डेरा खाली नहीं करेंगे. आरजेडी अब इस मामले को अदालत तक ले जाने की धमकी दे रही है.

सवाल उठता है कि आखिर क्या वजह है कि लालू परिवार 10 सर्कुलर रोड वाला बंगला नहीं छोड़ना चाहता है? क्या नया बंगला पुराने वाले आवास से छोटा है या फिर कोई दूसरे कारण हैं? इस तरह के तमाम सवाल हैं. राबड़ी देवी नए बंगले में शिफ्ट होने के बजाय पुराने बंगले में ही क्यों रहना चाहती हैं?

राबड़ी देवी का 20 साल बाद बदला पता 

बिहार के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद लालू यादव और राबड़ी देवी पटना के 10 सर्कुलर रोड स्थित बंगले में रह रहे हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहली बार सत्ता में आए तो उन्होंने बिहार के सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों के लिए पटना में सरकारी आवास, सुरक्षा और अन्य सुविधाएं देने का फैसला किया था.

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जनवरी 2006 से राबड़ी देवी और उनका परिवार 10 सर्कुलर रोड बंगले में रह रहा है, लेकिन बिहार भवन निर्माण विभाग के द्वारा मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को नोटिस देकर 10 सर्कुलर रोड वाले बंगले को खाली करने का आदेश दिया गया है. इसके पीछे वजह है कि हाईकोर्ट ने 2019 में पूर्व मुख्यमंत्रियों को मिलने वाले बंगले और अन्य सुविधाएं देने की व्यवस्था को खत्म कर दिया था. अब सरकार ने राबड़ी देवी को पटना के हार्डिंग रोड पर नया बंगला आवंटित किया है.

राबड़ी को नेता प्रतिपक्ष के नाते मिला बंगला

लालू प्रसाद यादव की पत्नी राबड़ी देवी को 10 सर्कुलर रोड वाला बंगला पूर्व मुख्यमंत्री होने की हैसियत से मिला हुआ था, जिसे खाली करने की सरकार ने नोटिस दे दी है. इसके बदले अब उन्हें नया आवास 39, हार्डिंग रोड पटना में दिया गया है, जो उन्हें विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष होने के लिहाज से दिया गया है. तेजस्वी यादव विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं, इसलिए उन्हें 1 पोलो रोड वाला बंगला मिला हुआ है.

राबड़ी देवी को मिलने वाला यह बंगला बिहार में मंत्रियों को मिलने वाले आवासों में दूसरा सबसे बड़ा है. 39 हार्डिंग रोड बंगले में विनोद नारायण झा, रामसूरत राय, समीम अख्तर और चंद्रमोहन राय जैसे नेता रह चुके हैं. इस आवास में कुल 6 बेडरूम, ड्राइंग रूम, डाइनिंग रूम, एक बड़ा हॉल और एक बड़ा गार्डन है. इसके अलावा स्टाफ और सिक्योरिटी गार्ड के लिए अलग कमरे बने हुए हैं.

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राबड़ी देवी को 39 नंबर हार्डिंग रोड बंगला विधान परिषद में विपक्ष की नेता होने के आधार पर आवंटित किया गया है. इस बार विधायक और एमएलसी के आवास क्षेत्र-वार तय किए गए हैं. अब जिस सीट से जो विधायक चुनकर आए हैं, उसे संबंधित मकान दिया गया है सिर्फ मंत्रियों के लिए ही बंगले आवंटित किए जा रहे हैं.

हार्डिंग रोड पर कितने दिन रह पाएंगी राबड़ी देवी?

लालू परिवार 10 सर्कुलर रोड वाला आवास किसी भी सूरत में छोड़ने को तैयार नहीं है, क्योंकि जो नया आवास मिला है, उसमें बहुत ज्यादा दिन तक रहना आसान नहीं है. इसकी वजह यह है कि राबड़ी देवी को 39 हार्डिंग रोड का बंगला विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष के चलते दिया गया है. ऐसे में नेता प्रतिपक्ष के पद से राबड़ी देवी हटती हैं तो उन्हें 39 हार्डिंग रोड का बंगला भी छोड़ना पड़ जाएगा.

