बिहार में कुशवाहा समुदाय राज्य की आबादी का 4.27 प्रतिशत है. कोइरी या कुशवाहा बिहार में एक प्रमुख जाति रही है. कुछ किंवदंतियों के अनुसार उनकी ओरिजिन भगवान राम के पुत्र कुश से हुई है. वे पारंपरिक रूप से खेती-किसानी से जुड़े रहे हैं.
2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बिहार में सत्तारूढ़ NDA गठबंधन और विपक्षी इंडिया गठबंधन का ध्यान कुशवाहा समुदाय पर है. राज्य में इस साल के लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद हाल के दिनों में कुशवाहा नेताओं को विशेष पार्टी पद दिए जाने से लेकर चुनाव टिकट दिए जाने तक विशेष सुविधा मिल रही है.
हाल ही में विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने औरंगाबाद के नवनिर्वाचित सांसद अभय कुशवाहा को लोकसभा में आरजेडी संसदीय दल का नेता घोषित किया है. 2024 के लोकसभा चुनाव में अभय कुशवाहा ने बीजेपी उम्मीदवार को हराया था. अभय कुशवाहा समुदाय से आते हैं और 2024 के आम चुनाव में इंडिया गठबंधन ने इस समुदाय पर अपना राजनीतिक दांव खेला था.
भगवान सिंह कुशवाहा को जेडीयू ने एमएलसी सीट के लिए उम्मीदवार बनाया है. रिपोर्ट के अनुसार उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) पार्टी को देने का वादा किया गया था. बिहार के राजनीतिक गलियारे से ऐसी खबरें हैं कि आरएलएम के प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा उच्च सदन जा रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी उन्हें अपने कोटे से राज्यसभा भेजने जा रही है. उपेंद्र कुशवाहा 2024 के लोकसभा चुनाव में काराकाट सीट से एनडीए के उम्मीदवार थे. लेकिन वे सीपीआई (एमएल) (एल) के उम्मीदवार राजा राम सिंह से हार गए. वे निर्दलीय उम्मीदवार पवन सिंह के बाद तीसरे स्थान पर रहे.
क्या NDA से दूर हो रहे हैं कुशवाहा?
बिहार में कुर्मी और कोइरी (कुशवाहा) समुदायों को लव-कुश कहा जाता है. 1990 के दशक के मध्य से जेडी (यू) नेता नीतीश कुमार ने इस समुदाय को साधा है. इस समूह ने ईबीसी और प्रमुख जातियों के साथ मिलकर एनडीए को राजद के मुस्लिम-यादव गठबंधन का विरोध करने के लिए मजबूत आधार दिया. कुछ समय पहले यह महसूस करने के बाद कि वे अन्य विकल्पों पर विचार कर रहे हैं, भाजपा ने कुशवाहाओं को अपने पक्ष में रखने की कोशिश की.
मार्च 2023 में भाजपा के राज्य प्रमुख के रूप में कुशवाहा नेता सम्राट चौधरी की नियुक्ति उसी दिशा में एक कदम था. जब लोकसभा चुनाव के नतीजे आए तो बिहार में राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि सम्राट चौधरी एनडीए के पक्ष में लव-कुश समीकरण बनाने में लगभग विफल रहे. 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टियों ने कुशवाहा उम्मीदवारों को 11 सीटें दी थीं. जेडी(यू) ने क्रमशः पूर्णिया, वाल्मीकिनगर और सीवान निर्वाचन क्षेत्रों से अपने उम्मीदवार उतारे थे. तीन सीटों में से जेडी(यू) ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वियों को हराकर वाल्मीकिनगर और सीवान सीटें जीतीं.
भाजपा ने 2024 के चुनाव में कुशवाहा समुदाय से किसी को टिकट नहीं दिया था. आरएलएम प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने काराकाट से चुनाव लड़ा था. लेकिन वे चुनाव हार गए. इंडिया ब्लॉक ने सात उम्मीदवार उतारे थे. आरजेडी ने औरंगाबाद, नवादा और उज्जरपुर सीटों से चुनाव लड़ा. इसने औरंगाबाद से जीत हासिल की, लेकिन अन्य दो सीटों पर हार गई. इसकी सहयोगी वीआईपी ने पूर्वी चंपारण सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन भाजपा के दिग्गज राधा मोहन सिंह से हार गई.
सात कुशवाहा उम्मीदवारों में से दो ने चुनाव जीता
माकपा के संजय कुमार खगड़िया सीट से हार गए. कांग्रेस उम्मीदवार अंशुल अविजित पटना साहिब सीट से भाजपा के दिग्गज रविशंकर प्रसाद से हार गए. सीपीआई (एमएल) (एल) के कुशवाहा उम्मीदवार राजा राम सिंह ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी पवन सिंह और आरएलएम प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा को हराया. इंडिया गठबंधन की ओर से मैदान में उतारे गए सात कुशवाहा उम्मीदवारों में से दो ने चुनाव जीता और बाकी पांच ने 2019 के आम चुनाव की तुलना में एनडीए उम्मीदवारों की जीत का अंतर कम कर दिया.
पहले ऐसा देखा गया है कि कुशवाहा समुदाय, या लव-कुश जाति संयोजन के कुश ने लगातार जेडी (यू) नेता नीतीश कुमार का समर्थन किया है. लेकिन सबसे हालिया लोकसभा चुनाव में यह बदल गया. क्योंकि विपक्षी गठबंधन ने महत्वपूर्ण प्रभाव डाला. इस तरह अगले साल बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सभी दलों का ध्यान कुशवाहा समुदाय की ओर है.
2024 और 2019 में किसे दिया वोट
सीएसडीएस-लोकनीति के चुनाव के बाद सर्वे के अनुसार लव-कुश (कोइरी-कुर्मी) समुदाय ने 2024 में एनडीए गठबंधन को अपना 67% वोट दिया है, जो 2019 के चुनावों में उन्हें मिले वोटों से 12% कम है. 2019 में एनडीए को इस ब्लॉक वोट का 79% मिला था. इंडिया गठबंधन को लव-कुश (कोइरी-कुर्मी) के 19% वोट मिले, जो 2019 के लोकसभा चुनावों में उन्हें मिले वोटों से 9% ज़्यादा है. 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में कोइरी (कुशवाहा) समुदाय ने एनडीए को 51% वोट दिए, जबकि सिर्फ 16% ने महागठबंधन को वोट दिया.
बिहार में कुशवाहा समुदाय की मौजूदगी
कुशवाहा समुदाय राज्य की आबादी का 4.27 प्रतिशत है. रिपोर्टों के अनुसार, कुशवाहा दावा करते हैं कि वे 70 से ज्यादा विधानसभा सीटों और 15 लोकसभा सीटों के चुनाव नतीजों को प्रभावित कर सकते हैं. औरंगाबाद, उजियारपुर, नवादा, काराकाट, पूर्वी चंपारण, समस्तीपुर, पश्चिम चंपारण, खगड़िया, वाल्मीकि नगर, आरा, सीतामढ़ी, पूर्णिया, जमुई, नालंदा और पटना साहेब ऐसे लोकसभा क्षेत्र हैं, जहां कुशवाहा मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है.