भारतीय जनमानस में जिन दो पौराणिक चरित्रों के जरिए रीति, नीति और मर्यादा का पाठ पढ़ाया जाता है, और जिनकी कथाएं व्यापक हैं वो दोनों चरित्र श्रीराम और श्रीकृष्ण नाम से प्रसिद्ध हैं. इसलिए इन दोनों से जुड़े ही तमाम पर्व-उत्सव और त्योहार भी हैं. कला के विभिन्न आयाम भी इनसे ही जुड़े हैं. आगामी दिनों में जन्माष्टमी का उत्सव है और श्रीराम भारतीय कला केंद्र, महाविष्णु के इसी पूर्णावतार की गाथा को नृत्य नाटिका के तौर पर प्रस्तुत करने जा रहा है. केंद्र की यह प्रस्तुति महज एक प्रदर्शन नहीं, बल्कि विरासत बन चुकी है और इस वर्ष यह उनकी 49वीं प्रस्तुति है.
कृष्ण गाथा की 49वीं प्रस्तुति
जानकारी के अनुसार, प्रमुख सांस्कृतिक संस्थान श्रीराम भारतीय कला केंद्र इस साल अपने प्रतिष्ठित नृत्य नाटिका 'कृष्ण' का 49वां संस्करण प्रस्तुत कर रहा है. यह प्रस्तुति 12 से 16 अगस्त 2025 तक कमानी ऑडिटोरियम, मंडी हाउस, नई दिल्ली में होगी. हर दिन शाम 6:30 बजे से प्रस्तुति शुरू होगी. 14, 15 और 16 अगस्त को दोपहर 3 बजे विशेष मैटिनी शो भी होंगे.
‘कृष्ण’ एक ऐसा नृत्य नाटक है जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्म से लेकर महाभारत में अर्जुन को दिए गए गीता उपदेश तक की झलकियों को सुंदरता से मंच पर उतारता है.

जन्म से गीता ज्ञान तक की गाथा
नृत्य नाटिका में उनकी मनमोहक बाल्यावस्था के आनंदमय वर्ष, किशोरवय की उनकी शरारतें, प्रकृति के साथ उनका प्रेम, सभी जीवों के प्रति उनकी करुणा, और अंततः भक्ति का स्तर प्राप्त करना - कृष्ण और उनकी आभा आपको अपने में समाहित कर लेगी, जैसे ही आप उनके व्यक्तित्व में खो जाएंगे. भारतीय पौराणिक कथाओं के अन्य अध्यायों की तरह, भगवान कृष्ण का अध्याय भी विभिन्न कहानियों, मिथकों और जादू से बुना गया है, लेकिन इसे हमेशा व्यावहारिक और दैनिक जीवन के कई पहलुओं में ज्ञान प्रदान करने वाला माना गया है.
श्रीराम भारतीय कला केंद्र मयूरभंज छऊ और कलारीपयट्टू जैसे पारंपरिक भारतीय नृत्य शैलियों का उपयोग करते हुए भगवान कृष्ण के रंगीन जीवन को उनके जन्म से लेकर महाभारत में उनकी भागीदारी तक दर्शाता है. प्रदर्शन को और अधिक यथार्थवादी अनुभव देने के लिए एलईडी वॉल का उपयोग केंद्र के नवाचार और सुधार की क्षमता को प्रत्येक वर्ष बेहतर बनाने के लक्ष्य को दोहराता है.
नृत्यनाटिका की निर्देशिका और श्रीराम भारतीय कला केंद्र की अध्यक्ष पद्मश्री शोभा दीपक सिंह, कहती हैं, " यह हमारे लिए गर्व की बात है कि 'कृष्ण' अपने 49वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है. श्रीकृष्ण का जीवन केवल पौराणिक कथा नहीं, बल्कि एक जीवन दर्शन है. जिसमें प्रेम, साहस और बुद्धि का गहरा संदेश छिपा है. हम इसे पूरी कलात्मकता और भावनात्मकता के साथ दर्शकों तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं. "

सांस्कृतिक परंपरा और विरासत का प्रतीक है मंचन
यह प्रस्तुति केंद्र डांस रेपर्टरी द्वारा की जा रही है, जो श्रीराम भारतीय कला केंद्र की पेशेवर नृत्य मंडली है. इसकी कोरियोग्राफ्री शशिधरन नायर द्वारा की गई है, जिन्हें सहयोग मिला है उनके प्रमुख शिष्य और रेपर्टरी इंचार्ज राजकुमार शर्मा का. इस वर्ष कुछ नए युवा कलाकारों को भी टीम में शामिल किया गया है, जिससे प्रस्तुति और भी ऊर्जा से भर गई है. ‘कृष्ण’ नृत्य-नाटिका में शास्त्रीय और लोक नृत्य शैलियों का सुंदर संगम है. पारंपरिक परिधान, आभूषण, संगीत और प्रतीकात्मक दृश्य इसे एक संपूर्ण सांस्कृतिक अनुभव बनाते हैं.
नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 के तहत श्रीराम भारतीय कला केंद्र स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों को 12 और 13 अगस्त को सुबह के विशेष शो के लिए आमंत्रित किया है. इन सत्रों में 75 मिनट का प्रदर्शन और 45 मिनट की वर्कशॉप भी शामिल है. 14, 15 और 16 अगस्त को दोपहर के शो के लिए भी स्कूल बुकिंग कर सकते हैं. पिछले 45 वर्षों से ‘कृष्ण’ नाटक हर उम्र के दर्शकों को प्रेम, करुणा, धर्म और सत्य का संदेश देता आया है. यह प्रस्तुति कला और अध्यात्म का अनूठा संगम है.