दुनिया के सबसे शक्तिशाली नेताओं में शामिल रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आज शाम (4 दिसंबर) को भारत आ रहे हैं. 4 सालों के बाद पुतिन का ये दो दिवसीय भारतीय दौरा कई मायनों में ख़ास माना जा रहा है. पुतिन न केवल अपनी नीतियों और निर्णयों से चर्चा में रहते हैं, बल्कि उनकी आधिकारिक कार भी ग्लोबल अट्रैक्शन का केंद्र बनी रहती है. (Photo: ITG)
पुतिन जिस कार में सफर करते हैं वह सिर्फ एक वाहन नहीं बल्कि एक चलती-फिरती किलेबंदी है, जिसे खतरे के हर स्तर को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है. Aurus Senat रूस की अत्याधुनिक, लक्ज़री और बुलेटप्रूफ स्टेट लिमोज़ीन है. तो आइये देखें कितनी ख़ास है ये कार- (Photo: AFP)
जब दुनिया के सामने आई पुतिन की नई कार
Aurus Senat को पहली बार सार्वजनिक रूप से साल 2018 में व्लादिमीर पुतिन के चौथे शपथ ग्रहण समारोह के दौरान प्रस्तुत किया गया था. यही वो मौका था जब दुनिया ने पहली बार रूस की इस नई प्रेजिडेंशियल लिमोज़ीन कार की झलक देखी थी. इससे पहले रूस की ऑफिशियल प्रेजिडेंशियल कार मर्सिडीज बेंज एस 600 गार्ड पुलमैन थी. जिसे भारत के राष्ट्रपति और जर्मनी के प्रेसिडेंट जैसे राष्ट्रअध्यक्ष इस्तेमाल करते हैं. (Photo: AFP)
इस संस्था ने बनाई कार
रूस ने वर्षों तक विदेशी बुलेटप्रूफ कारों पर निर्भर रहने के बाद तय किया कि वह अपनी खुद की प्रेजिडेंशियल कार तैयार करेगा. इसी सोच से पैदा हुआ “Kortezh Project”, इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य राष्ट्रपति और हाई-लेवल सरकारी अधिकारियों के लिए एक प्रीमियम और सेफ वाहन तैयार करना था. जिसके अंतर्गत Aurus Senat बनी. इस कार को रूस में सेंट्रल साइंटिफिक रिसर्च ऑटोमोबाइल एंड इंजन इंस्टीट्यूट (NAMI) द्वारा डेवपल किया गया है. (Photo: Screengrab)
US प्रेसिडेंट के कार को टक्कर
यह कार अमेरिकी राष्ट्रपति की आधिकारिक कार कैडिलैक ‘The Beast’ को भी टक्कर देती है. यूएस प्रेसिडेंट की आधिकारिक कार को अमेरिकी कार कंपनी जनरल मोटर्स के कैडिलैक डिविजन ने तैयार किया है. हालांकि दोनों कारों कई भिन्नताएं भी हैं. लेकिन पुतिन की कार पूरी तरह रूस में डिजाइन और डेवलप की गई है, जिसके कारण यह कार देश की तकनीकी आत्मनिर्भरता का प्रतीक मानी जाती है. (Photo: Getty)
चलता-फिरता बुलेटप्रूफ किला
पुतिन की Aurus Senat दुनिया की सबसे कठोर सेफ्टी स्टैंडर्ड पर खरी उतरती है. हालांकि सुरक्षा कारणों के चलते आधिकारिक रूप से इस कार के सभी फीचर्स और तकनीकी जानकारियां सार्वजनिक नहीं की गई हैं, लेकिन जो जानकारी पब्लिक डोमेन में उपलब्ध है वह इसकी ताकत का बखूबी बखान करती हैं. पावरफुल स्टील बॉडी, मोटे बुलेटप्रूफ ग्लास विंडो, धमाकों को झलने की क्षमता और किसी भी आपात स्थिति में सड़क पर दौड़ने की ताकत इसे एक बख्तरबंद किला बनाती है. (Photo: AFP)
बैलिस्टिक प्रोटेक्शन
कार में लेवल-7/8 बैलिस्टिक प्रोटेक्शन मिलता है जो ऑटोमैटिक राइफल्स से लेकर हाई-इंटेंसिटी विस्फोटों तक सहन कर सकता है. पूरा केबिन एक आर्मर्ड कैप्सूल की तरह बनाया गया है जो ग्रेनेड और IED जैसे हमलों से भी बचाव करता है. बताया जाता है कि, इस कार पर मिसाइल और ड्रोन अटैक भी बेअसर है. (Photo: Screengrab)
केबिन में शानदार सिक्योरिटी
इस कार का केबिन गैस-अटैक से भी सुरक्षित रहता है. इसके केबिन में एयर प्यूरीफिकेशन सिस्टम ऑटोमैटिक फायर सप्रेशन जैसे फीचर्स शामिल हैं. इसके अलावा कार में एक एन्क्रिप्टेड कम्युनिकेशन सिस्टम भी है जो राष्ट्रपति को किसी भी स्थिति में सेफ कम्युनिकेशन (टेलिफोनिक बातचीत) की सुविधा देता है. इस कार में ख़ास 'रन-फ्लैट टायर्स' फीचर भी दिया गया है. यदि इस कार का टायर बर्स्ट या पंक्चर हो जाए तो भी ये कार कई किलोमीटर तक चल सकती है. ताकि राष्ट्रपति को बिना रूकावट सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया जा सके. (Photo: Screengrab)
सुरक्षा के साथ शाही आराम
