scorecardresearch
 

शिक्षामित्र से MLC तक का सफर... केके पाठक से पंगा लेने वाले वंशीधर ब्रजवासी की कहानी, जिन्होंने JDU-RJD से PK तक को दिया झटका

बिहार के तिरहुत स्नातक उपचुनाव में शिक्षक नेता वंशीधर बृजवासी ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज की. उन्होंने जेडीयू-आरजेडी और जन सुराज पार्टी के उम्मीदवारों को हरा दिया. वंशीधर अपने लड़ाकू स्वभाव के लिए जाने जाते रहे हैं और शिक्षक हितों के लिए आवाज उठाते रहे हैं.

Advertisement
X
तिरहुत उपचुनाव में जीत हासिल करने वाले वंशीधर ब्रजवासी (फोटो- सोशल मीडिया)
तिरहुत उपचुनाव में जीत हासिल करने वाले वंशीधर ब्रजवासी (फोटो- सोशल मीडिया)

बिहार के तिरहुत स्नातक उपचुनाव के रिजल्ट ने जेडीयू, आरजेडी से लेकर प्रशांत कुमार तक की नींद उड़ा दी है. इस उपचुनाव में प्रदेश स्तर पर एक ऐसा नेता खड़ा हो गया है, जो युवाओं की आवाज को विधान परिषद में उठाएगा. हम बात कर रहे हैं वंशीधर बृजवासी की, जो बिहार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव रहे केके पाठक से ही पंगा लेकर सुर्खियों में आए थे और उन्होंने शिक्षामित्र से लेकर विधायकी तक का सफर तय कर लिया है. 

तिरहुत उपचुनाव में वंशीधर ब्रजवासी ने राजनीतिक पंडितों को चौंकाते हुए जेडीयू-आरजेडी और जन सुराज पार्टी के उम्मीदवारों को पीछे छोड़ दिया. शिक्षक नेता वंशीधर बृजवासी हमेशा शिक्षकों के हित में आवाज उठाते रहे हैं. केके पाठक से उनका टकराव जगजाहिर है. उनसे टकराने के बाद ब्रजवासी को सस्पेंड कर दिया गया था.  

किस पार्टी से कौन प्रत्याशी?

इस चुनाव में जहां एनडीए की ओर से जेडीयू के अभिषेक झा मैदान में थे, वहीं महागठबंधन की ओर से आरजेडी के गोपी किशन और जनसुराज के डॉ. विनायक गौतम चुनावी मैदान में थे. इनके अलावा कई शिक्षक नेता, कारोबारी, इंजीनियर और राजनीतिक क्षेत्र के बागी भी चुनावी मैदान में उतरे थे, लेकिन शिक्षक संघर्ष से अपनी पहचान बनाने वाले वंशीधर ब्रजवासी ने सबको पछाड़ते हुए तिरहुत उपचुनाव में जीत दर्ज की. 

किस प्रत्याशी को कितने वोट मिले? 

Advertisement

तिरहुत एमएलसी उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़े वंशीधर ब्रजवासी को 23003 वोट मिले. जबकि जनसुराज के विनायक गौतम को 10195 वोट मिले. इस चुनाव में आरजेडी तीसरे और जेडीयू चौथे नंबर पर रही. इस सीट से पहले जेडीयू के देवेश चंद्र ठाकुर एमएलसी थी, उनके सांसद चुने जाने के बाद ये सीट खाली हुई थी. देवेश चंद्र ठाकुर कई बार यहां से एमएलसी रह चुके हैं.  

ये संघर्ष की जीत- वंशीधर ब्रजवासी 

तिरहुत स्नातक उपचुनाव में शानदार जीत दर्ज करने के बाद वंशीधर ने इसे संघर्ष का जीत बताया. उन्होंने कहा सरकारी तंत्रों की तानाशाही के खिलाफ संघर्ष, चाहे वह शिक्षक कर रहा हो, पत्रकार कर रहा हो, संविदा कर्मी या पंचायत में काम कर रहे लोगों कर रहे हों, उनकी एकजुटता इस जीत का कारण है. ब्रजवासी ने कहा कि उनकी कोशिश रहेगी, उनके इस संघर्ष को मुकाम तक पहुंचने में सहायक बनें. उन्होंने कहा कि ये लड़ाई केवल सत्ता पाने की नहीं, बल्कि एक नई व्यवस्था बनाने की है. 

केके पाठक से क्यों हुआ था टकराव? 

वंशीधर बृजवासी का स्वभाव ही लड़ाकू है. जब केके पाठक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव थे, तब शिक्षकों के हित के लिए वो उनके भी सामने खड़े हो गए थे, जिसकी वजह से उनको सस्पेंड कर दिया गया. इसके बावजूद उनके तेवर में कोई कमी नहीं आई. वो लगातार सड़कों पर शिक्षकों और स्नातकों की आवाज उठाते रहे, जिसका नतीजा ये रहा कि आज उनको एमएलसी उपचुनाव में भारी जन समर्थन मिला.

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement