बिहार में हालिया राजनीतिक बदलाव हुए हैं. जो नेता बिहार में नीतीश कुमार के विरोधी थे, उन्हें उपमुख्यमंत्री की कुर्सी से नवाजा गया है. इनमें एक सम्राट चौधरी भी हैं, जिन्होंने 2022 में नीतीश के NDA से अलग होने और RJD- कांग्रेस गठबंधन में शामिल होने पर भगवा पगड़ी पहन ली थी. तब उन्होंने कहा था कि वह नीतीश को 'गद्दी से उतार' देने के बाद ही इसे उतारेंगे.
यह सम्राट चौधरी की सियासी पारी में इकलौता राजनीतिक स्टंट नहीं है. सम्राट को कम उम्र का होने के कारण राबड़ी देवी के मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया था. वहीं, खुद नीतीश कुमार ने उनकी डिग्री पर सवाल उठाए थे. ऐसे कई मौके सामने आ चुके हैं, जब सम्राट चौधरी चर्चा का विषय बने रहे. आइए उन मौकों के बारे में जानते हैं.
कम उम्र के कारण मंत्रिमंडल से बर्खास्तगी
सम्राट चौधरी को 1999 में कम उम्र के होने के कारण तत्कालीन राज्यपाल सूरजभान ने बिहार कैबिनेट से हटा दिया था. राज्यपाल ने कथित तौर पर कम उम्र के कारण उन्हें राबड़ी देवी मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया था और उनके खिलाफ जालसाजी, गलत बयानी, झूठी घोषणा करने और धोखाधड़ी का मामला दर्ज करने का आदेश भी दिया था.
हलफनामे में किया था नाबालिग होने का दावा
राज्यपाल ने अपनी विज्ञप्ति में कहा था कि सम्राट के दस्तावेज में उनकी उम्र 26 साल है. उनके स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट में उम्र 31 साल बताई गई है. वहीं सम्राट चौधरी ने हत्या के एक मामले में हलफनामे में 1995 में दावा किया है कि वह तब नाबालिग थे. इसके अलावा उनके बड़े भाई, जो उस समय इंजीनियरिंग के छात्र थे, उनकी उम्र सिर्फ 22 साल थी.
राज्यपाल ने 25 दिन के अंदर मांगी थी रिपोर्ट
सम्राट चौधरी की उम्र को लेकर विवाद पहली बार तब सामने आया, जब समता पार्टी के नेता रघुनाथ झा और पीके सिन्हा ने तत्कालीन राज्यपाल जस्टिस बीएम लाल और राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) एके बसु से कहा कि चौधरी की उम्र 25 साल नहीं हुई है और इसलिए वह मंत्री बनने के लिए अयोग्य हैं. लाल ने बसु को मामले की जांच कर 25 दिनों के अंदर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए थे.
जांचकर्ताओं के साथ सहयोग ना करने का आरोप
इसके बाद लाल सेवानिवृत्त हो गए थे, लेकिन यह मुद्दा फिर से तब उभर आया था, जब कार्यवाहक गवर्नर ने सीईओ को उस साल 5 नवंबर तक पूरी रिपोर्ट जमा करने के निर्देश दिए थे. बसु ने राज्यपाल को अपनी रिपोर्ट में बताया था कि चौधरी ने जांचकर्ताओं के साथ सहयोग नहीं किया. उस समय दावा किया गया था कि राज्यपाल के पास चौधरी की उम्र से संबंधित कई दस्तावेज भी हैं, जो विसंगतियों से भरे हुए हैं.
RJD में दो फाड़ की कर चुके हैं कोशिश
फरवरी 2014 में सम्राट चौधरी ने स्पीकर उदय नारायण चौधरी से एक अलग समूह के रूप में मान्यता मांगने के लिए 13 बागी विधायकों का नेतृत्व करके राजद में विभाजन की साजिश रची. हालांकि, विधानसभा अध्यक्ष के उन्हें अलग समूह की मान्यता दिए जाने के कुछ घंटे बाद 13 में से 6 विधायक राजद दफ्तर पहुंच गए. उन्होंने दावा किया कि स्पीकर के कार्यालय में सौंपे गए आवेदन पर उनके हस्ताक्षर जाली थे.
JDU से मिला था मंत्रालय का आश्वासन
बताया गया कि विद्रोह का नेतृत्व सम्राट चौधरी ने किया था, जिन्हें नीतीश कुमार की जदयू की तरफ आश्वासन मिला था. दावा है कि जदयू ने कहा था कि कुछ विद्रोहियों को बिहार में मंत्रालय मिलेगा और अन्य को लोकसभा चुनाव के लिए टिकट दिया जाएगा.
जब 6 मंत्रियों के साथ JDU से हुए निलंबित
फरवरी 2015 में बिहार में जनता दल यूनाइटेड ने तत्कालीन मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के प्रति निष्ठा रखने वाले 7 मंत्रियों को 20 फरवरी को शक्ति परीक्षण से पहले निलंबित कर दिया. तब विधानसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक श्रवण कुमार ने कहा था कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव से सहमति मिलने के बाद राज्य जदयू अध्यक्ष बशिष्ठ नारायण सिंह ने 7 मंत्रियों को निलंबित कर दिया. निलंबित किए गए सात मंत्री नरेंद्र सिंह, वृषिण पटेल, शाहिद अली खान, सम्राट चौधरी, नीतीश मिश्रा, महाचंद्र प्रसाद सिंह और भीम सिंह थे.
दलबदल विरोधी कानून के तहत हुए अयोग्य
जनवरी 2016 में लंबी सुनवाई के बाद जदयू के दो बागी एमएलसी नरेंद्र सिंह और सम्राट चौधरी को उच्च सदन से अयोग्य घोषित कर दिया गया. विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए जदयू के दो बागी एमएलसी नरेंद्र सिंह और सम्राट चौधरी को अयोग्य घोषित करने का आदेश पारित किया. तब नरेंद्र सिंह और सम्राट चौधरी को दलबदल विरोधी कानून के उल्लंघन का दोषी पाया गया और संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्य घोषित कर दिया गया.
डीलिट की डिग्री को लेकर खड़े हुए सवाल
12 जून 2023 को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने भाजपा बिहार इकाई के अध्यक्ष सम्राट चौधरी की डी. लिट डिग्री पर संदेह जताया, इसे संदिग्ध बताया और उन्हें इस मुद्दे पर सफाई देने के लिए 72 घंटे का अल्टीमेटम दिया. चौधरी ने हर जगह और यहां तक कि चुनाव आयोग को सौंपे हलफनामे में भी दावा किया कि उनके पास कैलिफोर्निया पब्लिक यूनिवर्सिटी से डी. लिट की डिग्री है. इस पर जदयू के मुख्य प्रवक्ता और विधान परिषद सदस्य (MLC) नीरज कुमार ने कहा कि उन्होंने वहां कब पढ़ाई की? क्या पढा? उन्हें डिग्री कब और कैसे प्रदान की गई? इस डिग्री के बारे में सब कुछ संदिग्ध है.