बिहार की 75 सदस्यीय विधान परिषद में आरजेडी के फिलहाल 13 सदस्य हैं. विधान परिषद में विरोधी दल के नेता बने रहने के लिए न्यूनतम 9 एमएलसी होने ही चाहिए. आरजेडी की वर्तमान में विधान परिषद में सदस्यों की संख्या 13 है, जिनमें से दो सदस्यों का कार्यकाल 2026 में खत्म हो जाएगा. इसके अलावा आरजेडी के 7 विधान परिषद सदस्यों का कार्यकाल 2028 में पूरा हो रहा है और चार एमएलसी का कार्यकाल 2030 में पूरा होगा.

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पांच सीटें घटते ही छिन जाएगा नया वाला बंगला

राबड़ी देवी विधान परिषद सदस्य के तौर पर 2030 तक हैं, लेकिन नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी बचाए रखना पांच साल मुश्किल है. इसकी वजह यह है कि विधानसभा चुनाव के बाद सीन बदल गया है. आरजेडी विधायकों की संख्या 75 से घटकर 25 हो गई है. इस लिहाज से अपने दम पर आरजेडी एक भी सीट जीतने की हैसियत में नहीं रह गई है. 

2026 में आरजेडी की खाली होने वाली दोनों सीटें एनडीए के खाते में जा सकती हैं. इसके अलावा 2028 में आरजेडी की जो सीटें खाली हो रही हैं, उसमें 5 सीटें स्थानीय निकाय कोटे वाली और दो सीटें विधानसभा कोटे की हैं. 2030 में खाली हो रही चारों सीटें विधानसभा कोटे की हैं.

राज्य की विधान परिषद में कुल 75 सीटें हैं, उसमें 27 सदस्य बिहार विधानसभा सदस्यों के द्वारा चुने जाते हैं, 6 सदस्य शिक्षक कोटे से, 6 सदस्य स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से, 24 सदस्य स्थानीय निकायों से और 12 सदस्य राज्यपाल के द्वारा मनोनीत होते हैं. हर दो साल पर एक तिहाई सीटों पर चुनाव होते हैं.

राबड़ी देवी के हाथों से नेता प्रतिपक्ष का पद 2028 तक निकल सकता है. विधानसभा कोटे वाली एमएलसी सीटों पर आरजेडी का अपने दम पर जीतना आसान नहीं है. विपक्ष के सभी विधायकों का समर्थन आरजेडी जुटा भी लेती है तो कम से कम एक ही सीट जीत पाएगी. इस तरह 2028 तक उसकी संख्या घटकर 9 तक पहुंच जाएगी. इसके अलावा स्थानीय निकाय से जीते एमएलसी 2028 में दोबारा जीतकर नहीं आते हैं तो फिर यह संख्या 5 से 6 रह जाएगी. इस तरह पांच एमएलसी सीटें घटते ही राबड़ी देवी से नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी ही नहीं बल्कि बंगला भी छिन जाएगा.

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आरजेडी बंगले को क्यों बना रही मुद्दा?

आरजेडी समझ रही है कि हार्डिंग रोड वाला बंगला राबड़ी देवी को जो आवंटित किया गया है, वो विधान परिषद के नेता प्रतिपक्ष के नाते है. ऐसे में जब नेता प्रतिपक्ष का पद ही नहीं बचेगा तो बंगला कैसे बचा रहेगा. यही वजह है कि आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष मगनी लाल मंडल ने कहा कि राबड़ी देवी बंगला खाली नहीं करेंगी. उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर सवाल उठाए कि 20 सालों में कई बार सत्ता बदली, लेकिन बंगला मुद्दा कभी नहीं बना, मगर अब अचानक क्यों? क्या यह बीजेपी की चाल है?

मगनीलाल मंडल का मानना है कि गृह विभाग भाजपा के पास जाने के बाद लालू परिवार को अपमानित करने की कोशिश हो रही है.। आरजेडी ने फैसला लिया है कि कोर्ट जाएँगे या जो भी जरूरी कदम उठाएंगे, लेकिन बंगला नहीं छोड़ेंगे. इस तरह से आरजेडी कानूनी लड़ाई लड़कर मामले को उलझाए रखने की स्टैटेजी पर चल रही है. 

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