Aurus Senat का इंटीरियर पुतिन की सुविधा और राजकीय शान, दोनों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है. केबिन में प्रीमियम लैदर, वुडेन फिनिशिंग, रिक्लाइनिंग सीट्स, मसाज सिस्टम, अत्याधुनिक इंफोटेनमेंट और बुलेटप्रूफ ग्लास शामिल है. हर फीचर का उद्देश्य है कि यात्रा चाहे कितनी भी चुनौतीपूर्ण क्यों न हो, राष्ट्रपति पूरी तरह सुरक्षित और आराम से रहें. (Photo: X/@Sputnik_India)
सड़क पर दौड़ता 7 टन का 'बीस्ट'
भारी आर्मरिंग के बावजूद Aurus Senat परफार्मेंस में किसी सुपर-लक्ज़री कार से कम नहीं है. इसमें 4.4-लीटर V8 ट्विन-टर्बो इंजन लगाया गया है जो तकरीबन 598 बीएचपी की पावर जेनरेट करता है. ये कार ऑल-व्हील-ड्राइव सिस्टम से लैस है और 9-स्पीड ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन गियरबॉक्स इसे स्मूथ ड्राइव देता है. लगभग 7 टन वजन के बावजूद यह कार आसानी से हाई-स्पीड पकड़ सकती है, जो इसकी इंजीनियरिंग का प्रमाण है. (Photo: AFP)
ख़ास विमान से आती है कार
व्लादिमीर पुतिन की ये कार सिर्फ रूस की सड़कों तक सीमित नहीं रहती. जब भी राष्ट्रपति विदेश यात्रा पर जाते हैं, उनकी यह स्टेट कार खासतौर पर Ilyushin Il-76 सैन्य ट्रांसपोर्ट विमान के माध्यम से एयरलिफ्ट करके उस देश में पहुँचाई जाती है. ताकी पुतिन विदेशी धरती पर भी उसी स्तर की सुरक्षा प्राप्त कर सकें जो उन्हें रूस में मिलती है. (Photo: Reuters)
कैसे चलता है पुतिन का काफिला
पुतिन का मोटरकेड यानी काफिला जब सड़क पर चलता है तो नज़ारा देखने लायक होता है. उनके मोटरकेड में Aurus Senat के अलावा तकनीकी रूप से एडवांस कई अन्य वाहन भी शामिल होते हैं. जो पुतिन के भव्य मौजूदगी को दर्शाने के साथ-साथ जरूरी सुरक्षा भी मुहैया कराते हैं. पुतिन के काफिले में शामिल होते हैं ये वाहन-
मोटरसाइकिल एस्कॉर्ट
ये मोटरसाइकिलें रास्ता साफ करने, सुरक्षा घेरा बनाए रखने और किसी आपात स्थिति में क्विक रिस्पांस देने के लिए उपयोग की जाती हैं. (Photo: AFP)
राष्ट्रपति के काफिले में शामिल ये सभी वाहन अलग-अलग भूमिकाएँ निभाते हैं, जैसे कि सुरक्षा अधिकारी, स्नाइपर टीमें, कम्युनिकेशन यूनिट, मेडिकल सपोर्ट, और क्विक रेस्पॉन्स यूनिट को ढ़ोने का काम करते हैं. सड़क मार्ग से पुतिन एक जगह से दूसरी जगह तक सुरक्षित और बिना किसी रूकावट पहुंचाने का जिम्मा इस मोटरकेड का होता है. (Photo: Getty)
सपोर्ट और सेफ्टी व्हीकल
इस टीम के कंधे पर काफिले की जिम्मेदारी
रूस के राष्ट्रपति के आधिकारिक मोटरकेड की जिम्मेदारी स्पेशल पर्पज गैराज (SPG) के पास होती है. यह संस्था फेडरल प्रोटेक्टिव सर्विस (FSO) का एक विशेष यूनिट है. जो राष्ट्रपति के लिए वाहनों का चुनाव, मेंटनेंस और कस्टम सुरक्षा मॉडिफिकेशन करता है. इसके अलावा मोटरकेड यानी काफिले की प्लानिंग, स्ट्रक्चर और रूट मैनेजमेंट को संभालने की जिम्मेदारी भी इसी यूनिट पर होती है. ये एजेंसी इस बात को भी सुनिश्चित करती है कि, पुतिन के हर यात्रा के दौरान सभी वाहन सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करें. (Photo: Getty)
कौन चलाता है पुतिन की कार
रशिया बियांड की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति के ड्राइवर के पद के लिए उम्मीदवारों को बेहद कठोर मनोवैज्ञानिक परीक्षणों और एक्सट्रीम कंडिशन में ड्राइविंग ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है. यह प्रक्रिया काफी लंबी होती है. उम्मीदवारों को सबसे पहले कई वर्षों तक FSS के ऑपरेशनल डिवीजन में कार्य करना होता है. इसके बाद उन्हें कई वर्षों तक राष्ट्रपति एस्कॉर्ट वाहनों में से किसी एक के ड्राइवर के रूप में सेवा देनी होती है. इसके बाद ही वे राष्ट्रपति के लिए ड्राइव करने की परीक्षा में शामिल हो सकते हैं. यह पूरी प्रक्रिया औसतन 7 से 15 वर्षों के बीच पूरी होती है. (Photo: AFP)
ड्राइवर की ख़ास ट्रेनिंग
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति के लिए 10 से अधिक ड्राइवर नियुक्त होते हैं, और इस पद पर पहुंचने के बाद भी प्रशिक्षण जारी रखना अनिवार्य होता है. हर ड्राइवर को कम से कम सप्ताह में एक बार ट्रेनिंग सेशन से गुजरना पड़ता है. प्रैक्टिस के दौरान ड्राइवर को कार चलाते वक्त शूटिंग करना और बर्फ, पानी और विस्फोट जैसी परिस्थितियों में भी ड्राइविंग करना होता है. (Photo: Screengrab)